Sunday, November 21, 2010

मीडिया की मौत पर शोक

कल की एक खबर के बाद मीडिया का मौन मौत के सन्नाटे से कम नहीं था. हमने भी इस मौत पर मातम का एलान कर दिया है.





(चित्र साभार: गूगल)

22 comments:

  1. धिक्कारिया मौन है यह।

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  2. अभी अभी आपका दिया लिंक पड़ कर आ रहा हूँ .... शर्म की बात है मीडिया के लिए .... और ऐसे भ्रष्ट मीडिया के सिपाहियों के लिए ..

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  3. मन वितृष्णा से भर गया है, महान लोकतंत्र क्या ऐसे हुआ करते है?

    क्या हम नपुंसकों की एक भीड़ भर हैं?

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  4. कमाल है हम नपुंसकों के बीच राहुल देव के एक चैनळ CNEB ने कल सुबह और फिर शाम 9 बजे न सिर्फ यह खबर दिखाने का साहस किया वरन के टी एस तुलसी, परांजय गुहा ठाकुरदा, मनोज रधुवंशी और कुछ अन्य लोगों के साथ इस विषय पर चर्चा का "सहास" भी किया।

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  5. सुशील गर्गNovember 21, 2010 at 12:57 PM

    शायद हमारी उमीदें ही बहुत अधिक थीं इनसे.. दलालों की दलीलें सुनकर हम समझते थे कि कितनी आग भरी है उनकी बातों में... लेकिन बिकी हुई कलम और रोशनाई ने आज पीली पत्रकारिता किसे कहते हैं दिखा दिया... इससे बड़ी अश्लील पत्रकारिता और क्या होगी... इस एलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता को देखकर बिग बॉस और राखी सावंत के सीरियल्स की ओर बहुत इज़्ज़त से देखने की इच्छा होती है!!

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  6. आज सुबह जब टीवी खोला और समाचार मनोरंजन चैनलों के भौं भौ सुनी तो अचानक इनकी दुम का ध्यान हो आया जो दोनों पैरों के बीच से होती हुयी जोर जोर से हिलती हुई सी लगी!

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  7. चौथ पर चलता चौथा खम्बा !

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  8. .

    Sooner or later they all will be exposed. Corruption is deeply rooted . At least we have few people on earth , who are brave and brutally honest to unveil such corrupt souls.

    .

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  9. अचंभित नहीं हुआ मैं... !

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  10. जितना हो रहा है - वो कम है - या फिर हमें कम पता चल पता है....


    मेरे ख्याल से कई स्याह अध्याय है - जिनपर रौशनी पड़ते ही - हमारी आंखे खुलती हैं.

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  11. "vicious cycle of the neta-babu-lala-jhola-dada who have "scientifically perfected" corruption. But Vittal left out one vital link in the chain — the media professional."
    very rightly said, but who bothers?
    मीडिया कैसी खबरों को तरजीह देता है, इसका एक उदाहरण तो मेरी एक पोस्ट में है, कमेंट्स में लिंक बिखेरने से मैं ही मना करता हूँ, अगर आप चाहें तो मेल कर सकता हूँ।
    ये वो लोग हैं, जिनपर इस लोकतंत्र को सुदृढ़ बनाने की महती जिम्मेदारी है।
    क्या कहना चाहिये इन्हें, ब्रेवो?

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  12. dalal har hagah hai har shaak pe baithe hai

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  13. हम आभारी हैं उनके जिन्होंने यहाँ आकर इस विषय पर अपनी टिप्प्णी दर्ज़ की.. आवश्यकता हमें अपनी टीआरपी या टिप्पणी की संख्या से नहीं है... किंतु इस मौत पर अपने और पराए की पहचान तो हो ही जाती है...बिखरी हुई गंध पर नाक दबाकर निकल जाने वाले तो सब हैं... गंध हटा नहीं सकते तो कम से कम गंध को गंध तो कहो..

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  14. toofan aane ke pahile wala moun hai ye...........

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  15. Media ke bare mein baten karana hi bekar hai.ye log FREEDOM OF EXPRESSION Ke nam par kuchh bhi kar sakate hain.Is par hamari sarkar bhi maun hai.Good post.

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  16. ये पोस्ट कल ही पढ़ ली थी सोचा "शोक" पे 'मौन' की सील लगा दूं फिर ख्याल आया कि इस मृत्यु पर श्रद्धांजलि भी नहीं दे सकते :(

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  17. चौथा स्तम्भ तो कब का कमजोर हो चुका है ! हर जगह स्वार्थ की आंधी बह रही है !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  18. आपका लेख पढ़ा ... संपत जी का लेख भी ...
    अब क्या कहें ...
    मेरा भारत महान ...

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  19. कुछ आश्चर्य नहीं इसमें.

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  20. यह तो होना ही था ..कोई नई बात नहीं..कोई गम भी नहीं ..शुक्रिया
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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  21. ये चोथा स्तम्भ अब कठपुतली बन चुका है !

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