Tuesday, August 17, 2010

कुछ और चाँद!!

आज 18 अगस्त को, गुलज़ार साहब का जन्मदिन हैं,  हैप्पी बर्थ-डे सर!
MATCH
जाने कब हैं मैच की सब तारीख़ें पक्की
जाने किसके बीच मैच खेला जाएगा
टॉस किया है किसने ये आकाश की जानिब चाँद का सिक्का
गिरे ज़मीं पर तभी तो कुछ मालूम पड़ेगा!

KEY- HOLE
रात के स्याह अंधेरों के पीछे क्या है
इक दूर तलक ख़ामोश ख़लाओं के उस पार कहीं
दरवाज़ा है अंधियारे का, चट्ख़नी लगाकर बंद किया.
की होल पे आज इस चाँद के आँख जमाकर देखो
हमसा कोई दिखता है उस पार कहीं?

DOWRY
ब्याह बेटी का रचाने,
या अदा करने को कर्जा कोई
रात इस आसमाँ के गुल्लक में
चाँद के सिक्के जमा करती है
और फिर दिन के निकलते ही वो
भाग जाती है परबतों के परे.
कितना ग़ुस्सैल है सूरज
वो छीन लेगा सब.




OPENER
बीच समंदर प्यासा कोई
ऐसे ही मैं
हाथ में लेकर कोक की बोतल
ढूंड रहा था
कोई ओपनर मिल जाये तो बोतल खोलूं
कोक हलक में डाल के अपनी प्यास बुझाऊँ.
टेढा चाँद जो देखा मैंने दूर फ़लक पर
उससे ही फिर कोक की बोतल खोल के मैंने
तपती गर्मी से कल रात थी प्यास बुझाई.

BRIDE
रात की दुल्हन,
रोटी बेलने बैठी जब ससुराल में तब तो
आड़ी तिरछी, आधी चौथाई सी
और टेढ़ी मेढी सी
जितनी रोटियाँ बेलीं उसने, सब बेकार.
पंदरह दिन की एक मुसलसल प्रैक्टिस के फिर बाद ही जाकर
चाँद की पूरी गोल सी रोटी बेल सकी वो.

(विडियो साभारः कोकाकोला विज्ञापन, नेट पर प्राप्त)

22 comments:

  1. सारे चाँद बहुत खूबसूरत लगे ....बहुत बढ़िया

    ReplyDelete
  2. Gulzaar saa'b ke Fan nazar aayein aap....aapi chaand par ki gai kaseedakaari pasand aai...halanki gulzaar chand se jhankte paaye gaye

    ReplyDelete
  3. पंद्रह दिनों की मशक्कत के बाद ही पूरा चाँद बन पाया ...
    पूरनमासी के चाँद और रोटी की अनूठी उपमा
    चाँद इतने अलग अलग रंग के ...मन भाये ...!

    ReplyDelete
  4. वाह ..तारिफ के लिए शब्द नहीं मिल रहे हैं...सिर्फ कह सकता हूं खूबसूरत कविताएं....

    ReplyDelete
  5. चाँद के अनेकों रूप, हर परिकप्लना अनूठी. बहुत ही शानदार प्रस्तुति

    ReplyDelete
  6. चाँद तो सारे ही बढ़िया हैं, लेकिन opener वाला वैरी बैस्ट लगा जी।
    आभार।

    ReplyDelete
  7. बहुत ही खूबसूरत ......चाँद .........लाजवाब

    ReplyDelete
  8. थोड़ी और मेहनत की दरकार है।

    ReplyDelete
  9. एक से बढ़कर एक बिम्ब ...
    चाँद पूरा हो गया.

    ReplyDelete
  10. बहुत खूब....चाँद को तो पूरा होना ही था.
    _________________________
    'शब्द-शिखर' पर प्रस्तुति सबसे बड़ा दान है देहदान, नेत्रदान

    ReplyDelete
  11. बडी गहरी सोच है…………शानदार बिम्ब प्रयोग्……………कायल हो गयी हूँ लेखन की।

    ReplyDelete
  12. वाह क्या चाँद खोजे है ! उत्तम !

    ReplyDelete
  13. ये कविताएं सिर्फ आसमान की चादर पर टंके चांद-तारे का लुभावन संसार ही नहीं, वरन जीवन की हमारी बहुत सी जानी पहचानी, अति साधारण चीजों का संसार भी है।
    कविता हमारे मन को छू लेती है और आपकी सामर्थ्‍य और कलात्‍मक शक्ति से परिचय कराती है। नितांत व्‍यक्तिगत अनुभव कैसे समष्टिगत हो जाता है इसे हम इन कविताओं में पाते हैं।

    ReplyDelete
  14. बहुत संवेदनशील है सारे ही चाँद ... गहरी सोच को दर्शाते हैं ...

    ReplyDelete
  15. एक से एक दिल में उतरते चाँद....बहुत उम्दा!!

    ReplyDelete
  16. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

    ReplyDelete
  17. चाँद बेहतरीन लगे ...OPENER
    बीच समंदर प्यासा कोई
    ऐसे ही मैं
    हाथ में लेकर कोक की बोतल
    ढूंड रहा था
    कोई ओपनर मिल जाये तो बोतल खोलूं
    कोक हलक में डाल के अपनी प्यास बुझाऊँ.
    टेढा चाँद जो देखा मैंने दूर फ़लक पर
    उससे ही फिर कोक की बोतल खोल के मैंने
    तपती गर्मी से कल रात थी प्यास बुझाई.

    यह तो उम्दा रहा ।

    ReplyDelete
  18. विचारपूर्ण कणिकायें।

    ReplyDelete
  19. shandar zaandaar ....kuch nazmen padh li theen pahle..kuch aapse sun lee theen ..han ye aakhir wali roti wali ...ye ek dum nayi thi ....shandar hain sari ki sari ... maine aur mere bhai ne sath baith ek padhi ye sari nazmen ,..... :)

    ReplyDelete
  20. Waahji..ye chand to bade suhane lage...Sundar!
    http://kavyamanjusha.blogspot.com/

    ReplyDelete
  21. ये तो एकदम गुलज़ार जी की रचनाओं जैसी हैं । ताजी टटकी उपमाएं टॉस का सिक्का , की होल , ओपनर , रोटी..वाह ।

    ReplyDelete
  22. बहुत खूबसूरत बिम्ब प्रयोग एक से एक !
    चाँद को ओपनर बनाकर कोक की बोतल खोलने का अंदाज
    बड़ा मस्त लगा !

    ReplyDelete