अंगरेज़ी की एक कहावत है – लाफ्टर, द बेस्ट मेडिसिन. हँसी का नियमित डोज़ किसी भी दवा के डोज़ से बेहतर ईलाज है और हँसने वाला आदमी हमेशा स्वस्थ रहता है. इसीलिए, कई कॉलोनियों में लाफ्टर क्लब भी बने हैं. सुबह सुबह लोग एक जगह जमा होते हैं और एक साथ हँसना शुरू कर देते हैं. लेकिन मुझे अभी तक यह समझ में नहीं आया कि यह कितना फ़ायदेमंद है. क्योंकि हँसने का मतलब ज़बर्दस्ती हँसना तो है नहीं, बिना किसी बात के. मेरे ख़याल से, हँसी की दवा का मतलब यह है कि आप किसी से मिलें तो हँसकर मिलें. कहते हैं न कि आप फोन पर भी किसी से मुस्कराकर बात करें, तो बिना 3G के भी, बात करने वाले को पता लग ही जाता है कि आप मुस्करा रहे हैं. सुबह सुबह ज़ोर से हँसना और सारे दिन मुँह लटकाए घूमना, पता नहीं ऐसे में हँसी की दवा कितना असर करती होगी और करती होगी भी कि नहीं.
कई बार तो लाफ्टर क्लब के सदस्यों की हँसी की आवाज़ बहुत डरावनी होती है, आदमी तो आदमी, जानवर भी डर जाते हैं इस आवाज़ से. पटना के चिड़ियाघर में बहुत हरियाली है. वहाँ लोग सुबह सुबह टहलते हैं. पहले वहीं लाफिंग क्लब भी चला रखा था, सुबह टहलने वालों ने. बाद में मुख्य मंत्री के हुक़्म से बंद करना पड़ा, वज़ह ये थी कि उनकी हँसी की आवाज़ से जानवर डरकर चिल्लाने लगते थे.
ख़ैर, भूमिका कुछ ज़्यादा ही लम्बी हो गई. सीधा आते हैं आज के सवाल पर, बता सकते हैं कि दुनिया के सबसे हँसमुख इंसान कौन हैं? चलिए मैं ही बता देता हूँ. सबसे हँसमुख लोग होते हैं, हिंदी फिल्मों के विलेन. आप ख़ुद ही देख लीजिए, हीरा लाल से कन्हैया लाल तक, मदन पुरी से अमरीश पुरी तक और राका से शाका तक. सब के सब इतने हँसमुख थे कि कहा नहीं जा सकता. कुछ मिसाल आपके लिए बतौर सबूत पेश हैं:
धर्मेंद्र, “कुत्ते! कमीने!! मैं तेरा ख़ून पी जाऊँगा.”
विलन, “हा हा हा हा!!!” गौर तलब है की ख़ून पी जाने की बात पर भी जनाब की हँसी नहीं रुक रही है.
शोले की बात किए बिना तो हिंदी फिल्म का इतिहास लिखा ही नहीं जा सकता.उस फिल्म में भी गब्बर सिंह के सेंस ऑफ ह्यूमर का जवाब नहीं. अपने तीन आदमियों को गोली भी उसने हँसा हँसा कर मारी. उसकी क्रूरता का ये आलम कि एक कमसिन नौजवान को क़त्ल करने में ज़रा भी नहीं हिचकता, लेकिन हँसमुख इतना कि अपने नाकाम साथियों को मारने के पहले भी मज़ाक करने से बाज नहीं आता.
स्व. मुकुल आनंद की फिल्म “हम” में तो ठहाके लगाते हुए और मज़ाक करते करते, अनुपम खेर और अन्नू कपूर एक औरत और एक बच्ची को ज़िंदा जला डालते हैं.
मुग़ैम्बो की हँसी तो आज भी लोगों को मुग़ैम्बो से ज़्यादा खुश कर देती है. नसीरुद्दीन शाह का, फिल्म “क्रिश” में ब्रेकिंग न्यूज़ बताना उस विलन के सेंस ऑफ ह्यूमर का टीवीकरण था.
रामायण तक में रावण सीता से हँसता हुआ कहता है, “हा हा हा! कहाँ है तुम्हारा राम!”
ये तो थी बानगी हिंदी फिल्मों के विलन की, इन फिल्मों के भूतों की तो बात तो अभी बाक़ी ही है. एक सूनसान हवेली के बाहर खड़े हीरो हिरोईन. अचानक सन्नाटे को चीरती एक भूत या चुड़ैल की आवाज़, माफ कीजिए, हँसी सुनाई देती है “हिहिहिहिहि”. सब डर जाते हैं, जबकि भूत, चुड़ैल या आत्मा हँसती हुई चुपचाप इधर से उधर चली जाती है.
