Saturday, May 28, 2011

बेकसूर प्रिंसिपल, नकारात्मक मीडिया - फालोअप पोस्ट

आए दिन खबरों को पहले पन्ने से पिछले पन्नों तक और प्राइम टाइम से लेकर स्क्रोल पट्टियों तक सरकते हुए हम सब देखते हैं. कारण यह भी होता है कि जितनी तेजी से वो मुद्दा उठता है, उतनी ही ऊर्जा के साथ ज़िंदा नहीं रह पाता. खासकर तब जब उसका कोइ सटीक परिणाम सामने न आ जाए तो. क्योंकि सिर्फ ज़िंदा रखने के लिए तो कोइ खबर ढोई नहीं जा सकती.

हमने भी कई मुद्दे इस ब्लॉग पर उठाये. और उनके लिए एक फॉलो-अप पोस्ट की ज़रूरत महसूस की हमने. पहले भी कई बार लोगों के सवालों ने फॉलो-अप पोस्ट लिखने को मजबूर किया, कई बार हमें खुद ही लगा कि इस मुद्दे पर और भी कुछ कहा जाना चाहिए. हम आभारी हैं उनके जिन्होंने सवाल उठाये और उन मुद्दों को याद रखा ताकि एक नया दृष्टिकोण, नए तथ्य रखने का मौक़ा हमें मिला. एक संतोष मिलता है कि बात लोगों तक पहुँची.

पिछले दिनों हमने चंडीगढ के एक स्कूल में हुई दुर्घटना की चर्चा की थी. इस घटना ने इसलिए भी छुआ कि अपनी बच्ची वहाँ पढ़ती थी और उस प्रिंसिपल से व्यक्तिगत तौर पर मिल चुका था मैं. जो हुआ वो अफसोसजनक था, जो हो रहा था मीडिया के माध्यम से वो और भी अफसोसनाक था. लेकिन दो चार दिन पहले जो खबर अखबार में आई वो वास्तव में वैसी ही थी जैसे सूरज की गर्मी से तपते हुए तन को मिल जाए तरुवर की छाया. इस घटना का एक सकारात्मक परिणाम उस पूरी संस्था के लिए सुखद है जिसे हम विद्या का मंदिर कहते हैं. कौन हारा, कौन जीता, यह कोइ मुद्दा नहीं. मानवता जीती, अनेक बच्चों का विश्वास जीता और एक पावन संस्था के मूल्यों ने विजय पाई.

उस अखबार की खबर आपके लिए, जिसे आप हमारी फॉलो-अप पोस्ट कह सकते हैं! आभार उन सभी का जिन्होंने हमारे ब्लॉग के माध्यम से अपने सार्थक विचार रखे और सच्चाई के प्रति अपना समर्थन दर्ज किया!!

स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ आपराधिक शिकायत वापस

चंड़ीगढ़, जागरण सम्वाददाता : सेंट ज़ेवियर स्कूल सेक्टर -44 की दसवीं कक्षा की छात्रा जाह्ंवी के तीसरी मंज़िल से गिरने या गिराये जाने के मामले में समझौता हो गया है।

शनिवार को जान्ह्वी के पिता तिलकराज सतीजा ने स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ जिला अदालत में दायर आपराधिक शिकायत वापस ले ली। हादसे में घायल छात्रा के पिता तिलराज सतीजा ने पिछले महीने उनकी बेटी को तीसरी मंज़िल से गिराये जाने के आरोप लगाते हुये स्कूल प्रिंसिपल मर्विन वेस्ट के खिलाफ जिला अदालत में आपराधिक शिकायत दायर की थी। जिसके तहत अदालत ने गवाही के लिये तिथि निर्धारित कर दी थी।

शिकायतकर्ता के वकील द्वारा अदालत को सूचित किया गया कि उनके और अन्य पक्ष के बीच गलतफहमी दूर हो गयी है, जिससे मामला सुलझा लिया गया है, इसलिये वह आपराधिक शिकायत वापस ले रहे हैं।

मामले में छात्रा के पिता ने अपने वकील के जरिये स्कूल प्रिंसिपल के खिलाफ हथियार से गम्भीर रूप से घायल करने और मानहानि की धाराओं के तहत आपराधिक शिकायत दायर की थी। शिकायत में अदालत से उचित मुआवज़े की भी मांग की गई थी।

घटना के नकारात्मक पहलू पर शोर-मचाते मीडिया को भी हमने देखा और अब घटना के सकारात्मक पहलू पर इत्ती छोटी सी रिपोर्ट भी, जिसे छापा एक समाचार पत्र ने अपने स्थानीय पन्नों में । उधर एक महीने पहले इस खबर को राष्ट्रीय सुर्खिया बना देने वाले इलेक्ट्रानिक मीडिया ने तो आज तक सुध भी नहीं ली। ले भी क्यों? इस बीच और सनीखेज खबरे जो आ चुकी हैं। सकारात्मक खबरों को टीआरपी और विज्ञापन नहीं मिलते, ऐसा इन ज्ञानीयों का मानना है।     

19 comments:

  1. इलेक्ट्रानिक मीडिया की तो आदत है चिल्ला चिल्ला कर सच को झूठ और झूठ को सच साबित करना. रिसर्च वर्क में उनका विश्वास नहीं या उसमे मेहनत लगती है. ये तो बिना तथ्य के वह पूरा दिन गुजार सकते है.

