tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post2274591957484900592..comments2023-10-18T21:03:23.343+05:30Comments on सम्वेदना के स्वर: हिन्दू मुस्लिम भाई-भाई??सम्वेदना के स्वरhttp://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-7800436719665681442010-08-17T18:39:14.926+05:302010-08-17T18:39:14.926+05:30सच कहा है आपने ... बँटवारे का मतलब दुश्मनी नही होत...सच कहा है आपने ... बँटवारे का मतलब दुश्मनी नही होता .. काश हमारे नेता .. देश की जनता ये समझ पाती ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-6917280425769749922010-08-10T22:02:18.813+05:302010-08-10T22:02:18.813+05:30बेहतरीन पोस्ट.बेहतरीन पोस्ट.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-6768879370369860832010-08-10T06:14:38.683+05:302010-08-10T06:14:38.683+05:30अच्छा विवेचन! नया नारा होना चाहिए -हिन्दू मुस्लिम ...अच्छा विवेचन! नया नारा होना चाहिए -हिन्दू मुस्लिम दोस्त दोस्त ! और हाँ हिन्दी चीनी भाई भाई कहकर भी हम मुंह की खा चुके हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-29896798378839808882010-08-08T21:57:51.564+05:302010-08-08T21:57:51.564+05:30bhai chare par likh gaya yah lekh bahut hi sarahni...bhai chare par likh gaya yah lekh bahut hi sarahniy par jaroorat hai logon ko ise samajhne ki.<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-16876902516126722972010-08-08T21:12:03.587+05:302010-08-08T21:12:03.587+05:30Aah! Kya geet yaad dilaya aapne! 'Babul kee du...Aah! Kya geet yaad dilaya aapne! 'Babul kee duayen leti ja!"Is geetka filmankan dekhte,dekhte mai zarozar royi thi! Rafi sahab kee betee kee mangani hui thi aur is geetko unhon ne ro-ro kar gaya tha...shayad koyi din hoga jab mai is geet ko na sunun!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-7578034579583244882010-08-08T20:33:13.994+05:302010-08-08T20:33:13.994+05:30हिंदू मुस्लिम भाई भाई की वजह से ही एक भाई ने दूसरे...हिंदू मुस्लिम भाई भाई की वजह से ही एक भाई ने दूसरे से बंटवारे की मांग की और जोर जबरदस्ती करके घर का बंटवारा करा लिया था ।K M Mishrahttp://kmmishra.tknoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-57058010331074125552010-08-08T19:48:53.517+05:302010-08-08T19:48:53.517+05:30बेहतरीन पोस्ट, आपका नजरिया कमाल का है!बेहतरीन पोस्ट, आपका नजरिया कमाल का है!nilesh mathurhttps://www.blogger.com/profile/15049539649156739254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-63465341124807148882010-08-08T18:45:38.475+05:302010-08-08T18:45:38.475+05:30Simte Lamhe pe aapki tippanee ko leke...Saraswatic...Simte Lamhe pe aapki tippanee ko leke...Saraswatichandr ka geet,"Piya ka ghar pyara lage",sach me bahut pyara hai.Kewal jab nayika Nutan apne piyake bareme gaati hai to uski aankhen bhar aatee hain..piya to behad zalim tha!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-65070767615591620872010-08-08T18:07:27.349+05:302010-08-08T18:07:27.349+05:30बढ़िया, सामयिक लेख!बढ़िया, सामयिक लेख!पंकज मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/05619749578471029423noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-37290533650785885782010-08-08T14:52:16.879+05:302010-08-08T14:52:16.879+05:30समयोपयोगी और सार्थक लेखन ...