इन विलन लोगों की बलिष्ठ देह और गरिष्ठ स्वास्थ्य को देखकर लगता है कि वाक़ई हँसने वाला आदमी सेहतमंद होता है. क्योंकि आजकल एक नॉर्मल आदमी तो महँगाई, कमाई और पढ़ाई के बीच दबकर अपनी हँसी भूल गया है, शायद इसीलिए ऐब्नॉर्मल लोगों को हँसते हुए दिखाया जाता है.वैसे भी एक मिड्ल क्लास आदमी की बीवी अगर कभी मुस्कराकर भी देख ले, तो समझ जाना चहिए कि जेब कटी ही कटी. और अगर ऑफिस में कभी बॉस ने मुस्कराकर देखा, फिर तो ख़ैर नहीं, समझ लो काम का बोझ घर ले जाने की नौबत आने वाली है.
ये तो मज़ाक की बात थी. सच पूछें तो थका हरा आदमी घर लौटे और गृहलक्ष्मी को इंतज़ार करता चौखट पर पाए और हँसता हुआ बच्चा भागता हुआ आकर लिपट जाए, तो सारी थकान ग़ायब हो जाती है, मानो देवता के हाथ लग गए हों बदन पर. तभी निदा साहब कहते हैं
घर से मस्जिद है बहुत दूर,चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए.
Yah zabardasti hansna mere bhi palle nahi padta tha!
ReplyDeleteKitna achha sher hai..bachhe ko hansaa len!
बहुत अच्छे से लिखा है इस विषय पर....और शेर तो कमाल ही है..
ReplyDeleteशानदार पोस्ट
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा..लॉफ्टर इज बेस्ट मेडिसीन!!
ReplyDeleteहा हा हा ,विद्रूप हंसियों का कवरेज -याद है (!) ,रावण अट्ठहास करता था तो कितनी स्त्रियों के गर्भ गिर जाते थे ? चिड़ियाघर के जानवर बिचारों की क्या औकात......
ReplyDeleteसच पूछें तो थका हरा आदमी घर लौटे और गृहलक्ष्मी को इंतज़ार करता चौखट पर पाए और हँसता हुआ बच्चा भागता हुआ आकर लिपट जाए, तो सारी थकान ग़ायब हो जाती है, मानो देवता के हाथ लग गए हों बदन पर. तभी निदा साहब कहते हैंघर से मस्जिद है बहुत दूर,चलो यूँ कर लेंकिसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए.
ReplyDeleteshat pratishat sahee farmaya hai aapne.
जानवरों का तो पता नहीं लेकिन इन सुबह सुबह हसने वालो को देख कर बाकि लोग ज़रूर हँस देते है !
ReplyDeleteइस विषय के हर पहलु को छूती पोस्ट......
ReplyDeleteकुवर जी,
बहुत जबरदस्त बात कही है शानदार पोस्ट
ReplyDeleteशुभकामनायें भैया ! कुछ बदलाव सा लगा ...अच्छा लगा !
ReplyDeleteहँसी पर खूबसूरत पोस्ट ....
ReplyDeletemain to din bhar hasti hun :D islie patli nahi hoti :( ..
ReplyDeleteIts not about laughing aloud as u said. agur koi bhi insaan khush ho.. tension free ho to bimaari hogi hi nahi.. main apne mummy papa ko humesa yahi bolti hun.. still they dont change.
हंसी हंसी में आपने बडी बडी बातें कह दीं।
ReplyDelete................
पॉल बाबा का रहस्य।
आपकी प्रोफाइल कमेंट खा रही है?.
आजकल तो उल्टा होता जा रहा है। चलो किसी हंसते हुए बच्चे को रुलाया जाए। फितरत कुछ ऐसी हो चली है लोगो की। हंसी भी मैंगेंबो वाली ही रह गई है।
ReplyDeletemuskurahat bantti ek pyari si post hai ...jo ek bahut hi qamyab sher ke sath khatm hoti hai ...
ReplyDeleteयह रचना हमें नवचेतना प्रदान करती है और नकारात्मक सोच से दूर सकारात्मक सोच के क़रीब ले जाती है।
ReplyDeleteबहुत लाजवाब कहा है .... पर लगता है आज के मंहगाई के दौर में हसीं भी किसी कार्यक्रम की तरह हो गयी है ... कुछ लोग मिलेंगे .. मिल कर हँसेंगे फिर अपने अपने घर .... जैसे टॅक्स लग गया हो हँसी पर ...
ReplyDelete"amen" hi wo shabd hai jo main kahne ko dhundh paya :)
ReplyDelete.
ReplyDeleteLaughter is the best medicine indeed !
Interesting post !
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hum bhi ittifaq rakhte hai aapki baat se ........chalo aapki post padhkar apne chehre pe bhi tabassum ki lakiir aa hi gayii
ReplyDeleteshukria is muskrahat ke liye
"निश्छ्ल हँसी बहुत दुर्लभ है ये केवल बच्चों-साधुओं के पास ही बची है जबकि ये सबके पास होती है...बेहतरीन पोस्ट..."
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