    सच कहा आपने उनका पूरा मानना यही है कि सकारात्मक खबरों से टीआरपी और विज्ञापन नहीं मिलते. वह ये भी सोचते है कि लोग यही देखना चाहते है.

    सच्चाई की आवाज उठाने के लिए आपको बधाई.

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  2. raahat mahsoos huee .
    dhanyvad.
    jo padatee hoo usase juda anubhav kartee hoo swabhav se lachar hoo.......
    aabhar.

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  3. बेहद आवश्यक पोस्ट!!

    दिमागी कचरे को हटाना भी जरूरी है। अन्यथा वह जमा ही रह जाता है।

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  4. मीडिया में शक्ति है घटना के बारे में जनसाधारण की राय बदलने की, पर उसका सार्थक उपयोग हो।

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  5. आज तो मुझे सालों पहले देखी फिल्म "न्यू देल्ही टाइम्स" याद आ गयी,जहां मीडिया का वर्चास्व बनांए रखने के लिए पहले स्वयं अपराधकिये और उन्हें सबसे पहले छापकर नाम कमाया. यानि घटना के पहले सुर्खियाँ तैयार!!

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  6. फोलाअप पोस्‍ट लगाकर अच्‍छा किया। सच है कि सकारात्‍मक समाचार से इनकी टीआरपी नहीं बढ़ती ऐसा ये सारे ही ज्ञानी-ध्‍यानी लोग मानते है। जबकि ऐसा नहीं है। लेकिन ये पूरा जगत ही नकारात्‍मक सोच का मारा है, क्‍या कीजे?

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  7. यह तो बहुत अच्छा हुआ -घटना यहीं पढी थी -
    इन्ही घनाओं से तो यह लगता है -
    सांच को आंच नहीं !

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  8. Aapne ye bahut achhee khabar bata dee....elctronic medea ho ya akhbaar....sabhee ko sansaneekhez ( chahe wo jhootee kyon na hon),khabron se matlab hota hai....shayad prekshak aur pathak bhee yahee chahte hain.

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  9. electronic media ke pass aur bahut TRP badhane wale mudde hain jinhen vah chilla chilla kar howa banate hain.aise case ke liye unke pass time kahan.

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  10. आंखें खोलने वाली पोस्ट। आज कल तो निगेटिव प्रचार का जमाना है। क्या=क्या नहीं देखना है हमें।

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  11. बहुत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक पोस्ट है यह !
    आभार !
    मीडिया पर कुछ भी कहना समय की बर्वादी लगता है , भौंडापन देखना हो तो शाम को न्यूज़ चैनल देखने बैठ जाईयें , न्यूज़ देखने ही से मन भर जायेगा !
    शुभकामनायें आपको !

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  12. झूठ का ढिंढोरा, सच पर चुटकी
    यह बात तो हमें भी को खटकी।

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  13. मीडिया जो न कर दे कम है ...

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  14. meediyaa ki pol kholti hui sachai ko ujaager karati hui behatrin post badhaai aapko.



    please visit my blog and feel free to comment/thanks

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  15. मीडिया नकारात्मक खबरों में ही अधिक रुचि दिखाती है।
    आपके फालोअप पोस्ट की तरह मीडिया को भी फालोअप समाचार प्रसारित-प्रकाशित करना चाहिए।

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  16. आजकल अखबारों और न्यूज़ चैनलों को भी खुद को हिट करवाने के लिए 'आईटम खबरों' की जरुरत रहती है ... अगर मसालेदार खबर है तो वो तैयार है छापने / दिखाने के लिए ... नहीं तो साहब माफ़ कीजिये ... हमें भी अपनी दुकान चलानी है !!

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  17. ये आज के मीडीया की कड़वी सच्चाई है ... मसाला तलाशते हैं ये ....

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  18. स्पष्टीकरण कभी दिये भी जाते हैं तो इतने सरसरी तौर पर कि किसी का ध्यान नहीं जाता और तब तक जो हानि होनी होती है, हो चुकी होती है।

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  19. Thanks for updating us with this follow up post. I am glad for the principal and the girl as well. May the students and Principal be at peace.

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