पर समस्या के जड़ में श...समयोपयोगी और सार्थक लेखन ...<br />पर समस्या के जड़ में शायद नफरत नहीं है ... बल्कि धर्म खुद है ... जब तक अलग अलग धर्म रहेंगे ... नफरत पनपती रहेगी ...<br />सच्चा प्यार वही कर सकता है जो भेद भाव ना करता हो ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-61487480741811317752010-08-08T09:30:39.365+05:302010-08-08T09:30:39.365+05:30सब धारणाएँ हटा दीजिए...ताकि प्रेम का बीज अंकुरित ह...सब धारणाएँ हटा दीजिए...ताकि प्रेम का बीज अंकुरित हो सके । ओशो तो इसी प्रेम के मसीहा हैं ।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-1045957654418667822010-08-07T23:44:43.047+05:302010-08-07T23:44:43.047+05:30अनुज चैतन्य,
ओशो का जो दर्शन उसके बारे में विचार श...अनुज चैतन्य,<br />ओशो का जो दर्शन उसके बारे में विचार शून्य जी कहते हैं उनकी बात में दम था..उनकी बात में दम है... भाई भाई का नारा लगाकर बँटवारा किया गया देस का अऊर एही नारा का सहारा लेकर भी पिछला छः दसक से लोग दूरी कम नहीं कर पाया है … त एक मौका प्रेम को देने में त कोनो हरज नहीं है...<br />अख़बार में मैट्रीमोनियल देखे होंगे... बहुत सारा आजाद खयाल अऊर प्रगतिसील लोग लिखते है “जाति बंधन नहीं”. ओही लोग से कहा जाए के “साम्प्रदायिकता या धार्मिक बंधन नहीं” त लिख पाएगा लोग... एक बार करेजा पर हाथ रखकर हाँ बोलकर देखा दें... बहुत मोस्किल है कहना अऊर करना...<br />हमरा भी एगो अईसने परिवार से सम्बंध था जिसके बारे में हम इस पोस्ट पर चर्चा किए थे..<br />http://chalaabihari.blogspot.com/2010/07/blog-post.html<br />हमरा ऊ सम्बंध प्यार का बुनियाद पर था, इसीलिए हमको कभी पते नहीं चला कि ऊ लोग मुस्लिम था..अऊर पाकिस्तानी भी...<br />चैतन्य जी, बहुत अच्छा बात लिखे हैं... दोसरा संदर्भ में ओशो का कहा याद आ गया कि अहिंसा गलत बात है..अहिंसा का मतलब ई नहीं है कि जीब हत्या मत करो...असली बात है कि जीब से एतना प्यार करो कि उसको कोई भी चोट पहुँचाने का बात तुमरे सपना में भी नहीं आए… अहिंसा अपने आप हो जाएगा...प्रेम सिखाना त सुरू कीजिए अपना बच्चा को...चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-54636775992622763782010-08-07T23:31:25.070+05:302010-08-07T23:31:25.070+05:30संभवता: पहली बार आना हुआ है, लेकिन निसंदेह कह सकता...संभवता: पहली बार आना हुआ है, लेकिन निसंदेह कह सकता हूँ कि संवेदना के स्वर इसे ही कहते हैं.आपकी अधिकाँश बातों से सहमति जतलाते हुए कुछ कहने का साहस कर रहा हूँ.<br />इसे धृष्टता ही कहा जायेगा!!<br />मैं हमेशा विश्व के ख्यात चिन्तक विवेकानंद की बात दुहराता रहा हूँ कि जो दूसरों से घृणा करता है, वह खुद पतीत हुए बिना नहीं रहता.<br /><br />लेकिन साथियो !! इसे समझे कौन !!<br />विवेकानंद आगे लिखते हैं कि धार्मिक पुनरुथान से गौरव भी है और खतरा भी, क्योंकि पुनरुथान कभी कभी धर्मान्धता को जन्म देता है.<br /><br />और आज हर कहीं धर्म के नाम पर धर्मान्धता का शोर है और इस शोर में दोनों ओर का इंसान घुट रहा है.<br /><br />ब्लॉग जगत में विगत दो सालों से एक धर्म विशेष के लोगों या उनके धर्म के विरुद्ध खूब विषवमन होता रहा है.एक बंधु तो बजाप्ता इस शुभ कार्य के लिए लोगों से चंदा तक मांगते हैं.लेकिन इनके विरुद्ध कहीं कोई विरोध के स्वर सुनाई नहीं पड़े.कहीं किसी उदारमना प्रबुद्ध ने कोई पोस्ट नहीं लिखी.<br />लेकिन इन दिनों वह तबका जो कल तक खामोश था उन्हीं के लहजे में जवाब देने लगा तो त्राहिमाम!! त्राहिमाम !!!<br /><br />मैं ऐसी धर्मान्धता के जिद तक विरोधी हूँ.<br /><br />एक विशेष धर्म को ही या एक विशेष मानसिकता से संचालित एक संस्था के दर्शन को ही गर देश मान लिया जाएगा तो यह फासीवादी प्रव्रृति है.और इसका विरोध खुलकर कोई नहीं कर रहा है.हाँ ऐसी ही फितरत के साथ आज इस्लाम के स्वयंभू ठीकेदार पैदा हो गये हैं तो हर कहीं सोग और विरोध का हंगामा है बरपा !!