Wednesday, August 24, 2011

नहीं रहे अमर!!


३० अगस्त को जिसका जन्मदिन हो, वो सिर्फ इस डर से कि केक पर लगी मोमबत्तियों से आँखें जलती हैं, अपनी आँखें बंद कर लेगा हफ्ता भर पहले ही... असंभव. आदमी इतना भी डरपोक होता है कहीं. खास कर वो शख्स जिसकी उपस्थिति अपने आप में जीवन होती थी, जो सारी उम्र मौत को मुंह चिढाता रहा और आखिर मौत ने चिढकर कहा, चल मेरे साथ! तेरी देखा-देखी लोग मुझसे उलझने लगे हैं. और कल वो शख्स चल दिया एक अनंत यात्रा पर.
आज सुबह-सुबह संजय अनेजा (मो सम कौन) जी का फोन आया कि सलिल भैया आपको पता चला, डॉक्टर अमर कुमार नहीं रहे! और मेरे हाथ पैर ठन्डे हो गए. डॉक्टर साहब के घर फोन की घंटी बजती रही, कोइ जवाब नहीं. तो बड़े भाई सतीश सक्सेना जी से कन्फर्म किया. हाथ पैर ठन्डे हो गए. चैतन्य को कहा तो उन्हें भी यकीन नहीं हुआ. वो इंसान जो मौत का मजाक उडाता था, जिसने कभी मौत से हार नहीं मानी, वो ऐसे खामोश कैसे हो सकता है. इतनी जल्दी साइन आउट... गलत बात है
डॉक्टर साहब! आपकी इटैलिक्स में लिखी टिप्पणियाँ, आपकी मोडरेशन के खिलाफ चुटकियाँ, आपकी शास्त्रों में पगी उक्तियाँ सब इतनी जल्दी चुक जायेंगी, हो ही नहीं सकता. इतनी सचाई इंसान में कि उम्र का फर्क बीच में नहीं आता. आख़िरी बार उनसे बात हुई अभी एकाध महीने पहले. एक पोस्ट पर उनकी टिप्पणी के सम्बन्ध में. उनकी टिप्पणी पहली बार कुछ पूर्वाग्रह से ग्रसित लगी, या फिर प्रेरित. मैंने उनको फोन किया और हकीकत बताई. उनका उत्तर यही था कि मुझे ये नहीं पता था और तुरत उन्होंने अपनी टिप्पणी हटा ली.
आज उनकी पुरानी मेल देख रहा था तो कितनी बार हंसी आयी और कितनी बार मन भर आया. नए साल पर उनको शुभकामनाएं भेजीं तो उनका जवाब देखिये:

प्रिय सलिल जी,
वर्ष के अवसान पर लेखा जोखा बनाने बैठा तो सर्वप्रथम 10 मित्रों में आपको भी पायाअहो भाग्य !
आपके पुण्यकर्मों से मैं ठीक हूँ रेडियोथैरेपी का झमेला अभी चलता रहेगा एवँ कुछ शारिरिक अशक्तता है !शेष कुशल है, मेरी ओर से नववर्ष शुभकामनायें स्वीकार करें ।
आपका अग्रज
अमर
मैंने कहा:

डॉक्टर साहब,
एंजेल साबित  हुए आप  कि  आपकी लिस्ट में मेरा नाम भी है..दशाब्दी  का  अवसान समस्त समस्याओं का अवसान सिद्ध हो आपके लिए.. नव दशाब्दि की पूर्व संध्या पर आपके चरण स्पर्श  कर आशीष चाहता हूँ और परमपिता से यही प्रार्थना है कि आपको स्वास्थ्य  प्रदान करे..
झमेला कोई भी हो आपसे नहीं लड़ सकता..
समस्त परिजनों को भी हमारा मंगल सन्देश पहुंचे!
सलिल

और उनके जन्मदिन पर मेरी बधाई का जवाब उन्होंने जिस अंदाज़ में दिया वो बस उन्हीं की जुबानी सुनिए जो सबूत है उनकी जिंदादिली का:

दुर, लोग सब एतना न मोमबत्ती खोंस दिया था कि फुँकते फुँकते अँखवा के आगे अन्हार छा गया,
तनि सँभरे त देखते हैं  केकवे गायब । आऽ त हमहूँ आपके कैटगरी में हैं.. जी ।
मुला आप पहली बेर त मुँ खोले हैं त हमहू इसको खाली नहिं रहने देंगे,
 अपना ठेकाना बताइयेगा त तनि ?
देखिये पान्छौ दिन में कैडभरी का डेब्बा पहुँचता है, कि नहीं ।
हम दत्तात्रेय जी को आदर्श मानते हैं, सामने आने वाला सभी जड़ चेतन को गुरु मानते हैं,
सो हमको अप्रेन्टीस गुरु बूझिये.. गुरुदेव का डिग्री मत दीजिये ।
सलिल जी आप सब की शुभकामनायें ही मेरे टिके रहने का सँबल है ।
अब आपको धन्यवादो देना है, का ? त उहो ले लीजिये, मुला किरपा बनाये रखीए ।
सादर - अमर

हमारी और से उस महान आत्मा को श्रद्धांजलि. कहने को बहुत कुछ है, मगर अभी तो बस इतना ही:
न हाथ थाम सके, ना पकड़ सके दामन,
बहुत करीब से उठकर चला गया कोइ!

