tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post5221054997092055682..comments2023-10-18T21:03:23.343+05:30Comments on सम्वेदना के स्वर: पीपली [लाइव]: मीडिया का स्टिंग ऑपरेशनसम्वेदना के स्वरhttp://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-48755966300952276052010-08-27T22:21:47.015+05:302010-08-27T22:21:47.015+05:30चर्चाकारों से कोई भी चर्चा गंभीर होकर भी रोचक और प...चर्चाकारों से कोई भी चर्चा गंभीर होकर भी रोचक और पठनीय बन जाती है, पूरी टीम को बधाई.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-46005817897418874292010-08-22T15:58:40.214+05:302010-08-22T15:58:40.214+05:30हम त टीवी पर समाचार देखने बंद कर चुके थे. अखबार तन...हम त टीवी पर समाचार देखने बंद कर चुके थे. अखबार तनी मनी देख लिए बस हो गया.. काहे कि न्यूज के नाम पर समय का जो अब्यूज ई चैनेल वाला करता है ऊ हमसे बर्दास्त नहीं होता है..एतना टाइम में त हम केतना नीमन काम कर लेंगे. ई सिनेमा देखने के बाद बुझाया कि ई फीलिंग खाली हमरा नहीं है बल्कि बहुत सा समझदार लोग भी ओही सोचता है.. पीपली लाइव में त मीडिया को कलम से पजामा में नाड़ा डालने के काबिल भी नहीं छोड़ा है. अगर ई सिनेमा आमिर खान के बैनर का नहीं होता त मीडीया इसको भी गुमनामी का मौत दे देता, लेकिन आमिर के नाम से (बद)नाम होकर भी जुड़ने में ई लोग को नाम देखाई दे रहा है...चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-74532123514417679482010-08-22T13:59:49.970+05:302010-08-22T13:59:49.970+05:30बेहतरीन चर्चा।
सोनी गर्ग के पैनल में आने से चर्चा...बेहतरीन चर्चा। <br />सोनी गर्ग के पैनल में आने से चर्चा और धारदार हो गई है।<br />सार्थक बहस चलाने पर बधाई स्वीकार करें।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-86963040588640701572010-08-22T13:11:12.556+05:302010-08-22T13:11:12.556+05:30क्या हमारा मीडिया इस फिल्म से प्रेरणा लेकर खबरों क...क्या हमारा मीडिया इस फिल्म से प्रेरणा लेकर खबरों को अपने सही अर्थ में प्रस्तुत करने का साहस दिखाएगा या यूँ ही देश की आम जनता को सूचना के नाम पर फिल्म स्टार्स,क्रिकेट खिलाड़ियों की जिंदगी में ताँकझाँक और तांत्रिकों के झूठे कारनामों और अपराध की नाट्यनुमा करतूतों को अंजाम देता रहेगा और समाज की वास्तविक खबरों जिनमें वस्तुत: कोई खबर हो, सूचना हो, ज्ञानवर्धक जानकारी हो की तरफ अपना ध्यान देगा ?मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-44755804651401470332010-08-22T00:27:48.683+05:302010-08-22T00:27:48.683+05:30बढिया है.बढिया है.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-33426237419156071972010-08-21T20:37:00.814+05:302010-08-21T20:37:00.814+05:30देखनी ही पड़ेगी अब ये फिल्म :)देखनी ही पड़ेगी अब ये फिल्म :)राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-21967862391683101362010-08-21T20:12:16.477+05:302010-08-21T20:12:16.477+05:30आज देख ही आया -आप लोगों के विचार से शब्दशः सहमत हू...आज देख ही आया -आप लोगों के विचार से शब्दशः सहमत हूँ -मीडिया नहीं मार्केट /आर्थिकी के दबावों और व्यावसायिकता की अंधी दौड़ में तेजी से हो रहे मूल्यों की गिरावट को फिल्म ने बहुत ही प्रभावशाली तरीके से उभारा है -लांग लिव पिपली लाईव !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-3841074775023093272010-08-21T15:30:53.579+05:302010-08-21T15:30:53.579+05:30अब तो जरुरत ही नहीं पड़ेगी फिल्म देखने की .अब तो जरुरत ही नहीं पड़ेगी फिल्म देखने की .shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-6180457667760399372010-08-21T15:28:20.518+05:302010-08-21T15:28:20.518+05:30Bahut badhiya............
