tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post6601241597008283163..comments2023-10-18T21:03:23.343+05:30Comments on सम्वेदना के स्वर: देख लूँ तो चलूँ – लम्हों की दास्तानसम्वेदना के स्वरhttp://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-32331932127899121912011-12-23T18:28:51.797+05:302011-12-23T18:28:51.797+05:30बहुत ही बेहतरीन समीक्षा है ......बहुत ही बेहतरीन समीक्षा है ......avanti singhhttps://www.blogger.com/profile/05644003040733538498noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-64289216081659926572011-03-09T13:59:38.828+05:302011-03-09T13:59:38.828+05:30ये फोटो मैंने आपके लैपटॉप पे देखी थी....और बाकी कि...ये फोटो मैंने आपके लैपटॉप पे देखी थी....और बाकी किताब की बात, तो पढ़ने वाला हूँ कुछ दिन में...मेरे घर में किताब पहुँच गयी है, बस मुझे मंगवाना है वहां से :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-88328880734019023682011-03-07T14:51:00.363+05:302011-03-07T14:51:00.363+05:30पढ़ी है मैंने ये किताब .. समीर भाई की लेखनी का जाद...पढ़ी है मैंने ये किताब .. समीर भाई की लेखनी का जादू कमाल कर रहा है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-58916219272846547732011-03-03T20:11:43.931+05:302011-03-03T20:11:43.931+05:30khushwant singh ji bala kissa pasand aya.khushwant singh ji bala kissa pasand aya.VIVEK VK JAINhttps://www.blogger.com/profile/15128320767768008022noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-64306306212627263242011-03-03T19:18:06.624+05:302011-03-03T19:18:06.624+05:30कांग्रेसी नेता इस बात का जी तोड़ प्रयत्न कर रहे है...कांग्रेसी नेता इस बात का जी तोड़ प्रयत्न कर रहे हैं कि किसी प्रकार से सत्ताधारी परिवार (दल नही परिवार) की छवि गरीबों के हितैषी के रूप मे सामने आए, इसके लिए वो छल छद्म प्रपंच इत्यादि का सहारा लेने से भी नही चूकते। इसकी जोरदार मिसाल आपको नीचे के चित्र मे मिल जाएगी<br />http://bharathindu.blogspot.com/2011/03/blog-post.html?showComment=1299158600183#c7631304491230129372Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-60185504120717087312011-03-02T16:57:06.349+05:302011-03-02T16:57:06.349+05:30बेहतरीन समीक्षाबेहतरीन समीक्षामुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-36776600162191437372011-03-01T21:18:36.307+05:302011-03-01T21:18:36.307+05:30बहुत ही crisp और रोचक समीक्षा है… जिज्ञासा बढाती ह...बहुत ही crisp और रोचक समीक्षा है… जिज्ञासा बढाती है उपन्यासिका की तरफ……Ravi Shankarhttps://www.blogger.com/profile/08004933931335889834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-86699626562076094732011-03-01T19:31:32.661+05:302011-03-01T19:31:32.661+05:30आपकी समीक्षा पर समीर लाल जी के खुद के कमेन्ट के बा...आपकी समीक्षा पर समीर लाल जी के खुद के कमेन्ट के बाद कहने को क्या शेष रहा !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-30133803867989426092011-03-01T16:29:03.811+05:302011-03-01T16:29:03.811+05:30पुस्तक तो अभी नहीं पढ़ी पर आधे से ज्यादा किस्से सभी...पुस्तक तो अभी नहीं पढ़ी पर आधे से ज्यादा किस्से सभी ने समीक्षा में पढ़ा दिए है और कुछ ब्लॉग पर पढ़ा चुकी हूँ | समीर जी की किताब की कई समीक्षाए पढ़ चुकी हूँ सब एक दुसरे से अलग होते है सबकी अपनी लेखन शैली का उसमे प्रभाव होता है आप की भी समीक्षा दूसरो से अलग है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-66114327148658323782011-03-01T16:07:35.421+05:302011-03-01T16:07:35.421+05:30बहुत ही सहजता से आपने लिखा है इस पुस्तक के बारे मे...