tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post8860499109924808439..comments2023-10-18T21:03:23.343+05:30Comments on सम्वेदना के स्वर: कुत्ते की दुमसम्वेदना के स्वरhttp://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-68730180675854416882011-02-08T09:25:04.339+05:302011-02-08T09:25:04.339+05:30ohho.....inni si baat pe dosti toot gayi...!!! baa...ohho.....inni si baat pe dosti toot gayi...!!! baad mein mana lena tha na.....<br /><br />par badi mazedaar post hai...lotpot ho gayi subah....hhhihhihihiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-45521298261293656152011-02-08T00:11:51.186+05:302011-02-08T00:11:51.186+05:30अरे..
आज शाम ही को देखा कि,
कुत्ते की दुम तो टेढ़ी...<i><br />अरे..<br />आज शाम ही को देखा कि, <br />कुत्ते की दुम तो टेढ़ी ही है ।<br />यानि कि मैन्युफ़ैक्चरिंग डिफ़ेक्ट !<br />जिनको आपने कहा, सही कहा, मलाल काहे ?<br />हाँ, इस बहाने अनोखी ज्ञानचर्चा पढ़ने को मिली !<br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-29710657207956125862011-02-05T15:53:44.295+05:302011-02-05T15:53:44.295+05:30संस्कृत में एक कहवत है -सत्यम प्रियम न ब्रुयात।संस्कृत में एक कहवत है -सत्यम प्रियम न ब्रुयात।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-26106790498424374962011-02-04T18:15:38.243+05:302011-02-04T18:15:38.243+05:30झकास लेख, सचमुच मजा आ गया।
---------
ध्यान का वि...झकास लेख, सचमुच मजा आ गया।<br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">ध्यान का विज्ञान।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-26013265519632080102011-02-04T09:21:07.641+05:302011-02-04T09:21:07.641+05:30मदद | मद में जो हो उसी की मदद की जाती है | मद यानी...मदद | मद में जो हो उसी की मदद की जाती है | मद यानी नशा अब वह चाहे किसी का भी हो शराब, अहंकार, ज्ञान, | जब आदमी नशे में होता है तभी उसकी मदद की जाती है | जैसे कोई शराबी नशे में है तो उसे घर छोड़ने के लिए मदद की जाती है वह मदद | यहाँ पर साधु मदद नहीं करुणा कर रहा है जो करुणा उसके अन्दर से प्रस्फुटिक हो रही है | उसको किसी ने बोला नहीं है ऐसा करने को किन्तु फिर भी कर रहा है |<br />साधु प्रकृति से नहीं बंधा है वह तो जाग्रत है | प्रकृति से बंधा होता तो ऐसा काम नहीं करता | क्यूंकि प्रकृति में बिच्छु से भय उत्पन्न होता है | और भय के कारण वह उस बिच्छू के पास जाता भी नहीं | किन्तु साधु है वह सारा ज्ञान रखता है | इसलिए उस बिच्छू को पानी में डूबने से बचा रहा है |<br />अब रही बात स्वाभाव की तो स्वाभाव और प्रकृति में अंतर होता है |<br />जब कोई अपने स्व यानी आत्मा को जान जाता है वह स्वाभाव | यानी स्वयं का भाव | यानी अपने भाव को जानना की मेरा भाव कितना है |<br />और प्रकृति यानी जो अभी पर यानी परमात्मा की कृति यानी कृत की गयी | यानी जो चीज़ परमात्मा द्वारा कृत की गयी है उसी में रहता है वह प्रकृति |<br />साधु यदि प्रकृति में रहता तो वह एक आम इंसान होता और एक आम इंसान बिच्छू को देखकर या तो उससे दूर जाने की कोशिश करता या फिर उसे मार डालता और उसे बचने की बात तो दूर है वह इंसान उससे बचने की कोशिश करता | किन्तु अब वह साधु है और साधु यानी स अध् उ यानी जो नीची से ऊपर आया है | यानी साधना करके जो ऊपर आया है अपने आत्मा के स्वाभाव में आया है वह साधु |<br />और बिच्छू अभी परमात्मा की प्रकृति में है | तो वह वही करेगा जो प्रकृति में निश्चित है |<br />जैसे एक और कथा है साधु और चुहिया की |<br />उसमें भी साधु मरी चुहिया को पहले जिन्दा करता है फिर लड़की बनता है फिर और आखिर में वह चूहे को ही पसंद करती है शादी के लिए |<br />यह प्रकृति है | और वह स्वाभाव है |<br />और आप का आदर जो है वह अदर ( Other ) यानी परायों के लिए होता है अपनों से तो कोई औपचारिकता नहीं होती है |Brahmachari Prahladanandhttps://www.blogger.com/profile/17314452404379946912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-84569307477268604002011-02-04T00:16:05.494+05:302011-02-04T00:16:05.494+05:30@namaskaar meditation:
महाप्रभु!
