tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post4761621846528549492..comments2023-10-18T21:03:23.343+05:30Comments on सम्वेदना के स्वर: क्या अंक ज्योतिष झूठ है ?सम्वेदना के स्वरhttp://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-24696976888994056492011-05-01T19:49:54.759+05:302011-05-01T19:49:54.759+05:30बहुत अच्छी जानकारी । दिल के बहलाने को गालिब ये खया...बहुत अच्छी जानकारी । दिल के बहलाने को गालिब ये खयाल( अंक ज्योतिष )अच्छा है ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-10304436660918035022010-11-03T23:16:45.507+05:302010-11-03T23:16:45.507+05:30ज्योतिष विद्या के साथ एक दिक्कत यह है कि उसके लिए ...ज्योतिष विद्या के साथ एक दिक्कत यह है कि उसके लिए जन्म समय का ठीक-ठीक पता होना ज़रूरी होता है। कई लोगों के पास यह जानकारी नहीं होती किंतु भविष्य के प्रति उत्सुकता उनके मन में भी रहती है। संभवतः,अंक ज्योतिष का उद्गम इसलिए।<br />सामान्य ज्योतिष में,भविष्यफल विस्तृत और लिखित देने-लेने की परम्परा रही है। अंक ज्योतिष में ज्यादातर बातें जबानी होती हैं जो थोड़े समय बाद जातक को भी याद नहीं रह जाता। संभवतः,अंक ज्योतिष का बेतहाशा प्रसार इसलिए।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-78059997550191831902010-11-03T23:13:00.380+05:302010-11-03T23:13:00.380+05:30This comment has been removed by the author.कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-29868667783081142872010-10-31T23:33:55.714+05:302010-10-31T23:33:55.714+05:30बहुत अच्छी पोस्ट है ..वैसे कुछ लोंग तो नंबरों से क...बहुत अच्छी पोस्ट है ..वैसे कुछ लोंग तो नंबरों से काफी कुछ सही बताते हैं ..लेकिन अंधविश्वास नहीं करना चाहिए ...जिनको वाकई इस विद्या का ज्ञान है तो वो मात्र दिनांक या वर्ष से गणना नहीं करते ..समय आदि को भी महत्त्व देते हैं ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-87601781510533309472010-10-31T15:04:26.758+05:302010-10-31T15:04:26.758+05:30अपनी अपनी सोच और अपना अपना नजरिया है ... कोई लोग त...अपनी अपनी सोच और अपना अपना नजरिया है ... कोई लोग तो किसी भी बात में विश्वास नहीं करते .... वैसे पढने में मज़ा बहुत आता है .. और अगर अपनी फेवर में लिखा हो तो फिर बात ही क्या ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-28951130758885406942010-10-31T01:13:11.409+05:302010-10-31T01:13:11.409+05:30अंक ज्योतिष पर सार्थक चर्चा । सभी तर्क जँचे ।अंक ज्योतिष पर सार्थक चर्चा । सभी तर्क जँचे ।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-46813474070938018832010-10-30T17:01:08.527+05:302010-10-30T17:01:08.527+05:30दुकान चलाने के धंधे हैं और क्या।
