Tuesday, January 18, 2011

वक्री शनि का मनमोहन सिंह और जूलियन असांजे पर प्रभाव ?

पिछले कुछ महीनों से भारतीय अर्थव्यवस्था को घोटालों का ऐसा ग्रहण लगा है कि हटने का नाम ही नहीं ले रहा। इसी श्रृंखला में पिछले शुक्रवार को माननीय सर्वोच्च न्यायालय में सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुये न्यायमूर्ति श्री बी. सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति श्री एस.एस. निज्जर की पीठ ने मनमोहन सिंह की सरकार से एक सवाल पूछा.
विदेशी बैंको में जिन भारतीयों का काला धन जमा है, उनके नाम उजागर करने में सरकार को क्या समस्या है?
यह सवाल बड़ा स्वाभाविक है. अगर सरकार के पास, काला धन जमा करने वालों के नाम नहीं हैं, तो अलग बात है, लेकिन अगर सरकार के पास नाम हैं, तो वह किस आधार पर या किसी सुविधा का लाभ उठाते हुए नामों को गुप्त रखना चाहती है?

यह बात और भी हताशा पैदा करती है कि भारत के महाधिवक्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के इस सीधे से सवाल का सीधा जवाब देने की बजाय, कार्यवाही को स्थगित करने की पेशकश कर दी और कहा कि उन्हें सरकार से निर्देश प्राप्त करना होगा।

क्या आपको याद है कि 2009 के आम चुनावों में विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे को उठाये जाने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश से वादा किया था कि विदेश में जमा काले धन को वापस लाने के लिए सरकार पूरी सक्रियता से कार्य करेगी।

महंगाई से त्राहिमाम करती जनता पर पेट्रोल छिड़कने वाली सरकार के सबसे ईमानदार कहे जाने वाले प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह क्या अब हरकत में आयेंगे? क्या वे विदेशी बैंकों में छिपा भारत का पैसा वापस ला पायेंगे जिस राशि के बारे में कहा जाता है कि वह हमारे जीडीपी का छः गुना है. और इतना ही नहीं, यदि वह पूरा पैसा देश में वापस आ गया तो :

1. हमें कर्ज के लिए आई.एम.एफ. या विश्व बैंक के सामने कभी हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे
2. 30 साल का बजट बिना टैक्स के बन सकेगा।
3. देश के सभी गांव सड़कों से जुड़ सकेंगे।
4. देश में कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा।

अब एक नज़र कल लन्दन में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स की, जहाँ यह बात सामने आयी कि स्विस बैंकों में काम कर चुके तथा गोपनीय खातों के रहस्यों से वाकिफ एक अधिकारी रूडोल्फ एल्मर ने हजारों बैंक खातों के ब्योरे वाली दो सीडी विकीलीक्स के संस्थापक जुलियस असांजे को सौंपी है! श्री एल्मर का दावा है कि इन दो सीडी में अनेकों भारतीय सहित लगभग दो हजार लोगों के नाम हैं, जिन्होंने अपने देशों के कानून का उल्लंघन करते हुए स्विट्ज़रलैंड के बैंकों के गोपनीय खातों में अवैध धन छिपा कर रखा है! यह पहला अवसर है जब दुनिया के नामी गिरामी और अमीर लोगों के गोपनीय खातों की जानकारी किसी को हासिल हुई है। इस जानकारी के सार्वजनिक होने पर स्विस बैंकिग प्रणाली की दशकों से कायम गोपनीयता ध्वस्त हो जायेगी तथा अवैध रूप से अकूत धन जमा करने वालों पर गाज गिरेगी!

2006 में जूलियन असांजे नामक इस शख्सग ने विकीलीक्स वेबसाइट की स्थापना की थी और तब से जूलियन असांजे विकीलीक्स डॉट कॉम के एडिटर इन चीफ और प्रवक्ता हैं। असांजे के बारे में कहा जाता है कि उन पर किसी का जोर नहीं है, उनकी पांच लोगों की टीम ने इतने अहम और गुप्त दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं, जितनी पूरी दुनिया की मीडिया ने भी कभी नहीं किए।

अब भारतीय सन्दर्भ में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अंतर्राष्ट्रीय सन्दर्भ में विकीलीक्स के जूलियन आसंजे ऐसे दो नाम हैं जिनकी तरफ हम सबकी आंखे लगी हैं। देखें इनमें से कौन घपलों और घोटालों के इस ग्रहण के सूतक के समाप्त होने की घोषणा करता है। ज्योतिष के जानकार कहते हैं कि 25 जनवरी से शुरु होने वाली शनि की वक्री दृष्टि, इस गणत्रंत की गन्दगी बाहर लेकर आयेगी। जब बड़े-बड़े अर्थशास्त्री फेल हो रहे हों तब ज्योतिष शास्त्र पर विश्वास करने को जी चाहता है, फिर भले ही क्यों न सर्वश्री अरविन्द मिश्र, प्रवीण शाह और निशांत मिश्र जैसे वैज्ञानिक विचार के प्रचारकों की आलोचना ही क्यों न सहनी पड़े।



कार्टून साभारः टूनपूल.कॉम एवम् टाइम्सकंटेंट.कॉम)

21 comments:

  1. बिल्कुल सही मुद्दा उठाया है आपने, ये सूची सार्वजनिक होनी ही चाहिए।

    अब तो हम भी शनि की वक्री दृष्टि का इंतज़ार कर रहे हैं। :)

    ReplyDelete
  2. कमाल है, न्ययालय को वक्री दृष्टि करनी पडी।
    जनता की सामुहिक वक्री दृष्टि होनी चाहिए।

    ReplyDelete
  3. भैया मैं तो दशक कामना वाले लेख में विगत दिसम्बर में ही यह भविष्यवाणी कर चुका हूँ कि विकीलीक्स इसे देर सबेर जारी कर ही देगी ----
    आपकी इस पोस्ट की कामना सच हो यही कहूँगा !

