“कुपुत्रो जायते क्वचिदपि माता कुमाता न भवति.”
एक आदमी ने शादी के बाद अपनी बीवी के कहने में आकर अपनी माँ का कलेजा निकाल कर बीवी को तोहफे के तौर पर देने चला. रास्ते में उसे ठोकर लगी और उस कटे हुए कलेजे से आवाज़ आई, “बेटा! कहीं चोट तो नहीं लगी.”
एक बच्चा, पैदा होने के कुछ देर बाद ही अपनी माँ का दूध पीना छोड देता है. डॉक्टर समझ नहीं पाते कि वज़ह क्या है.
वो बच्चा माँ के पास सुलाते ही रोने लगता और लगातार रोता रहता. तब तक उसे नींद नहीं आती. जब तक उसे माँ के पास से हटाकर कहीं और नहीं सुला दिया जाता.
वो बाप से चिपट कर ऐसे सोता जैसे कोई उसे सोते में उठाकर कहीं और ले जायेगा. और वो किसी भी कीमत पर अपने पिता से अलग नहीं होना चाहता था.
बच्चा बडा होता गया और उसका अपनी माँ से ये व्यवहार और तेज़ होता चला गया. ये नफरत नहीं थी, एक तरह का डर था. जैसे सोते में कभी उसकी माँ उसके पास आकर लेट जाये तो वो चौंक कर उठ जाता था.
बातें दोनों में बिल्कुल कम से कम तक सीमित थी. जबकि वो अपने बाप के साथ बिलकुल सामान्य व्यवहार करता था, हँसता था, बातें करता था.
परिवार में कोई दूसरा बच्चा पैदा नहीं हो सकता था, मेडिकल करणों से. इस बात से उस औरत की दिमागी हालत बिगडने लगी और वो डिप्रेशन में चली गयी. किसी से बात नहीं करती थी वो, बस अकेले में बडबडाती रहती थी.
“मैंने अपने मॉडलिंग के करियर को दाँव पर लगाया. मैं तो चहती थी अबॉर्शन करवाना, लेकिन सब की ज़िद के आगे मुझे झुकना पडा. और ये बच्चा मुझे माँ तक नहीं मानता. दूसरा होता तो संतोष कर लेती. लेकिन मैं क्या करूँ. क्या दोष है मेरा?
महाभारत में गंगा ने अपने सात बच्चों को पैदा होते ही नदी में बहा दिया. कुंती ने अपने बच्चे को जन्म तो दिया, लेकिन जीवन सौंप दिया नदी के हवाले.
आज कितनी गंगाएँ और कुंतियाँ आए दिन अपने अजन्मे शिशु की हत्या कर डालती हैं. उनकी मजबूरी हो सकती है, लेकिन उस शिशु का क्या दोष? महाभारत में सिर्फ गंगा और कुंती की कहानी ही नहीं, अभिमन्यु की भी कहानी है, जिसने माँ के गर्भ में चक्रव्यूह भेद को समझ लिया था.
विचारोत्तेजक!
ReplyDeleteबहुत जबरदस्त प्रस्तुति .....आपने आज के मौजूदा हालात पर बड़ी रोचकता से प्रकाश डाला है ......बहुत बढ़िया लिखते रहिये .....धन्यवाद
ReplyDeleteamazing story.. kaash ye baat har koi samjhe aur bachon ki hatya karna band kare.
ReplyDeleteaisee samvedanheen mothers kaise samvedansheel bacche expect kar sakti hain.....is kahani ke bachhe ne shru mein hi indicate kar diya ki "boye babool to aam kahan se hoi"
ReplyDeleteshant rakshit
sundar prastuti..
ReplyDeletedum hay boss..likhte rahiye..kalam ka jadu chalega
Insani zehniyat Mahabharat ke samay jo thi wahi aaj bhi hai..!Aise udaharan milte rahenge!
ReplyDeleteमाँ के विचारों ने उस गर्भ में पल रहे शिशु को प्रभावित किया और जन्म से पहले ही उसके अवचेतन मन में उस आवाज़ के प्रति भय पैदा कर दिया जिसे वह गर्भकाल के दौरान सुनता और समझता था।
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट !..आभार ।