tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post3717224977289908873..comments2023-10-18T21:03:23.343+05:30Comments on सम्वेदना के स्वर: क्या कल्कि अवतार ही आखिरी उम्मीद है??सम्वेदना के स्वरhttp://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-70827908277657459212012-07-12T12:48:02.920+05:302012-07-12T12:48:02.920+05:30वर्तमान युग में पूर्ण रूप से धर्म के मार्ग पर चलना...वर्तमान युग में पूर्ण रूप से धर्म के मार्ग पर चलना किसी भी मनुष्य के लिए कठिन कार्य है । इसलिए मनुष्य को सदाचार के साथ जीना चाहिए एवं मानव कल्याण के बारे सोचना चाहिए । इस युग में यही बेहतर है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-6782896360658596612012-07-07T20:20:37.908+05:302012-07-07T20:20:37.908+05:30अवतार तो हिमाचल प्रदेश मेँ हो चुका है पर जब तक मनु...अवतार तो हिमाचल प्रदेश मेँ हो चुका है पर जब तक मनुष्य के शरीर की खाक पूरी तरह नही उड़ जाती तब तक सँसार मेँ प्रेम नही फैलेगा । और प्रेम ही अधर्म का नाश करता है ।Rohankanthttps://www.blogger.com/profile/17219959571598417515noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-55885732578791945212012-07-02T22:07:35.486+05:302012-07-02T22:07:35.486+05:30सत्य, न्याय और नीति को धारण करके समाज सेवा करना पु...सत्य, न्याय और नीति को धारण करके समाज सेवा करना पुलिस का व्यक्तिगत धर्म है । अपराधियों को पकड़ना पुलिस का सामाजिक धर्म है, चाहे पुलिस को अपराधी को पकड़ने के लिए असत्य एवं अनीति का सहारा क्यों न लेना पड़े ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-42481908974950459802012-06-26T12:09:34.372+05:302012-06-26T12:09:34.372+05:30धर्म- सत्य, न्याय एवं नीति को धारण करके उत्तम कर्म...धर्म- सत्य, न्याय एवं नीति को धारण करके उत्तम कर्म करना व्यक्तिगत धर्म है । धर्म के लिए कर्म करना, सामाजिक धर्म है । धर्म पालन में धैर्य, विवेक, क्षमा जैसे गुण आवश्यक है । <br />ईश्वर के अवतार एवं स्थिरबुद्धि मनुष्य सामाजिक धर्म को पूर्ण रूप से निभाते है । लोकतंत्र में न्यायपालिका भी धर्म के लिए कर्म करती है ।<br />धर्म संकट- सत्य और न्याय में विरोधाभास की स्थिति को धर्मसंकट कहा जाता है । उस परिस्थिति में मानव कल्याण व मानवीय मूल्यों की दृष्टि से सत्य और न्याय में से जो उत्तम हो, उसे चुना जाता है । <br />अधर्म- असत्य, अन्याय एवं अनीति को धारण करके, कर्म करना अधर्म है । अधर्म के लिए कर्म करना भी अधर्म है ।<br />कत्र्तव्य पालन की दृष्टि से धर्म (किसी में सत्य प्रबल एवं किसी में न्याय प्रबल) -<br />राजधर्म, राष्ट्रधर्म, मंत्रीधर्म, मनुष्यधर्म, पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, पुत्रीधर्म, भ्राताधर्म इत्यादि ।<br />जीवन सनातन है परमात्मा शिव से लेकर इस क्षण तक एवं परमात्मा शिव की इच्छा तक रहेगा ।<br />धर्म एवं मोक्ष (ईश्वर के किसी रूप की उपासना, दान, तप, भक्ति, यज्ञ) एक दूसरे पर आश्रित, परन्तु अलग-अलग विषय है । <br />धार्मिक ज्ञान अनन्त है एवं श्रीमद् भगवद् गीता ज्ञान का सार है ।<br />राजतंत्र में धर्म का पालन राजतांत्रिक मूल्यों से, लोकतंत्र में धर्म का पालन लोकतांत्रिक मूल्यों से होता है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-71395828113922212912012-05-26T00:57:57.145+05:302012-05-26T00:57:57.145+05:30Vartmaan ka Sahi anklan ... Par samasya ka hal Bhi...Vartmaan ka Sahi anklan ... Par samasya ka hal Bhi isi ke beech se niklega ... Koi insaan hi khada hoga netratv dene ke liye .... Ye nahi pata kab ... par hoga jaroor ..दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-85631809948987612662012-05-24T21:38:45.597+05:302012-05-24T21:38:45.597+05:30मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , ...मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , जिससे कि कल्कि भगवान शीघ्र अवतार लेकर अवतरित हों|आलोकnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-41204474658809207652012-05-24T21:37:05.345+05:302012-05-24T21:37:05.345+05:30मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , ...मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , जिससे कि कल्कि भगवान शीघ्र अवतार लेकर अवतरित हों|आलोकnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-29868142810447017902012-05-24T21:37:05.159+05:302012-05-24T21:37:05.159+05:30मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , ...मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , जिससे कि कल्कि भगवान शीघ्र अवतार लेकर अवतरित हों|आलोकnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-38163916959942133512012-05-24T21:37:04.175+05:302012-05-24T21:37:04.175+05:30मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , ...मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , जिससे कि कल्कि भगवान शीघ्र अवतार लेकर अवतरित हों|आलोकnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-9503127451723246742012-05-24T21:36:57.967+05:302012-05-24T21:36:57.967+05:30मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , ...मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , जिससे कि कल्कि भगवान शीघ्र अवतार लेकर अवतरित हों|आलोकnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-71073597294885256022012-05-24T21:34:27.088+05:302012-05-24T21:34:27.088+05:30मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , ...मैं तो चाहता हूँ कि मनुष्य का पतन और तेजी से हो , जिससे कि कल्कि भगवान शीघ्र अवतार लेकर अवतरित हों|आलोकnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-75003227960999505232012-05-17T11:42:29.650+05:302012-05-17T11:42:29.650+05:30किसी दैवी चमत्कार की आशा करना निष्क्रियता व निराश...किसी दैवी चमत्कार की आशा करना निष्क्रियता व निराशा की पराकाष्ठा ही है । किन्तु जिस व्यापकता के साथ अनाचार फैला है उसके उन्मूलन के लिये चमत्कार नही तो दृढता ,एकता व संकल्प सहित एक लम्बी लडाई लडनी होगी । वह भी अवतार ही कहा जाएगा ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-64134798106244199622012-05-16T07:46:04.274+05:302012-05-16T07:46:04.274+05:30अवतार भी सोच रहे होगें इस महौल मे अव्तरित कैसे होअवतार भी सोच रहे होगें इस महौल मे अव्तरित कैसे होdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-54015181758450946112012-05-15T00:31:39.903+05:302012-05-15T00:31:39.903+05:30झकझोर देने वाला आलेख...झकझोर देने वाला आलेख...लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-27826447926589878632012-05-13T10:27:12.475+05:302012-05-13T10:27:12.475+05:30संवेदना का स्वर आज मुखर होकर देश के सामने आई कठिन...संवेदना का स्वर आज मुखर होकर देश के सामने आई कठिन परिस्थितियों का ब्यौरा देश के सामने रख सका है. इसके लिये आप दोनों का बहुत आभार.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-59327032633910126892012-05-13T08:04:57.555+05:302012-05-13T08:04:57.555+05:30इन्ही हालातों के लिए ही कल्कि की अवधारणा सामने आई ...इन्ही हालातों के लिए ही कल्कि की अवधारणा सामने आई .मगर क्या वही तारणहार होगा ? <br />मनुष्य का पौरुष चुक गया ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-84358453452611566922012-05-12T12:37:28.894+05:302012-05-12T12:37:28.894+05:30अब सच तो यह है कि अपन अपनी जिंदगी के साल गिन रहे ह...अब सच तो यह है कि अपन अपनी जिंदगी के साल गिन रहे हैं, वे कितने बचे हैं। दस,पंद्रह या अधिक से अधिक पच्चीस साल। और इतने में तो कोई चमत्कार होता नजर नहीं आता।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-72133591165153742142012-05-11T22:54:49.874+05:302012-05-11T22:54:49.874+05:30इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट क...