aaaj ke news me hi padha...Bahut badhiya............<br />aaaj ke news me hi padha do-media karmi pakre gaye........wo live telecast aatmdaah ka deekhane ke chakkar me.........kya jindagi hai......मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-67530671047434855552010-08-21T15:00:51.551+05:302010-08-21T15:00:51.551+05:30इतनी समीक्षा पढ़ लेना फिल्म देखने जैसा ही हो गया।इतनी समीक्षा पढ़ लेना फिल्म देखने जैसा ही हो गया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-75885856556988927532010-08-21T14:26:43.163+05:302010-08-21T14:26:43.163+05:30भारतीय मीडीया के दीवालिए पन को बहुत बारीकी से उठाय...भारतीय मीडीया के दीवालिए पन को बहुत बारीकी से उठाया गया है इस फिल्म में .... आयेमिर ख़ान बधाई के पात्र हैं इस लाजवाब फिल्म के लिए .... बहुत ग़ज़ब की समीक्षा करी है आपने ... फिल्म को अंदर बाहर सब तरफ से चीर फाड़ कर दिया है .... बहुत ही उम्दा ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-50965390901012509612010-08-21T10:22:03.311+05:302010-08-21T10:22:03.311+05:30मीडियाकर्मीयों से रह रह कर एक सवाल पूछने का मन होत...मीडियाकर्मीयों से रह रह कर एक सवाल पूछने का मन होता है कि अब क्यों साप सूंघ गया आप को ? इस फिल्म ने मीडिया के चाल चलन को लेकर जो आरोप लगायें है वो क्या किसी कामनवैल्थ घोटाले से कम हैं ? उन पर चर्चा क्यों नहीं करते? <br /><br />फिल्म राजनीति में कैटरीना के रोल में कभी इंदिरा और कभी सोनिया से मेल करा-करा जो सनसनी फैला रहे थें उसी तर्ज पर जरा बताओं तो कि "नदिता जी" का रोल किस मीडियाकर्मी से प्रभावित लगता है या उसके प्रतिद्वन्दी "दीपक" का रोल किस मीडियाकर्मी से प्रभावित लगता है ? <br /><br />है हिम्मत? हमें तो पता है सब.<br />परंतु इस बहाने आप मीडियाकर्मी लोगों का पालीग्राफी टैस्ट भी हो रहा है, करेंगें सच का सामना?<br /><br />-चैतन्यAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04783720659914391882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-28075725662705032362010-08-21T10:19:39.984+05:302010-08-21T10:19:39.984+05:30This comment has been removed by the author.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04783720659914391882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-4930736992506816682010-08-21T09:25:08.693+05:302010-08-21T09:25:08.693+05:30एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ ...एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !<br /><a href="http://blog4varta.blogspot.com/2010/08/4_21.html" rel="nofollow">आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !</a>शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-40798707325808025952010-08-21T08:27:12.212+05:302010-08-21T08:27:12.212+05:30@राजेश उत्साहीः
ऐसे ही मुम्बई में प्लेट्फॉर्म पर ए...@राजेश उत्साहीः<br />ऐसे ही मुम्बई में प्लेट्फॉर्म पर एक यात्री आती हुई ट्रेन के इंजन से टकरा गया था और उसकी वीडीयो फुटेज एक सहयात्री ने ली थी जिसने उस दिन नया नया वीडीयो कैमेरा ख़रीदा था. वो उस आदमी को बचाने के बजाए शूटिंग करता रहा ताकि टीवी चैनेल को फुटेज बेच सके. मीडिया द्वारा दिखाए गए लालच ने उसे सम्वेदनहीन बना डाला और उसने वो फुटेज कई चैनेल्स को बेची और ग़ायब हो गया.सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-29525854134706133472010-08-21T01:38:49.424+05:302010-08-21T01:38:49.424+05:30मैं तो कल जा रहा हूं देखने पीपली लाइव ताकि आगे की ...मैं तो कल जा रहा हूं देखने पीपली लाइव ताकि आगे की समीक्षा को जरा ठीक से समझ सकूं। <br />पर मूझे रहरहकर तीनचार साल पहले पंजाब की घटना याद आ रही है। जिसमें एक छोटे दुकानदार ने अपनी दुकान हटाए जाने के विरोध में सरे बाजार घोषणा करके अपने को आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। और इस घटना का सीधा प्रसारण लगभग सब चैनलों ने किया था। जिसमें वह दुकानदार लगभग आधा घंटा अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर घूमता रहा। चैनलों के कैमरामैंन कैमरा संभाले खड़े रहे। विडम्बना यह थी कि वे उसे जलता हुआ शूट करते रहे। किसी ने भी उसे आग लगाने से पहले रोकने की या बाद में आग से बचाने की कोशिश नही की। <br />यह फिल्म की नहीं हकीकत की कहानी है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-68452905705782960322010-08-21T00:51:21.890+05:302010-08-21T00:51:21.890+05:30भारतीय मीडीया की जड़ीभूत उँच-नीच, घनाधरित व्यावसाय...भारतीय मीडीया की जड़ीभूत उँच-नीच, घनाधरित व्यावसायिकता, दिवालियापन , आदि को इस अद्भुत प्रयोगात्मक चर्चा के माध्यम से बखूबी समझा जा सकता है। <br />लाजवाब प्रस्तुति।<br />मंगलवार को आने वाली अगली कड़ी का इंतज़ार है!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com