बहुत ही सहजता से आपने लिखा है इस पुस्तक के बारे में. पुस्तक पढ़ने का आनंद कम्प्यूटर स्क्रीन पर कहाँ?सोमेश सक्सेना https://www.blogger.com/profile/02334498143436997924noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-47452209774017668882011-03-01T11:12:20.318+05:302011-03-01T11:12:20.318+05:30ये सच है के इस पुस्तक के अधिकांश अंश उनके ब्लॉग पर...ये सच है के इस पुस्तक के अधिकांश अंश उनके ब्लॉग पर हम पढ़ चुके हैं लेकिन इस पुस्तक को पढ़ते हुए कभी नहीं लगता के इसे दुबारा पढ़ रहे हैं...कथा का तारतम्य इस तरह से बनाये रखा है के पाठक बिना इसे ख़तम किये उठने की कोशिश भी नहीं कर पाता...मानव मन की गुत्थियों को जिस तरह वो खोलते चलते हैं उसे देख कर उनकी लेखनी पर रश्क होता है...कमाल के इंसान हैं तभी कमाल का लिख पाते हैं...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-79170220987633723602011-03-01T10:12:36.303+05:302011-03-01T10:12:36.303+05:30बेहतरीन समीक्षा।बेहतरीन समीक्षा।amrendra "amar"https://www.blogger.com/profile/00750610107988470826noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-55751502064951262332011-03-01T08:59:29.661+05:302011-03-01T08:59:29.661+05:30आपकी इस पुस्तक परिचायिका(पता नहीं यह सही शब्द है ...आपकी इस पुस्तक परिचायिका(पता नहीं यह सही शब्द है भी या नहीं? मतलब इंट्रोडक्टरी ) ने मुझमें पुस्तक को पढने की तत्क्षण लालसा बढ़ा दी है .....रही किस्सागोई के उस्ताद अपने खुशवंत दादा के संस्मरण की बात तो उनकी बातों का क्या कहना -मौजी हैं मौज लेते हैं .....कभी कभी नारी नितम्बों पर चिकोटी काटने और अक्सर नारी पात्रों से मिलन की उनकी आकांक्षाओं के विवरण यथार्थ का दामन छोड़ने लग जाते हैं ...अब अपने समीर भाई कहाँ इतने अफ़साने -मुन्तजिर हैं ? या हैं ?Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-80955990381120244112011-03-01T08:32:22.986+05:302011-03-01T08:32:22.986+05:30समीर लाल की कृति के कई अछूते पहलुओं पर आपने प्रकाश...समीर लाल की कृति के कई अछूते पहलुओं पर आपने प्रकाश डाला , समीर लाल जैसे सरल स्वभाव के लोग इस सम्मान के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं ! शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-3058539679941325442011-03-01T08:23:44.221+05:302011-03-01T08:23:44.221+05:30मैं भी इस पुस्तक को पढ़ने में लगी हूँ, काफी रोचक प्...मैं भी इस पुस्तक को पढ़ने में लगी हूँ, काफी रोचक प्रस्तुति है समीर जी की.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-53029417578976439632011-03-01T08:00:40.395+05:302011-03-01T08:00:40.395+05:30सुन्दर समीक्षा!सुन्दर समीक्षा!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-14251402679228988262011-03-01T03:09:53.682+05:302011-03-01T03:09:53.682+05:30सलील जी
आपसे मुलाकात के आत्मिक क्षण साथ सहेज कर ल...सलील जी<br /><br />आपसे मुलाकात के आत्मिक क्षण साथ सहेज कर ले आये हैं. एक सुखद अनुभूति है साथ साथ.<br /><br />यह बेहतरीन एवं उम्दा समीक्षा आपके स्नेह को दर्शाता है कि मेरी साधारण लेखनी इतनी उत्कृष्ट जान पड़ रही है.<br /><br />सदैव आभारी रहूँगा.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-25404740196824289842011-03-01T02:17:16.004+05:302011-03-01T02:17:16.004+05:30सादर सस्नेहाभिवादन !