<a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/05/blog-post_11.html" rel="nofollow">इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - जस्ट वन लाइनर जी</a>ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-7192325349641034402012-05-11T21:04:29.342+05:302012-05-11T21:04:29.342+05:30कहते हैं जहाँ इंसानी दिमाग चलना बंद हो जाता है तो ...कहते हैं जहाँ इंसानी दिमाग चलना बंद हो जाता है तो उसके बाद ईश्वरीय सत्ता ही अपने वजूद का अहसास करवा देती है - जिसे चमत्कार कहते हैं ...<br /><br /><br />फिजा में ही बेशर्मी घूल गई है, नहीं, पूरा समाज ही बेशर्म हो चूका है, आज रिश्वत देना भी एक प्रतिष्ठा बन गयी है.<br /><br />अपने अवैध निर्मान को कितने पैसे दे कर नियमित करवाया - ये किसी भी छुटभैये बिल्डर से पूछ लो, छाती ठोक कर जवाब देगा.<br /><br />गंगोत्री बह रही है साहेब, उपर से नीचे तक.... दुबकी सभी लगा रहे हैं, और जो नहीं लगा पा रहे वो कायर कहलाये जा रहे हैं.<br /><br />बहुत दिनों बाद - एक विचारोतेज़क प्रस्तुति के लिए साधुवाद.<br /><br />सवेदना कभी शुन्य नहीं होती, और गर शुन्य हो भी जाए तो उसमे से भी स्वर फूटते हैं..दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-214098522961835942012-05-11T20:11:18.430+05:302012-05-11T20:11:18.430+05:30सलिल भाई, जब यह प्रश्न उठाया जाता है, तो इसे कह दि...सलिल भाई, जब यह प्रश्न उठाया जाता है, तो इसे कह दिया जाता है कि यथा प्रजा तथा राजा। इसका सारा ठीकरा जनता के ऊपर फोड़ दिया जाता है। और इस बात से न चाहते हुए भी मैं सहमत हूँ। क्योंकि लोभ ही भ्रष्टाचार का केन्द्र है और हम जनता नेताओं के द्वारा दिए गए प्रलोभन में हम जनता कभी जाति के नाम पर, कभी धन लेकर, तो कभी अन्य प्रलोभन में आकर अपना वोट इन्हें देते हैं। <br />1998 या 1999 में तदानीन्तन मुख्य सतर्कता आयुक्त श्री विट्ठल साहब का एक लेख Indian Express में छपा था। इसमें उन्होंने लिखा था कि भ्रष्ट लोगों ने पहले संस्थानों को भ्रष्ट किया और फिर उसका संस्थानीकरण (Institutionalization) किया।<br />रही अवतार की बात तो इसमें सन्देह नहीं की प्रजा की विकल चेतना ही एक अवतार का रूप लेती है।<br /> हाँ, एक बात कहूँगा कि श्रीमद्भागवत पुराण में सूत्र (Aphorisms) नहीं हैं, बल्कि श्लोक हैं।<br /><br /> संवेदना के स्वर आज पहली बार पढ़ा। आपका लेख काफी वैचारिक, ओजपूर्ण एवं सूचनाप्रद है। इसे पढ़कर आनन्द आ गया।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-11466467504295049792012-05-11T09:59:10.016+05:302012-05-11T09:59:10.016+05:30कैसा हो जो हर आम आदमी खुद को कल्कि मान ले और कर दे...कैसा हो जो हर आम आदमी खुद को कल्कि मान ले और कर दे इन का अंत !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-70926937418222708212012-05-11T09:23:19.435+05:302012-05-11T09:23:19.435+05:30Welcome back! Bhrasht rajneetee to chaltee hee rah...Welcome back! Bhrasht rajneetee to chaltee hee rahegee!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-55154216876511455642012-05-11T08:12:08.139+05:302012-05-11T08:12:08.139+05:30काश यह धुंध छटे।काश यह धुंध छटे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-18739679009371473592012-05-11T07:10:10.921+05:302012-05-11T07:10:10.921+05:30बात तो सही ही कही है। तेवर बिंदास। :)बात तो सही ही कही है। तेवर बिंदास। :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-63999032333755729942012-05-11T06:25:08.560+05:302012-05-11T06:25:08.560+05:30...इसीलिए पिछले साल जब अन्ना का प्रादुर्भाव हुआ तो......इसीलिए पिछले साल जब अन्ना का प्रादुर्भाव हुआ तो उन्हें अपार समर्थन मिला,पर हमारे सिस्टम का कमीनापन इतना ज़्यादा बढ़ चुका है कि उनके उठाये मुद्दे कहीं पीछे धकेल दिए गए हैं.<br />सत्ता और तंत्र से लड़ने का मतलब है आप एक पूरी व्यवस्था से लड़ रहे हैं और अफ़सोस कि इस लड़ाई में हमारे ही अपने सामने हैं,महाभारत की तरह !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.com