<br /><br />ऐसे लोगों के लिए मैं कहूँगा:<br />[हबीब जालिब के शब्दों में]<br /><br />ख़तरा है बटमारों को<br />मग़रिब के बाज़ारों को<br />चोरों को,मक्कारों को<br />खतरे में इस्लाम नहीं<br /><br />और हाँ संघ के लोगों को इस बात पर भी आपत्ति रही है कि मुसलामानों की इतनी आबादी है उन्हें अल्पसंख्यक क्यों कहा जाए.<br />ठीक है भाइयो मत कहो लेकिन जब संघ की राजीनीतिक इकाई भाजपा की सरकार थी तो संशोधन कर इस शब्द को क्यों नहीं हटा दिया गया.<br />और आज भी भाजपा में अल्पसंख्यक सेल क्यों है ! क्यों नहीं उसे भंग कर दिया जाता !<br /><br />लेकिन साथियो सियासत की बातों में मत पड़ो यह सियासी लोग हैं.<br />जब काग्रेस कुछ करती है तो उसे तुष्टिकरण कहा जाता है और वही कम भाजपा करती है तो देश हित!!<br />भाजपा ने हज में मुसलामानों को सुविधा दी तब तुष्टिकरण नहीं हुआ.ऐसी मिसालें कई हैं.<br /><br />यह सच है कि यहाँ हिन्दुओं की आबादी बहुसंख्यक है..लेकिन देश का संविधान सेकुलर है समाजवादी है, अब जैसा भी है.<br />और हमारे साथियो को यह ध्यान रखना चाहिए, जैसा सी ई जेड ने कहा था:<br /><br />मनुष्य समाज का जो क़बीला ,जो जाति जो धर्म सत्ता में आ जाता है वह समाज की श्रेष्ठता के पैमाने अपनी श्रेष्ठता के आधार पर ही बना देता है [यह श्रेष्ठता होती भी है या नहीं यह अलग प्रश्न है] यानी सत्ता आये हुए की शक्ती ही व्यवस्था और कानून हो जाया करती है,<br /><br /><br />सशंकित होना क्या जायज़ नहीं कि क्या वास्तव में आज ऐसा हो रहा है !!<br /><br />गर हो रहा है तो मुखर विरोध होना चाहिए. और जो ऐसा समझ रहे है, इसके खतरे से वाकिफ हैं, विरोध कर रहे हैं.हां !स्वर मद्धिम अवश्य है ,लेकिन एक जुटता है.<br /><br />यदि नहीं हो रहा है तो आओ साथियो मेरे के इस शेर को याद करो:<br /><br />उसी के फ़रोग-ए-हुस्न से झमके है सब में नूर<br />शमा-ए-हरम हो या दिया सोमनाथ का !شہروزhttps://www.blogger.com/profile/02215125834694758270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-9988715448350531302010-08-07T22:33:14.005+05:302010-08-07T22:33:14.005+05:30संभवतः भाई भाई कहने से ही बटवारा हुआ।संभवतः भाई भाई कहने से ही बटवारा हुआ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-39588136743965947242010-08-07T22:27:14.387+05:302010-08-07T22:27:14.387+05:30Kahne ka man hota hai,ki,bhai,bhai hote hain...Hin...Kahne ka man hota hai,ki,bhai,bhai hote hain...Hindu ya Muslim nahi..jahan ye label aa gaye,wo dikhawa maatr hai.kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-19526766240819532682010-08-07T22:12:53.005+05:302010-08-07T22:12:53.005+05:30ओशो कि बात में दम था. लेकिन कहा गया है कि प्रेम ना...ओशो कि बात में दम था. लेकिन कहा गया है कि प्रेम ना बाड़ी उपजे प्रेम ना हाट बिकाय, राजा प्रजा जेहि रुचे शीश देई ले जाय. ये पहले शीश देने का जोखिम कोन लेगा. यहाँ तो सब दुसरे का शीश लेने पर उतारू हैं. इस देश में तो शीश महल गुरूद्वारे ही बनाये जा सकते हैं. चलिए ब्लॉगजगत से ही छोटी सी एक शुरुवात करें.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-78057423210329113032010-08-07T21:36:54.113+05:302010-08-07T21:36:54.113+05:30जब तक मनुष्य लोभ-लालच से ग्रषित रहेगा वह ना तो खुद...जब तक मनुष्य लोभ-लालच से ग्रषित रहेगा वह ना तो खुद इंसानियत की भाषा सीखेगा और न ही दूसरों को सीखने देगा ,प्रेम और इंसानियत लोभ-लालच के कब्र पर ही पनपता है और फलता फूलता है ...लोभ-लालच के जिन्दा रहते सिर्फ घृणा और हैवानितात ही जिन्दा रह सकता है ,आज ज्यादातर लोग लोभ-लालच में फसे हुए हैं |honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-11413415008301402422010-08-07T20:50:15.873+05:302010-08-07T20:50:15.873+05:30विचरोत्तेजक आलेख और पोस्ट ! बहुत बहुत आभार आपका .....