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सुनाम...दुकान चलाने के धंधे हैं और क्या।<br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">सुनामी: प्रलय का दूसरा नाम।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">चमत्कार दिखाऍं, एक लाख का इनाम पाऍं।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-43340476788841396612010-10-30T16:48:30.540+05:302010-10-30T16:48:30.540+05:30निशांत जी… आपने इस परिचर्चा में भाग लेकर इसे सार्थ...निशांत जी… आपने इस परिचर्चा में भाग लेकर इसे सार्थक किया. प्रश्न विज्ञान को लेकर भी उठ सकते हैं और उठते हैं, न्यूलैंड्स के पेरिओडिक टेबुल को नकारा जाना सिर्फ इसलिए कि वो संगीत के सुरों की बात करता था, जो विज्ञान को स्वीकार्य नहीं था, बाद में मेंडेलीव को मान्यता दिया जाना, जिसने उसी संगीत वाली बात को घुमाफिराकर कह दिया था, तथाकथित वैज्ञानिक शब्दों में. ऐक्टिनाइड और लैंथेनाइड सिरीज़ आदि कई अवधाराणाएँ हैं जो (कु)तर्क द्वारा सिद्ध हुईं. <br />ज्योतिष तो उस पंचांग पर आधारित है जो “अवैज्ञानिक” होकर भी सूर्य चंद्र ग्रहण और ग्रहों की चाल का सटीक अंदाज़ा लगाता है. अगर शुरू से ही यह विषय भी पाठ्यक्रम में होता,तो आज हम इसपर भी उतना ही विश्वास कर रहे होते, किसी भी विज्ञान पर. <br />मेरा आशय सिर्फएक तार्किक वक्तव्य प्रस्तुत करने का है, इसलिए कृपया इसे अन्यथा न लेंगे!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-21996478296081665752010-10-30T16:15:20.468+05:302010-10-30T16:15:20.468+05:30निशांत भाई दूसरी तरफ भी बहुत सारे तर्क हैं और उन्ह...निशांत भाई दूसरी तरफ भी बहुत सारे तर्क हैं और उन्हें समझे बिना कुछ कहना वैज्ञानिक तो बिल्कुल नहीं हैं। <br /><br />हाँ, ज्योतिष के नाम पर चल रहे इस मदारीपनें के हम सख्त खिलाफ हैं, हमारे इस लेख के तेवर भी यह ब्यान करते हैं। ये अलग बात है कि आपका तथाकथित बुद्धीजीवी मीडिया ऐसे मदारीओं को अपने स्टूडियों में बैठा कर दिन रात अन्धविश्वास बड़ा रहा है।सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-78236618700123527162010-10-30T16:14:45.862+05:302010-10-30T16:14:45.862+05:30ज़्योतिष के बारे में इतना और कहना है कि यह वह खोई ह...ज़्योतिष के बारे में इतना और कहना है कि यह वह खोई हुई विधा है, जिसका पिछले करीब 600-800 वर्ष के कालखण्ड में तो कोई खेवनहार नहीं रहा, जिस तरह अन्य विषयों को प्रश्रय मिला उस मायने में तो बिलकुल नहीं। इसे अपने पठन पाठन के विषयों में शामिल करने की आवश्यक्ता है। Throwing the baby with bath water जैसी बात ठीक नहीं लगती। आज इतने सारे नये विषयों पर हम शोध कर रहें है नये नये विषय उभर कर आ रहें हैं ऐसे में ज्योतिष को बकवास कहकर नकार देने की समझ हमारी वैज्ञानिक सोच के दायरे में नहीं आती है। <br />नये ग्रहों जैसे हर्शल, नैप्च्यून, प्लूटो को आधुनिक ज्योतिष नें स्वीकारा भी है, राहू-केतू को ज्योतिष में छाया ग्रह माना गया है और यह हमेशा एक दूसरे से 180 डिर्ग्री के अंतर पर रहते हैं इसका कारण यह है कि यह कोई स्थूल ग्रह नहीं है वरन यह 3-डी में स्थित सूर्य और चन्द्र्मा की कक्षाये हैं जो एक दूसरे को काटती हैं। भारतीय विधा भवन, कस्तूरबा गाधीं मार्ग, नई दिल्ली स्थित संस्थान में ज्योतिषीय-खगोल पर ऐसी बहुत सारी शोधात्मक पुस्तकें उप्लब्ध हैं जिनमें इन सब बातों को वैज्ञानिक रूप से समझया गया है। <br /><br />....जारीसम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-12491834229699238762010-10-30T16:13:05.958+05:302010-10-30T16:13:05.958+05:30प्रिय निशातं भाई!