सम्वेदना के स्वर पर आए इतना...सादर सस्नेहाभिवादन !<br /> <b><i>सम्वेदना के स्वर</i></b> पर आए इतना अंतराल हो गया कि एक झिझक-सी अनुभव हो रही है … आशा है , अनुपस्थिति के कारण रुष्ट नहीं हुए होंगे … हालांकि आपका भी <b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b> की ओर इस बीच आना नहीं हुआ …<br />जाल नाम शायद यहीं सार्थक होता है … उलझ जाते हैं इधर -उधर … :)<br /><br />कुछ बात पोस्ट से संबंधित हो जाए …<br /><b>देख लूं तो चलूं – लम्हों की दास्तान </b> के द्वारा आपने पुस्तक का सार संक्षेप में दे दिया है । वाकई समीक्षा का आपका अंदाज़ भा गया । <br /><b> </b> <br />अभी चार - पांच दिन पहले तो <b> समीर जी </b> ने डाक पता भेजने को कहा और <b> समीर जी की दोनों पुस्तकें आज डाक से मिल भी गई है </b>। <br />आपकी समीक्षा पढ़ने के बाद लगता है , पहले इस पुस्तक को प्राथमिकता से समय देना होगा … <br /><br />सुंदर पोस्ट के लिए आभार और बधाई !<br />♥<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ! <br /></a></b>♥ <br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-80841291295701963992011-02-28T23:24:07.924+05:302011-02-28T23:24:07.924+05:30Ab to ye upanyasika padhke hee chain milega!Ab to ye upanyasika padhke hee chain milega!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-40891551552315802282011-02-28T21:57:12.518+05:302011-02-28T21:57:12.518+05:30समीक्षा बहुत ही अच्छी है.
लगता है आधी किताब तो समी...समीक्षा बहुत ही अच्छी है.<br />लगता है आधी किताब तो समीक्षायों में ही पढ़ लूंगा.<br />शुक्रिया.विशालhttps://www.blogger.com/profile/06351646493594437643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-53894156251475353702011-02-28T21:47:58.653+05:302011-02-28T21:47:58.653+05:30mauka nahi mila ji padhne kamauka nahi mila ji padhne kaOM KASHYAPhttps://www.blogger.com/profile/13225289065865176610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-57383496107126649692011-02-28T20:33:11.426+05:302011-02-28T20:33:11.426+05:30पुस्तक की समीक्षा बहुत अच्छी लगी । आपने बहुत दिल स...पुस्तक की समीक्षा बहुत अच्छी लगी । आपने बहुत दिल से लिखा है । पढ़ते समय ऐसा लगा जैसे मैं स्वयं भी हाई-वे पर हूँ और पुस्तक पढ़ रही हूँ। पुस्तक में वर्णित हर लम्हा आँखों के सामने जीवंत हो उठा । इस बेहतरीन समीक्षा के लिए आपका आभार ।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-62923955640560464592011-02-28T19:54:04.230+05:302011-02-28T19:54:04.230+05:30समीक्षा इसे कहते हैं। जो, पाठक को उस पुस्तक को पढन...समीक्षा इसे कहते हैं। जो, पाठक को उस पुस्तक को पढने की, और जल्द से जल्द पढने की रूचि जगा दे।<br />बेहतरीन समीक्षा।<br />आपने दो-दो शे’र सुनाया तो एक तो बनता है ना बड़े भाई ...<br /><br />क़तरे में दरिया होता है<br />दरिया भी प्यासा होता है<br />मैं होता हूं वो होता है<br />बाक़ी सब धोखा होता हैमनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-73591190557405980302011-02-28T19:16:25.468+05:302011-02-28T19:16:25.468+05:30यात्रा के समय क्या देखते हैं, यह इस बात पर निर्भर ...यात्रा के समय क्या देखते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मनःस्थिति क्या है। इस यात्रा में पूर्ण उन्मुक्त मानसिकता थी समीरलालजी की।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-77247754952349853802011-02-28T17:56:57.352+05:302011-02-28T17:56:57.352+05:30पढ़ने की ललक और बढ़ गई !पढ़ने की ललक और बढ़ गई !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.com