विचरोत्तेजक आलेख और पोस्ट ! बहुत बहुत आभार आपका .....आज के दौर में इस प्रकार के आलेखों की बहुत ज्यादा जरूरत है हमारे समाज और ब्लॉग जगत को भी !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-48257551418938663412010-08-07T20:34:15.571+05:302010-08-07T20:34:15.571+05:30एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है ...एकता का किला सबसे सुरक्षित होता है। न वह टूटता है और न उसमें रहने वाला कभी दुखी होता है। <br />बहुत अच्छी पोस्ट।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-68541663168580822312010-08-07T20:08:16.883+05:302010-08-07T20:08:16.883+05:30और जब एक बार प्रेम शुरु हो जाए तो हिन्दू-मुसलमान द...और जब एक बार प्रेम शुरु हो जाए तो हिन्दू-मुसलमान दो कौड़ी की बातें हैं. उनको आसानी से फेंका जा सकता है. जहा प्रेम नहीं है वहीं इन बातों का मतलब है. <br /><br /><br />बहुत अच्छा लेख ..समसामयिक और सटीकसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-35481450265570536152010-08-07T20:07:44.288+05:302010-08-07T20:07:44.288+05:30बहुत पहले एक क्लॉस के दौरान इतिहास के प्रोफेसर ने ...बहुत पहले एक क्लॉस के दौरान इतिहास के प्रोफेसर ने पूछा था कि अंग्रेजों की फूट डालो शासन करो की नीति ही क्या हमारे पतन का कारण थी। मैरा जवाब था ....जो हम में पहले ही से था, उसे उन्होंने हवा दी थी सिर्फ....ये कोई नई नीति नहीं थी। <br /><br />मत-मतान्तर के कारण झगड़े, फिर वर्ग को जाति में बांटने की प्रक्रिया, उसके बाद आखिर मनु की गलत व्याख्या और नए मनु का अवतरण न होना..विचारो की नदी को विचारों का तलाब बना देना..ऐसे कई कारण रहे कि हम बिखरते चले गए। भाई भाई की परंपरा से ज्यादा दोष इस बात का रहा कि हमने एक राजनीतिक सूत्र में रहना कभी नहीं सिखा..मैं ही सर्वश्रेष्ठ की भावना ने पहने हमें थामा..फिर पतन की ओर धकेला..बाहरी दुनिया से अनजान किया..दरवाजे पर दुश्मन आजकल क्या कर रहा है इससे अनिभिज्ञ होने की आदत पड़ी...जिससे कई सदियों तक अरब के लड़ाकू कबिलों को परास्त करने की ताकत को छीना..जिससे इस्लाम के नाम पर एकजुट इन कबीलों के बर्बर आक्रमण के आगे घुटने टेकने टेकने पड़े.....कई ऐसे कारण थे जिससे देश में आज तीन देश हैं.....<br /><br />हद तो ये है कि 23 करोड़ की आबादी को अल्पसंख्यक कहा जाता है। इन लोगो को शर्म भी नहीं आती कहते हुए। 23 करोड़ लोग में से अधिसंख्यक इसी देश की संतान..फिर भी अलगाव...Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-24485899093086195562010-08-07T19:08:12.171+05:302010-08-07T19:08:12.171+05:30यह प्रेम आता कैसे है, कैसे उत्पन्न हो और कैसे स्था...यह प्रेम आता कैसे है, कैसे उत्पन्न हो और कैसे स्थाई रहे?<br /><br />भाई भाई के नारे में भी प्रेम ही खोजा गया था,जो कि व्यवहारिक अलगाव में बदल गया।<br /><br />मन व समान आदतें न मिले तो प्रेम भी……?सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-87600890775416625892010-08-07T18:57:19.050+05:302010-08-07T18:57:19.050+05:30बहुत बढ़िया और सामयिक लेख लिखा है आपने ...प्रेम हर...बहुत बढ़िया और सामयिक लेख लिखा है आपने ...प्रेम हर झगडे हर फसाद की कुंजी है और शायद विश्व में हर देश यह जानता है फिर भी झगडे नहीं रुकते ! सबसे अधिक समस्याएं अपने अपने मत मतान्तर को लेकर हैं दुःख यह है कि अपनी अपनी सीमाएं खींचने की इस पशुप्रवृत्ति को मानव समाज ने भी खूब मन से अपनाया है ! लड़ने पर चोट खा जाने का दर शायद इस हिंसक प्रवृत्ति पर अंकुश लगाती है अन्यथा तो शायद युद्धों से कभी पेट न भरे !<br />परस्पर प्यार करना सीखना ही होगा सवाल यह है कि कितना मूल्य दिया जाएगा ??Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.com