अनंत के रहस्यों की हमारी खोज भी...प्रिय निशातं भाई! <br />अनंत के रहस्यों की हमारी खोज भी, वस्तुत: नास्तिक की खोज ही हैं और हम शायद अपने आपको इतना बड़ा नास्तिक मानते हैं कि विज्ञान की कुव्वत पर भी बार बार शक करते हैं। <br />विज्ञान भी अपनी अवधारणाओं में बार-बार सुधार करता है। न्यूटन नें कहा जो चीज़ उपर जाती है वो नीचे आती है। फिर बाद में पता चला के escape velocity भी एक चीज़ होती है और यदि 11.2 किलोमीटर प्रति सकेंड से उपर फेकीं जाये तो वापस नहीं आयेगी। प्रकाश को पदार्थ और उर्जा दोनों श्रेणी में रख कर समझने की कोशिश अभी चल रही है। अभी भी एक खोज होती है और तभी दूसरी उसको नकारती हुई आ जाती है, पर विज्ञान अपनी समझ बड़ाता हुआ चलता है। <br /><br />....जारीसम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-76849024311809166392010-10-30T15:26:32.662+05:302010-10-30T15:26:32.662+05:30uff sir aapke tark ne to mere dimag ka beda gark k...uff sir aapke tark ne to mere dimag ka beda gark kar diya...:(<br /><br />peechhle dino hi maine apne bete "yash kirti sinha" ko numberlogy ke adhar par "yash kritii sinha" kiya tha.........!!<br /><br />par aapke baato me damm hai!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-48041042916887729872010-10-30T14:02:00.621+05:302010-10-30T14:02:00.621+05:30प्रिय संवेदना बंधु द्वय, मैं आपके ज्ञान को किसी प्...प्रिय संवेदना बंधु द्वय, मैं आपके ज्ञान को किसी प्रकार से कम नहीं आंकता परन्तु ज्योतिष की प्राचीन संहिताओं के लिखे जाने के बाद के सैंकड़ों सालों में खगौलिक स्तर पर नक्षत्रों और ग्रहों आदि के सम्बन्ध में मानव ने अभूतपूर्व ज्ञान अर्जित किया है. यदि आज भी आपकी गणनाएं प्राचीन पद्धतियों पर आधारित हैं तो वे दोषपूर्ण हैं.<br />मिसाल के तौर पर प्राचीन नेत्र कुछ नक्षत्र समूहों को ही भली प्रकार देख पाए और आधुनिक विज्ञानं ने और भी कई नक्षत्र और गृह ढूंढ निकाले. क्या ये नवीन गृह और नक्षत्र मनुष्य पर प्रभाव नहीं डालेंगे?<br />और राहू-केतु जैसे काल्पनिक पिंड मनुष्य पर प्रभाव कैसे डालते हैं इसका उत्तर भी ज्योतिष में गोल-गोल ही है जैसे इस सवाल का कि एक ही अस्पताल में एक ही समय में जन्म लेने वाले बच्चों का भाग्य कितना समान होना चाहिए.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-17950954917866654202010-10-30T12:35:59.943+05:302010-10-30T12:35:59.943+05:30@ Zeal/Divya ji
Point well taken!@ Zeal/Divya ji<br /><br />Point well taken!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-73455209276622875992010-10-30T12:18:23.825+05:302010-10-30T12:18:23.825+05:30.
