tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post3230506620201825010..comments2023-10-18T21:03:23.343+05:30Comments on सम्वेदना के स्वर: आई.पी.एल. - बड़े बच्चों के बड़े खिलौनेसम्वेदना के स्वरhttp://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-49257272827002644242012-09-26T07:47:53.732+05:302012-09-26T07:47:53.732+05:30क्षमा प्रार्थी हूँ, बहुत दिन बाद आ पाया चैतन्य ..
...क्षमा प्रार्थी हूँ, बहुत दिन बाद आ पाया चैतन्य ..<br />लिखना कम क्यों ? ४ माह से कोई पोस्ट नहीं ...<br />सादर ! Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-75096788238655526582012-08-06T21:14:40.412+05:302012-08-06T21:14:40.412+05:30बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका हार्द...बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है। धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-1583559885881918672012-05-31T09:09:30.213+05:302012-05-31T09:09:30.213+05:30behtar prastutibehtar prastutiDr.R.Ramkumarhttps://www.blogger.com/profile/09073007677952921558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-22092234563750384722012-05-29T17:55:12.297+05:302012-05-29T17:55:12.297+05:30.
paisa kidhar se aaye kaise aaye bus esi dhun mei....<br />paisa kidhar se aaye kaise aaye bus esi dhun mein din raat lage rahte hain....<br />..bahut badiya prerak prastuti..कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-72892059804517125882012-05-27T19:53:47.431+05:302012-05-27T19:53:47.431+05:30बेहतरीन आलेख...बेहतरीन आलेख...मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-5306419908413555362012-05-27T18:41:23.218+05:302012-05-27T18:41:23.218+05:30आपने बिलकुल ठीक कहा। रविनार जी की लेखनी काफी धारदा...आपने बिलकुल ठीक कहा। रविनार जी की लेखनी काफी धारदार है और वैसे ही आपका अनुवाद। हमलोगों को लगता है कि यह काफी मँहगा खिलौना है, उनके लिए ऐसा कुछ नहीं है। <br />वैसे IPL ने क्रिकेट का क्रेज़ समाप्त कर दिया है। मैने शायद एक या दो मैच देखे होंगे।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-6815930472981492382012-05-27T18:18:59.195+05:302012-05-27T18:18:59.195+05:30पैसेवाला है तो महंगे खिलौने खरीदेगा । पर हम भी तो ...पैसेवाला है तो महंगे खिलौने खरीदेगा । पर हम भी तो उन्हें इन खिलौनों सेऔर पैसा कमाने में मदद करते हैं ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-19675781724850755682012-05-27T17:28:50.412+05:302012-05-27T17:28:50.412+05:30padh kar hasii aagii
aaklan sahi haen par utna bh...padh kar hasii aagii <br />aaklan sahi haen par utna bhi nahinरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-77421812612599167172012-05-27T16:41:08.833+05:302012-05-27T16:41:08.833+05:30बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....
मेरे ब्लॉग पर ...बहुत बेहतरीन व प्रभावपूर्ण रचना....<br />मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।Shanti Garghttps://www.blogger.com/profile/03904536727101665742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-32328547214062276192012-05-27T14:36:03.227+05:302012-05-27T14:36:03.227+05:30भैया हमें भी तो देखने के लिए कुछ चाहिए न। अब इतने ...भैया हमें भी तो देखने के लिए कुछ चाहिए न। अब इतने महंगे खिलौने हमें तो खेलने के लिए मिलने से रहे। जिसे वर्षों पहले तक हम इडियट बॉक्स के नाम से दुत्कारते रहे थे, वही हमें ये खेल दिखा रहा है। कभी नीता अंबानी आ जाती हैं, तो कभी अमिताभ आ जाते हैं करोड़पति बनाने तो कभी आमिरखान सत्यमेव जयते लेकर नमक छिड़कने। हम तो बस दर्शक ही हैं। अब दर्शक होने का तमगा तो हमसे मत छीनिए।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-25722270097758109652012-05-27T00:09:03.204+05:302012-05-27T00:09:03.204+05:30कहते हैं बड़ा होने पर खिलौने अपने आप छूट जाते हैं,...कहते हैं बड़ा होने पर खिलौने अपने आप छूट जाते हैं,लेकिन इस पोस्ट से ऐसा नहीं लगता;बड़ा होने पर खिलौनों के रूप बदल जाते हैं। गरीब के बच्चों के खिलौने अमीरज़ादों के टूटे-फुटे खिलौने बन सकते हैं...लेकिन गरीब की हसरत भी नए खिलौनों की रहती ही है...इस हसरत को ही तो आज रइसज़दों ने भुनाया है...फिर भारत जैसे देश में तो क्रिकेट का जुनून काफी पुराना है...और रइसजादों ने अपनी बीबियों को आईपीएल का झुनझुना थमा दिया है तो इसमें बुरा क्या है...हां अब इन रइसजादों को क्रिकेट के साथ दूसरी विधाओं को मिलाने का श्रेय भी है। महिला टिप्पणीकार,चियर-लिडर्स यहां तक की कैबरे भी अब गरीब अपने घर में देख सकता है...अरे जो वह अपनी जिंदगी में कभी नहीं देख पाता आईपीएल ने वह उसे दिखा कर उस पर बहुत बड़ा अहसान किया है। गरीब वैसे ही महंगाई का मारा है...वास्तविक जिंदगी में वह कहां यह सब कर पाता है...तो भला हो हमारे इन रइसजादों का कि उनकी बदोलत गरीब कुछ राहत महसूस कर रहा है।