37 comments:

  1. विनम्र श्रद्धांजलि.

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  2. बेहद दुखद ... हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि !! भगवान् डा0 अमर कुमार के परिवार को इस दारुण दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें ... ॐ शांति शांति शांति ...

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  3. सलाम । अमर थे और रहेंगे। ब्‍लाग की दुनिया इतनी जल्‍दी उन्‍हें भूल नहीं सकती।

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  4. Amar Sir se kabhi interaction to nahi hua, par unka kiya hua post jo aapne post kiya hai, unke jindadili ka saboot hai......!
    ab to bas yahi kah sakte hain...bhagwan unke aatma ko shanti pradan karen..!!
    dil se ek sachchi shraddhanjali!!

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  5. डाक्टर अमर की जिंदादिल टिप्पणियों के देख कर लगता नहीं था की वो किसी बिमारी से ग्रस्त भी हो सकते हैं ... वो अमर थे और अमर रहेंगे ...
    भगवान इनकी आत्मा को शान्ति दे और परिवार को ये दुःख सहने की क्षमता ...
    मेरी विनम्र श्रधांजलि है ....

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  6. विनम्र श्रद्धांजलि.

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  7. मैं तो यह समझता हूँ कि सदात्मा की आवश्यक्ता परमात्मा को हमसे अधिक है। डा. अमर की आत्मा गोलोक में वास करे.... !

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  8. अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी!! हास-परिहास की शैली में गम्भीर तात्विक बात कह जाते थे।

    हिन्दी ब्लॉग-जगत का विद्वान और शीर्ष टिप्पणीकार था। उनके बाद दूसरे तीसरे दसवे स्थान पर कोई नहीं है। एक रिक्तता सदैव ही महसुस होगी।

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  9. हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि!

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  10. डॉ. अमर को बहुत नहीं जानता लेकिन कुछ ब्लोगों पर उनकी टिप्पणी जरुर पढी है... वे टिप्पणिया निःसंदेह उनके व्यक्तिव्व और जिन्दादिली की परिचायक हैं... वाकई एक अपूर्णीय क्षति है उनका जाना... विनम्र श्रधांजलि

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  11. vinamr shruddhanjalee .
    mera to anubhav raha hai aise vyktitv humse kabhee bichad hee nahee sakte .
    jis beemaree se unaka paala pada vo kiseeko nahee bakshtee .ye soch kar apne ko samjhao ki unhe shareerik vedna se mukti milee shayad thodee rahat mile .

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  12. Ek ghatna ke madhyam se main bhi juda tha unse...bhagwan unki atma ko shanti den...

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  13. इस अज़ीम शख्सीयत को सामने देखकर आज खुदा भी हैरान होगा कि इसके आराम के लिए जन्नत से भी ऊंचा स्थान कहां से लाऊं...पिछले साल पांच नवंबर को दीवाली वाले दिन पापा को खोया और अब डॉक्टर साहब को...कैंसर जैसी नामुराद बीमारी से भी लड़ते हुए एक सेकंड के लिए अपनी ज़िंदादिली नहीं खोने वाले इस शख्स का साथ पाकर खुदा भी अब अपनी किस्मत पर इतराएगा....राजेश खन्ना की फिल्म आनंद की आखिरी पंक्ति याद आ रही है...

    आनंद मरा नहीं, आनंद कभी मरते नहीं...

    इसे अब बदल देना चाहिए...

    अमर मरे नहीं, अमर कभी मरते नहीं...

    जय हिंद...

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  14. !!विनम्र श्रद्धांजलि!!

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  15. अश्रुपूरित श्रद्धांजलि...

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  16. विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनके परिवार को इस असीम दुख को सहन करने के शक्ति प्रदान करे।

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  17. ब्लॉग की गलियों से आते-जाते एक हंसमुख से इंसान से अक्सर भेंट होती रहती थी ......निःशब्द .....बस, दोनों एक-दूसरे की ओर जैसे मुस्कुराकर किसी मौन संवाद का आदान-प्रदान कर आगे बढ़ लेते थे. धीरे-धीरे वह चेहरा परिचित होता गया ......जैसे लोकल ट्रेन में रोज़ मिलने वाला हो कोई ......और जैसे अचानक सलिल भैया ने यह बता कर चौंका दिया कि रोज़ बांद्रा से भी आगे जाने वाला वह शख्स आज लोअर परेल पर ही उतर गया. ............
    सलिल भैया ! यह यात्रा तो कभी न समाप्त होने वाली है न ! उतरने वाला यात्री अब हमारे ट्रैक पर नहीं किसी दूसरे ट्रैक पर यात्रा करेगा. रास्ता लोअर परेल से आगे भी तो है न ! हम दूसरे रास्ते पर उनका स्वागत करेंगे ........आखिर डॉक्टर अमर जी जायेंगे कहाँ ?