I believe in all the sciences existing on earth....<br /><br />I believe in all the sciences existing on earth. Having blind faith is not my domain. But yes , I believe in numerology. I find it very interesting as well. <br /><br /> Most of my observations about people , based on the their number has come true. And yes, it helps me in knowing a person, his nature, attitude, likes , inclination and so many aspects about him. <br /><br />Yesterday I met a person here in Bangkok . After a brief interaction , I asked him " Are you a 'Three' number and he smiled. Then he asked me - are you a 'two' number ? I smiled back at him. <br /><br />This is called faith, observation and reading. <br /><br />We both enjoyed the science perfectly we believe in . <br /><br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-81281099679858994342010-10-30T11:29:12.607+05:302010-10-30T11:29:12.607+05:30@ निशांत मिश्र जी
इसी लेख में हमने यह भी कहा है ...@ निशांत मिश्र जी <br /><br />इसी लेख में हमने यह भी कहा है कि “ ज्योतिषीय गणनाएँ पूर्णतः खगोलीय सिद्धांतों पर आधारित होती हैं, फिर भले ही फलित ज्योतिष को अवैज्ञानिक कहा जाये।“<br /><br />भारतीय ज्योतिष के दो भाग हैं, “गणित” और “फलित” । जन्म कुंडली जिस तरह सम्पूर्ण खगोलीय ज्ञान पर बनायी जाती है उसका हमने विधिवत अध्य्यन किया है देश के प्रतिष्ठित भारतीय विधा भवन, संस्थान दिल्ली में। और अभी तक अपनी “वैज्ञानिक बुद्धि” का तो यही निष्कर्ष है कि इसका गणित वाला भाग वैज्ञानिक है परंतु “फलित” वाला भाग वृहतपाराशर होरा शास्त्र आदि ग्रंथो पर आधारित है और उसके सूत्रों की जाचं के लिये अभी भी गहन शोध और डाटा कलेक्शन की आवश्यक्ता है, इस कारण उसे एकदम नकार देना घोर अवैज्ञानिक कृत्य हो जायेगा।सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-2433663307871605652010-10-30T06:28:29.117+05:302010-10-30T06:28:29.117+05:30.
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चाहे फलित ज्योतिष हो या न्यूमरोलोजी... अच्छा....<br />.<br />.<br />चाहे फलित ज्योतिष हो या न्यूमरोलोजी... अच्छा टाईमपास है... इस से ज्यादा न कुछ इनमें है और न ही मानना चाहिये!<br /><br /><br />...प्रवीण https://www.blogger.com/profile/14904134587958367033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-17807668493382211922010-10-30T00:59:34.407+05:302010-10-30T00:59:34.407+05:30संवेदना के स्वर , बंधुओ ,
तुलनात्मक रूप से आपने अप...संवेदना के स्वर , बंधुओ ,<br />तुलनात्मक रूप से आपने अपनी बात कही ! पता नहीं कैसे कुछ अंक मेरे जीवन में बार बार आये ! शायद इसलिये कि वे तो केवल १ से ९ ही हैं और घटनाएं बहुतेरी , तो फिर आये बिना जाते कहाँ :)<br />टीवी पर ज्योतिषियों के गेटअप पर मैंने भी लिखा था कभी :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-80329970895616748222010-10-30T00:59:06.248+05:302010-10-30T00:59:06.248+05:30This comment has been removed by the author.उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-84011326982528117092010-10-29T23:34:15.265+05:302010-10-29T23:34:15.265+05:30सार्थक पोस्ट..अपने अपने विश्वास है लोगों के. कई बा...सार्थक पोस्ट..अपने अपने विश्वास है लोगों के. कई बार कम से कम मानसिक सहारा तो मिल ही जाता है. आत्मविश्वास भी बढ़ जाता है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-45899781509144312862010-10-29T22:27:57.885+05:302010-10-29T22:27:57.885+05:30जी हाँ.