    ReplyDelete
  4. लाजवाब चित्रमय प्रस्तुति ...
    देखते हैं ऊंट किस करवट बैठता है!
    सार्थक प्रस्तुति के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete
  5. हमें तो सर्फ़ एक्सेल की विज्ञापन फ़िल्म याद आ रही है, ’दाग अच्छे हैं।’

    शनि महाराज की वक्र दृष्टि अच्छी है।

    ReplyDelete
  6. काश ये सच हो और लोगों के नाम सामने आ सके. वैसे अब तक तो ये खबर सुनकर न जाने कितनों को दिल के दौरों की महक आ गयी होगी .अगर जो बच जाय बस इन महानुभावों को जनता के बीच भींड में छोड़ दिया जाय कुछ देर के लिये......एक अपील प्रधानमंत्री जी से.... अभी भी समय है कुछ कीजिये , नहीं तो देश के सबसे भ्रष्तम प्रधानमंत्री की सूंची में पहला नम्बर मिलने वाला है.

    ReplyDelete
  7. सरकार ने कोर्ट को बता दिया सारे नाम इस शर्त के साथ की वो सार्वजनिक नहीं करे पर कुछ दिन बाद अन्तराष्ट्रीय रूप से सभी को पता चल जायेगा पर क्या फायदा होगा २ जी केस में तो सारी बातचीत सबके सामने है क्या हो गया कामनवेल्थ के घपले सब देख रहे है क्या हो गया ३१ मंजिला आदर्श खड़ी है साक्षात क्या हो रहा है, बस फाईले गायब होने और जाँच का नाटक होने के अलावा, नाम सामने आ भी गये तो भी कुछ होने वाला नहीं है , साफ दिख रहा है की सरकार की कोई मंसा ही कुछ करने की नहीं है | देश को चलाने के लिए एक सीधे साधे ईमानदार प्रधानमंत्री नहीं बल्कि एक समझदार कड़े और खुद फैसले लेने वाले कुतानितिज्ञ की जरुरत होती है |

    ReplyDelete
  8. कानून मंत्री को बदलने की तैयारी है. नए मंत्री जी कानून में समुचित फेरबदल कर अदालतों को ऐसे प्रश्न न पूछने का कानून पारित करेंगे. फिर सब ठीक हो जायेगा. न रहेगा सवाल न देना पड़ेगा जबाब. जो रह जायेगा वो देश के प्रति संवेदना.

    ReplyDelete
  9. राजनीति के पंक में मनमोहन की हैसियत वाटरलू के 'नेपोलियन पसमांदे' (पसमान्दः) सी है :)

    'जूलियन असान्जे' मुखर तो वे मुखापेक्षी हैं अब बेचारा वक्री शनि दोहरी जिंदगी तो जी नहीं सकता :)

    कहीं ऐसा तो नहीं कि कुछ न्याय...का पैसा भी वहां जमा निकले :)

    आपके आलेख से एक आस जगी है...शायद कुछ साल बिना टेक्स दिए गुजर पायें :)

    ReplyDelete
  10. जब तक आंटी जी का ग्रीन सिग्नल नहीं मिलेगा मनु भईया कुछ नहीं करेंगे ... और आपको तो पता ही है सिग्नल इतनी आसानी से ग्रीन तो होता नहीं !!! ;-)

    ReplyDelete
  11. सार्थक प्रस्तुति ! शिवम् जी का व्यंग अच्छा लगा ।

    ReplyDelete
  12. मन मोहन जी अभी तक कांग्रेस और नेहरू परिवार की मोहिनी से बाहर नही आ पा रहे हैं ... वो कैसे कुछ कहेंगे ...

    ReplyDelete
  13. देर से आने के लिए ...
    शनि की दृष्टि वक्र हो, यही हम भी चाहते हैं। तभी लोग सुधरेंगे।
    बहुत अच्छा आलेख।

    ReplyDelete
  14. @काजल कुमारः
    हमारा सकल घरेलू उत्पाद $1.367 ट्रिल्लियन(लगभग)है वर्ष 2009 के अनुसार!!

    ReplyDelete
  15. very nice blog dear friend...


    keep visiting My Blog Thanx...
    Lyrics Mantra
    Music Bol

    ReplyDelete
  16. कोई और उद्घाटित करे, इससे पहले सरकार ही यह काम कर दे।

    ReplyDelete
  17. हमें तो विकीलीक्‍स के लीक का इंतजार है। देखते हैं कब सामने आते हैं वे नाम।


    ---------
    ज्‍योतिष,अंकविद्या,हस्‍तरेख,टोना-टोटका।
    सांपों को दूध पिलाना पुण्‍य का काम है ?

    ReplyDelete
  18. सार्थक और सामयिक विषय उठाया है आपने।

    आभार

    ReplyDelete
  19. सार्थक प्रस्तुति के लिए धन्यवाद

    ReplyDelete
  20. सारगर्भित पोस्ट। सही समय पर सही मुद्दा।
    राजनीतिज्ञों के लिए ऐसे मुद्दे सपेरे की हांडी में सहेज कर रखे जाने वाले उन विषैले सर्पों के समान होते हैं जिन्हें दिखला कर सपेरा अपना पेट भरता है। वह तो यह सब अपने पेट भरने के लिए करता है, बदले में मनोरंजन भी कर जाता है। लेकिन राजनीतिज्ञों का यह खेल संपूर्ण राष्ट्र की आबोहवा को विषैली कर देता है। मंडल-कमंडल के सर्प नृत्य तो हम देख ही चुके हैं।

    ReplyDelete