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  18. विनम्र श्रद्धांजलि।

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  19. This comment has been removed by the author.

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  20. सलिल भाई,
    व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए बेहद कष्टदायक खबर !
    कल जब डॉ दराल ने बताया था तब आँखों में आंसू छलक उठे थे इस ईमानदार और बेहद विद्वान् ब्लोगर के लिए, जिनसे मैं कभी नहीं मिल पाया !
    दादा अमर समय से पहले, बहुत जल्दी चले गए , उनके बारे में कुछ पहले भी लिखा था जो उनके चरणों में समर्पित कर रहा हूँ !

    http://satish-saxena.blogspot.com/2010/08/blog-post_30.html
    http://satish-saxena.blogspot.com/2010/12/blog-post_22.html

    वे बहुत अच्छे थे....

    लगता है कोई अपना हमें छोड़ कर चला गया है, मगर वे हिंदी ब्लॉग जगत में अपने निशान छोड़ गए हैं जो अमर रहेंगे !

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  21. एक विनम्र श्रद्धांजलि !!!उनकी टिप्पणियाँ बहुत ज्ञान बांटती थी। बलॉग जगत को एक अपूर्णीय क्षति!!!

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  22. बहुत दुःखद ...विनम्र श्रद्धांजलि !!

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  23. अमर जी का विद्रोही लेखन बहुत सुखद लगता था! ज़ील दिव्या की पोस्ट पर जाकर उनके कमैन्ट्स देखने की आदत सी हो गयी थी। श्रद्धा सुमन !!

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  24. बेहद दुखद समाचार. डा0 अमर जी को विनम्र श्रद्धांजलि.

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  25. बेहद दुखद... अश्रुपूरित श्रद्धांजलि।

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  26. Bahut dukhad samachar....vinamr shraddhanjali.

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  27. विनम्र श्रद्धांजलि!

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  28. अंत इतना निकट आ गया था फिर भी डॉ साहब की जिन्दादिली बदस्तूर जारी रही .....उन्हें अभी नहीं जाना था ..
    क्योकि उन्हें हम भी अच्छी तराह से जान नहीं पाए थे-मगर नियति के क्रूर खेल का क्या करिए .....अब वे हमारे बीच नहीं है -जीवन की क्षण भंगुरता का अच्छा सबक दे गए ...नमन !

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  29. डा.साहब का जाना हम सबके लिये अपूरणीय क्षति है।
    उनकी स्मृति को नमन!

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  30. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे ...विनम्र श्रद्धांजलि

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  32. आदरणीय ओजस्वी कौशल जी!
    तनिक कष्ट कर यदि आपने इस पोस्ट का कंटेंट देख लिया होता तो आपको अवश्य यह ज्ञात हो जाता कि यह स्थान और अवसर आपके विज्ञापन के लिए उचित नहीं है!!

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  33. भाउक कर देने वाले प्रसंग लिखे हैं आपने इस पोस्ट में। मैं तो सिर्फ कमेंट से ही जानता/मानता था उनको। ब्लॉग जगत की यह अपूर्णनीय क्षति है।

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  34. लगभग डेढ़ महीने से नैट से दूरी बनी हुई थी, सिर्फ़ मोबाईल पर टूटी फ़ूटी हिंदी में चुनिंदा ब्लॉग्स देख पा रहा था। सोमवार को ही नैट पर सक्रिय हुआ तो कुछ चिर परिचित ब्लॉग्स पर डाक्टर साहब की टिप्पणियाँ नदारद दिखीं और कुछ खटका भी। बुधवार सुबह अलबेला खत्री जी और गिरिजेश जी के ब्लॉग पर जब ऐसी पोस्ट देखी तो आपके अलावा कोई और सूझा नहीं जिससे कन्फ़र्म कर सकता। अनुराग जी को मेल किया था कि कुछ गड़बड़ लग रही है। मन चाहता था कि अंदेशा गलत साबित हो, लेकिन होनी प्रबल है।
    डाक्टर अमर कुमार जी को भावभीनी श्रद्धांजली और ईश्वर से प्रार्थना है कि परिजनों को शोक सहने की शक्ति दें।

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  35. हार्दिक श्रद्धांजलि।

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  36. नम आँखों से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि...अर्पित करता हूँ!

    प्रभु उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें...तथास्तु!

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