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-74928136347079626582012-05-26T23:49:45.544+05:302012-05-26T23:49:45.544+05:30बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें साथ साथ धन्यवाद इ...बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें साथ साथ धन्यवाद इस आलेख को हम सब के लिए यहाँ सांझा किया आपने !<br /><br /><br /><a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/05/blog-post_26.html" rel="nofollow">इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - माँ की सलाह याद रखना या फिर यह ब्लॉग बुलेटिन पढ़ लेना </a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-71588695679218766122012-05-26T22:43:53.849+05:302012-05-26T22:43:53.849+05:30कोफ़्त होती है इन सबको देखकर और इन्हें देखते हुओं ...कोफ़्त होती है इन सबको देखकर और इन्हें देखते हुओं को देखकर भी, मैं तो खुद को सैडिस्टिक ही माने बैठा था लेकिन हौंसला हुआ कि अकेला नहीं हूँ|संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-37190156489498697342012-05-26T22:37:37.311+05:302012-05-26T22:37:37.311+05:30बाप रे बाप इतने मँहगे खिलौने, हमें तो लगा कि वे दे...बाप रे बाप इतने मँहगे खिलौने, हमें तो लगा कि वे देश सेवा कर रहे थे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-77834600580894108322012-05-26T21:46:22.659+05:302012-05-26T21:46:22.659+05:30बहुत सटीक आलेख,,,,,
MY RECENT POST,,,,,काव्यान्जल...बहुत सटीक आलेख,,,,,<br /><br />MY RECENT POST,,,,,<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post_23.html" rel="nofollow">काव्यान्जलि,,,,,सुनहरा कल,,,,,</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-74363648251544919412012-05-26T21:30:53.217+05:302012-05-26T21:30:53.217+05:30सामयिक सटीक आलेख...बहुत बहुत बधाई...सामयिक सटीक आलेख...बहुत बहुत बधाई...प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' https://www.blogger.com/profile/03784076664306549913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-27083827729796468702012-05-26T21:01:11.396+05:302012-05-26T21:01:11.396+05:30@अली सा,
आपकी टिप्पणी हमारा सदा हौसला बढाती है!!@अली सा,<br />आपकी टिप्पणी हमारा सदा हौसला बढाती है!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-31881709346580533512012-05-26T21:00:08.749+05:302012-05-26T21:00:08.749+05:30@देवेन्द्र पाण्डेय:
एवरेस्ट पर लिफ्ट और वक्त के हा...@देवेन्द्र पाण्डेय:<br />एवरेस्ट पर लिफ्ट और वक्त के हाथों झुनझुने.. क्या बात कही है!! आभार!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-23133112324710780272012-05-26T20:45:52.384+05:302012-05-26T20:45:52.384+05:30यह मानव का स्वभाव है कि वह खिलौनो से खेलना चाहता ह...यह मानव का स्वभाव है कि वह खिलौनो से खेलना चाहता है। खिलौनो से खेलना बुरा नहीं, बुरा तो तब है जब खिलौने उससे खेलने लगते हैं।<br /><br />पूँजीपतियों के पास पूँजी है तो वे रेत में बालू के घर तो बनायेंगे नहीं। चाहेंगे एवरेस्ट में चढ़ने के लिए लिफ्ट लग जाय। जो दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में रात दिन खटते रहते हैं वे भला कैसे खेलेंगे खिलौनो से? वे तो स्वयम् वक्त के हाथों झुनझुने हैं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-82791505779430394992012-05-26T20:33:55.297+05:302012-05-26T20:33:55.297+05:30लोगों के पास पैसा है, देख रहे हैं, दिखा रहे हैं।लोगों के पास पैसा है, देख रहे हैं, दिखा रहे हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-45480613007726704262012-05-26T18:02:56.201+05:302012-05-26T18:02:56.201+05:30संवेदना के स्वर बंधुओ ,
किसी खेल / विधा की लोकप्रि...संवेदना के स्वर बंधुओ ,<br />किसी खेल / विधा की लोकप्रियता में व्यवसाय की तलाश अस्वाभाविक नहीं है और ना ही किसी नये व्यवसाय में अपने ही घर के किसी सदस्य को आगे बढ़ा देना कोई नई बात या अनहोनी !<br /><br />फिर भी ये आलेख , बड़े व्यावसायिक घरानों की इस खास प्रवृत्ति पर गुदगुदाहट करते हुए , खरोंच मार जाता है ! ये खरोंच ही इस आलेख की सफलता है !<br /><br />अनुवादक(गण) और प्रस्तोता(ओं) को खास शुभकामनायें :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-12821372428433944342012-05-26T16:31:12.931+05:302012-05-26T16:31:12.931+05:30waqayi ye bada zabardast aalekh hai!waqayi ye bada zabardast aalekh hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-49151818292459008762012-05-26T16:28:25.475+05:302012-05-26T16:28:25.475+05:30सच्ची में ये अमीरों के खिलौने ही हैं जो गरीबों का ...सच्ची में ये अमीरों के खिलौने ही हैं जो गरीबों का खून चूस रहे हैं और वे गरीब समझते हैं कि उनका मनोरंजन हो रहा है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-3901631417166393742012-05-26T16:02:06.800+05:302012-05-26T16:02:06.800+05:30यही चरित्र है पूंजीवाद का...यही चरित्र है पूंजीवाद का...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com