नमस्कार है आपको!...@namaskaar meditation:<br />महाप्रभु! <br />नमस्कार है आपको! आपने तो हमारा काम और आसान कर दिया. हम जिसे आदत समझ रहे थे वो तो प्रकृति निकली. कम से कम हमारी आत्मा पर से यह बोझ तो उतर गया कि यह कहावत सिर्फ बिच्छू पर क्यों लागू हो, साधु पर क्यों नहीं. दोनों अपनी प्रकृति से बँधे हैं, अतः दोनों में से कोई नहीं बदल सकता, कुत्ते की पूँछ की तरह क्योंकि यह भी प्राकृतिक है. चलिये यहाँ तक तो सब ठीक है. <br />साधु और बिच्छू वाली कहानी पर आपकी सप्रसंग व्याख्या अत्यंत मधुर रही, जलेबी की तरह. किंतु साधु पर डंक असर कर रहा है कि नहीं यह तो आपको पता होना चाहिये, क्योंकि आपने बड़े मनोयोग से वह कथा पढ़ी है. डंक असर कर रहा था तभी तो बार वह बिच्छू पानी में छूट जाता था. बिच्छू के काटे का मंत्र पता होता उन्हें तो मुट्ठी में दबाकर रेत पर छोड़कर आते सीधा एक ही बार में.<br />ख़ैर आपके आगमन से अभिभूत हुये, किंतु पहली मुलाक़ात में सीधा तुम पर उतर आए आप! आश्चर्य!! आशीर्वाद दें ताकि हमे6 सद्बुद्धि प्राप्त हो!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-77910783087951006532011-02-03T22:58:20.351+05:302011-02-03T22:58:20.351+05:30मेरे गाँव में एक लल्लू जी हैं... गाँव का कोई ऐसा आ...मेरे गाँव में एक लल्लू जी हैं... गाँव का कोई ऐसा आदमी नहीं है जिनके मारनी हरनी में उन्होंने मदद नहीं की हो... रात को एक बजे आवाज़ दीजिये दौड़े आयेंगे.. नहीं बुलाएँगे तब भी आयेंगे... और उनको भी लोगो कुक्कुर के नगड़ी कहते हैं... क्या कीजियेगा... आपके मित्र अगली बार जब कोई नेकी करेंगे जरुर आयेंगे आपको बताने..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-59094642689348054342011-02-03T19:33:15.312+05:302011-02-03T19:33:15.312+05:30वैसे आजकल ऐसे साधु भी कहाँ मिलते हैं .... जो कुत्त...वैसे आजकल ऐसे साधु भी कहाँ मिलते हैं .... जो कुत्ते की दूम की तरह हों ...<br />अच्छा लिखा है आपने ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-50585352997920538592011-02-03T10:50:28.928+05:302011-02-03T10:50:28.928+05:30कुत्ते की दुम
इस बात का मतलब समझो पहले फिर आगे बात...कुत्ते की दुम<br />इस बात का मतलब समझो पहले फिर आगे बात रखो |<br />कुत्ते की दुम - यानी कुत्ते की पूँछ |<br />एक प्राकृतिक चीज़ है |<br />और प्रकृति कभी बदलती नहीं है |<br />यह आदत नहीं हैं |<br />आदत बदल जाती हैं |<br />साधु और बिच्छू की कहानी आपने जो कही है वह आपने पूरी समझी नहीं हैं |<br />साधु की आदत नहीं है किसी की जान बचाना | यह तो साधु का स्वभाव है |<br />बिच्छू तो जानता नहीं है की पानी में जाने से उसका क्या होगा किन्तु साधु जानता है |<br />और वह उसको उस गलत काम से बचा रहा है |<br />तो कोन सा अपराध कर रहा है |<br />अगर साधु आशीर्वाद दे दे तुमको की तुम्हारे को इस देश का राजा बनाया जाता है तो साधु ठीक है और साधु किसी को कष्ट से बचा रहा है तो यह उसकी मूर्खता है |<br />साधु को उस बिच्छू का डंक असर कर रहा है की नहीं यह हमको क्या पता |<br />क्यूंकि साधु तो सांप नाग बिच्छू के काटे का मंत्र जानते हैं |<br />अब उस साधु का स्वाभाव है करुणा, दया, तो इसमें आदत कहाँ से आ गई |<br />आखिर उस बिच्छू में भी तो जीव है |<br />और साधु जब विश्वामित्र की तरह ताड़का को मारने के लिए कहेगा तो ही साधु होगा |<br />यह हिंसा तो साधु का स्वभाव नहीं है |<br />साधु की साधना ही अहिंसा से शुरु होती है |<br />जहाँ तक सुधरने की बात है तो आदमी तभी सुधरता है जब वह उधर जाता है |<br />यानी की अपने पक्ष को छोड़कर दुसरे के पक्ष में जाता है तो वह सुधर जाता है |<br />क्योंकी वह जान जाता है की अब अपना यहाँ कोई नहीं है तो सुधर जाओं नहीं तो मार पड़ेगी |<br />जैसे किसी को सुधारना