भाव, रस और ताल से बने भारत की सम्वेदनाओं की अभिव्यक्ति
बहुत बहुत आभार !
बहुत ही आभार इस बहुमूल्य लिंक के लिए
आभार इस बहुमूल्य लिंक के लिए !
देखता हूँ इस मनीषी के लिखे को !
एक मुहिम चलनी चाहिए कि इस लिंक का पता सबको चेन के रूप में बताया जाय।
क्यों अकेले रह गए स्वामी..क्यों नहीं अखिल भारतीय संगठन बना पाय..जो इनकी विचारधारा को, इनके संघर्ष को गली गली ले जाते ..एक पोस्ट के अभिलाषी है ... जो कई दिनों से मेरे मन के प्रशनो के उत्तर दे...आभार.
बहुत बहुत आभार !
ReplyDeleteबहुत ही आभार इस बहुमूल्य लिंक के लिए
ReplyDeleteआभार इस बहुमूल्य लिंक के लिए !
ReplyDeleteदेखता हूँ इस मनीषी के लिखे को !
ReplyDeleteएक मुहिम चलनी चाहिए कि इस लिंक का पता सबको चेन के रूप में बताया जाय।
ReplyDeleteक्यों अकेले रह गए स्वामी..
ReplyDeleteक्यों नहीं अखिल भारतीय संगठन बना पाय..
जो इनकी विचारधारा को, इनके संघर्ष को गली गली ले जाते ..
एक पोस्ट के अभिलाषी है ... जो कई दिनों से मेरे मन के प्रशनो के उत्तर दे...
आभार.