सम्वेदना के स्वर

भाव, रस और ताल से बने भारत की सम्वेदनाओं की अभिव्यक्ति

Wednesday, January 1, 2020


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सम्वेदना के स्वर
सलिल वर्मा: दुनिया ने तजुर्बातोहवादिस की शक्ल में/ जो कुछ मुझे दिया है,वो लौटा रहा हूं मैं चैतन्य आलोक: क्या पता ?....इस लोक से उस लोक तक..... विविध आयामों में बिखरे जीवन को जानने समझने की इस सतत कोशिश में...कभी खुद से भी मिलना हो जाये!...
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