होता है तो उसे अपने से दूर किया जाता है |<br />जैसे अमेरिका में विद्यार्थियों के पाओं में बेडी डाल दी किन्तु किसी ने भी विरोध नहीं किया |<br />और अगर यही काम अपने देश में होता तो फिर देखो हंगामा |<br />और सुधरने का उपाय बताते हैं |<br />की जो उधार मांगता है वह सुधर जाता है |<br />कितना भी बिगड़ा हो |<br />उधार मांगने के बाद उसकी चाल बदल ही जाती है |<br />अगर किसी को सुधारना हो तो यह दो उपाय हैं |Brahmachari Prahladanandhttps://www.blogger.com/profile/17314452404379946912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-66079429724071612342011-02-03T06:10:01.674+05:302011-02-03T06:10:01.674+05:30अरे तो क्या उस ब्लागर ने आपसे बातचीत बंद कर दी ? :...अरे तो क्या उस ब्लागर ने आपसे बातचीत बंद कर दी ? :)<br /><br /><br /><br />अब ये मत पूछियेगा किसने :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-27057530142072111472011-02-02T19:39:35.138+05:302011-02-02T19:39:35.138+05:30कोई भला इंसान इत्ती सी बात के लिए बुरा मान जाए ये ...कोई भला इंसान इत्ती सी बात के लिए बुरा मान जाए ये सही बात नहीं...हाले दिल उनको सुनाया तो बुरा मान गए...प्यार आँखों से जताया तो बुरा मान गए...:-)<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-65471583787752279112011-02-02T15:41:13.720+05:302011-02-02T15:41:13.720+05:30कहा तो आपने बिल्कुल ठीक ही है, जब नहीं सुधरना है, ...कहा तो आपने बिल्कुल ठीक ही है, जब नहीं सुधरना है, तो बुरा क्यों मान गये।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-77841319966908555282011-02-02T12:20:27.165+05:302011-02-02T12:20:27.165+05:30सीख_ हर चीज एक ही तरह नही वजन की जा सकती जैसे कि क...सीख_ हर चीज एक ही तरह नही वजन की जा सकती जैसे कि कोई ठोस खुले मेँ, द्रव किसी बर्तन मेँ और गैस बन्द बर्तन मेँ। ऐसे ही शायद मुहावरा भी फिट नही बैठा होगा। सुन्दर प्रस्तुति।उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-19309057325523770862011-02-02T09:49:53.832+05:302011-02-02T09:49:53.832+05:30मुहावरों और कहावतों का प्रयोग यथास्थान ही करना चा...मुहावरों और कहावतों का प्रयोग यथास्थान ही करना चाहिए, बहुत अच्छी प्रकार से आपने समझाया है।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-25923766468447981512011-02-02T00:52:54.072+05:302011-02-02T00:52:54.072+05:30अब पिटें चाहे कुछ और हो, हम तो आपकी पोस्ट को मस्त ...अब पिटें चाहे कुछ और हो, हम तो आपकी पोस्ट को मस्त डिक्लेयर करके ही मानेंगे। सही कहा कि बिच्छु तो साधु के बारे में भी ऐसा ही काह्ते होंगे।<br />वैसे मित्र ’थे’ पर अपना मानना है कि once a friend, always a friend. जैसा आपने अपने मित्र के बारे में कहा, हम भी भावविह्वल हुये जा रहे हैं।<br />लेकिन एक शंका है, वो अगर इतनी ही कुत्ते की दुम हैं तो आपसे बुरा मान ही कैसे सकते हैं? वर्णन से तो लग रहा है कि हातिमताई के ट्वेंटी फ़र्स्ट सेंचुरी एडीशन हैं, हम नहीं मानते कि वो बुरा मान गये होंगे।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-9148425237356062142011-02-02T00:09:33.443+05:302011-02-02T00:09:33.443+05:30नेकी कर और कुवे में डाल .... आपके इस मित्र से शायद...नेकी कर और कुवे में डाल .... आपके इस मित्र से शायद हमारी भी किसी मोड़ पर मुलाकात हो चुकी है। रोचक संस्मरण...भाषा शैली उत्तम !!!मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-91465594993789106362011-02-01T23:31:40.740+05:302011-02-01T23:31:40.740+05:30आज उस दोस्त की याद आ रही है ... यह समझ आ रहा है .....आज उस दोस्त की याद आ रही है ... यह समझ आ रहा है ... आप ही पहल क्यों नहीं करते ?शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-43061221975128431462011-02-01T23:17:56.379+05:302011-02-01T23:17:56.379+05:30:) सही बात...कहावतें जिस समय बनी पता नहीं क्या स्व...:) सही बात...कहावतें जिस समय बनी पता नहीं क्या स्वरुप था ..समय बदल गया है तो अर्थ भी बदलना चाहिए.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-59692149842979037822011-02-01T23:15:38.433+05:302011-02-01T23:15:38.433+05:30मेरी आपत्ति दर्ज करे की ये मुहावरा भी हम हर किसी क...मेरी आपत्ति दर्ज करे की ये मुहावरा भी हम हर किसी के लिए प्रयोग नहीं कर सकते है कभी कभी ये कुत्ते और उसकी दुम दोनों का अपमान होता लगता है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-85640439955428731502011-02-01T23:09:06.521+05:302011-02-01T23:09:06.521+05:30आप कुत्ते की दुम हैं सुधरेंगे नहीं किसी को कहना उस...आप कुत्ते की दुम हैं सुधरेंगे नहीं किसी को कहना उसको ज़लील करना ही तो है, नाराज़गी भी होने चाहिए <br />.<br /><a href="http://www.amankapaigham.com/2011/01/blog-post_31.html" rel="nofollow">ज़रा सोंच के देखें क्या हम सच मैं इतने बेवकूफ हैं</a>एस एम् मासूमhttps://www.blogger.com/profile/02575970491265356952noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-89475770438005326162011-02-01T22:58:23.497+05:302011-02-01T22:58:23.497+05:30आनंद के साथ सन्देश भी दे दिया.....बहुत खूबसूरतआनंद के साथ सन्देश भी दे दिया.....बहुत खूबसूरतसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-36887246622860478552011-02-01T22:22:33.894+05:302011-02-01T22:22:33.894+05:30बिलकुल सहई कहा आपने, उस साधु के लिये भी वाज़िब ही म...बिलकुल सहई कहा आपने, उस साधु के लिये भी वाज़िब ही मुहावरा प्रयोग किया था।:)<br />भाई उसको जितनी भी बार बिच्छु को बचाना था चुपचाप बचाता रहता,इस बचाने की कहानी को प्रकाशित करने की क्या जरूरत थी? :))<br /><br />फिर तो कोई भी कहेगा न कुत्ते की दुम!!सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-60428341353280323162011-02-01T22:18:04.799+05:302011-02-01T22:18:04.799+05:30मस्त लिखा है जी,
कुत्ते की पूँछ कब सीधी होती है
...मस्त लिखा है जी, <br />कुत्ते की पूँछ कब सीधी होती है <br />और सज्जन कहाँ सज्जनता छोडने वाला है <br />101 फालोवर की शुभकामनायेDeepak Sainihttps://www.blogger.com/profile/04297742055557765083noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-65374236247961657172011-02-01T22:08:36.951+05:302011-02-01T22:08:36.951+05:30हा हा हा हा... बड़ा निर्दोष सा व्यंग है ये तो....
...हा हा हा हा... बड़ा निर्दोष सा व्यंग है ये तो....<br /><br />एक पुरानी बात याद आ गयी. कहीं पढ़ा था कि अगर हम अपने किये गए अच्छे कार्यों का खुद ही बखान करते हैं तो उनके शुभ प्रभाव कम होते जाते हैं और इसी तरह से अगर हम अपने द्वारा किये गए पाप को किसी के साथ बाटते हैं तो उस पाप कर्म का दुष्प्रभाव भी कम होता जाता है.VICHAAR SHOONYAhttps://www.blogger.com/profile/07303733710792302123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2393124029977849570.post-33430491184714155512011-02-01T21:56:33.401+05:302011-02-01T21:56:33.401+05:30चलिए नहीं पूछता सज्जन कौन ? वैसे भी आप कहाँ बताने ...चलिए नहीं पूछता सज्जन कौन ? वैसे भी आप कहाँ बताने वाले हैं ! बताना होता तो लिख नहीं देते। <br />मुहावरे का सही स्थान पर प्रयोग नहीं करने से अर्थ का अनर्थ निकलता है। एक सज्जन मेरी बात नहीं सुन रहे थे मैने भी गलती से कह दिया..<br />बड़े चिकने घड़े हो..! <br />अब क्या हुआ होगा आप अधिक समझदार हैं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.com