पहले तो यही तय कर लिया जाय कि परम्परावादी ...जी हाँ.<br />पहले तो यही तय कर लिया जाय कि परम्परावादी भारतीयों को अपना जन्मदिन कि पद्धति से मानना चाहिए, पारंपरिक हिन्दू कैलेण्डर को (जो भिन्न-भिन्न हैं) या आधुनिक कैलेण्डर को. मेरे जीवन को वर्त्तमान में जो तिथियाँ नियंत्रित करती हैं वे आधुनिक है परन्तु मेरे घर में ही बहुत सी बातों के लिए पारंपरिक कैलेण्डर को आगे कर देते हैं.<br />फिर यह लोचा कि जन्मतिथि मात्र मानी जाय या जन्मतिथि, महीने, और वर्ष के अंकों का जोड़, इसमें भी कई विधियाँ हैं जिनसे योग पृथक आता है.<br />फिर इसमें वर्णमाला के अक्षरों को भी शामिल कर लेना पचड़े को और ज्यादा बढ़ा देता है.<br />आपकी पोस्ट की अधिकांश बातों से सहमत हूँ केवल अंतिम पैरा को छोड़कर जिसमें आपने कहा है कि ज्योतिष का खगौलिक आधार है. इसे आधुनिक space science के नज़रिए से थोडा स्पस्ट कर दें.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-29540869609778396692010-10-29T22:21:14.479+05:302010-10-29T22:21:14.479+05:30अंक ज्योतिष का तो नहीं ज्ञान लेकिन मैं ९९ के चक्कर...अंक ज्योतिष का तो नहीं ज्ञान लेकिन मैं ९९ के चक्कर में जरुर पड़ा हूँ.. धनबाद में मकान नंबर ९९ था... यहाँ गाजिअबाद में प्लाट नंबर ९९ है.. कार का नंबर १७९९ है.. बाइक का नंबर ६५९९ है.. बैंक अकाउंट नंबर भी **********९९ है.. और पैर में चकरघिन्नी लगा हुआ है.. ९९ का चक्कर .. ज्यादा और ज्यादा.. चाहे कविता ही क्यों ना हो.. प्रेम ही क्यों ना हो.. और पैसा भी...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-84784301003351288352010-10-29T22:09:39.754+05:302010-10-29T22:09:39.754+05:30ऐसी सभी चीजें जो मानें, उनके लिये सच है, बाकियों क...ऐसी सभी चीजें जो मानें, उनके लिये सच है, बाकियों के लिये झूठ है। मुझे लगता है कि मनोवैज्ञानिक आधार ज्यादा है ऐसी बातों का।<br />सब इस बावरे मन के खिल हैं जी।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-32104279293329720492010-10-29T21:34:02.720+05:302010-10-29T21:34:02.720+05:30वैज्ञानिक आधार तो कुछ नहीं है ....मगर व्यक्तिगत तौ...वैज्ञानिक आधार तो कुछ नहीं है ....मगर व्यक्तिगत तौर पर ४ और ८ का अंक मेरे जीवन में बार बार आता है ! यह संयोग है या सत्य पता नहीं !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-37726092634834214552010-10-29T20:42:33.361+05:302010-10-29T20:42:33.361+05:30अगर नाम के अल्फ़ाज़ों में हेरफ़ेर करके और यहां तक की ...<b>अगर नाम के अल्फ़ाज़ों में हेरफ़ेर करके और यहां तक की नाम बदलने के बाद तकदीर बदल जाती और एक नाकामयाब इंसान कामयाब बन जाता तो दुनिया में से गरीबी, बेबसी, बेरोज़गारी वगैरह वगैरह सब खत्म हो जाता...<br /><br />=================<br /><a href="http://blog.simplycodes.com/2010/10/blog-post.html" rel="nofollow">"दहशतगर्द कौन और गिरफ्तारियां किन की, अब तो सोचो......! "</a><br /><br /><a href="http://islam.simplycodes.com/2010/10/download-quran-hindi-translation-in-mp3.html" rel="nofollow">"कुरआन का हिन्दी अनुवाद (तर्जुमा) एम.पी.थ्री. में "</a><br /><br /><a href="http://simplycodes.com" rel="nofollow">Simply Codes</a><br /><br /><a href="http://management.simplycodes.com" rel="nofollow">Attitude | A Way To Success</a><br /></b>काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arifhttps://www.blogger.com/profile/09323578684464948830noreply@blogger.com