Thursday, March 24, 2011

पाँचवें खम्बे की अदालत में “गजब बेशर्मा”


आज का मुक़दमा हम चलाने जा रहे हैं बुद्धू बक्से के धंधे के सबसे चतुर व्यापारी श्री गजब बेशर्मा पर। आप पूरे एलेक्ट्रानिक मीडिया के समाचार मनोरंजन व्यवसाय के प्रेरणा-स्रोत हैं। आपके कुशल मार्गदर्शन में भौंडिया टीवी के व्यापार में कैसे दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हुई, यह किसी से छिपा नहीं है.
तो शुरु होता है गजब बेशर्मापर आज का मुकदमा:

आरोप नम्बर : 1
आपके भौडिया टीवी ने निम्नस्तरीय खबरों को राष्ट्रीय मह्त्त्व का बना दिया है?

डेविल्स ऐडवोकेट : जनता को आपसे सबसे बड़ी शिकायत यह है कि आपने गली मुहल्लों की खबरों को राष्ट्रीय महत्व की खबरों से अधिक महत्व दिया है। मेरे पास यह आपके चैनल की क्लिपिंग है जिसमें आपके चैनल पर दिखाया गया था कि झुमरी तलैय्या में एक भैस पिछले चार दिन से खाना नहीं खा रही है, जबकि इसी समय की सबसे बड़ी खबर थी महाराष्ट्र के यवतमाल में पांच किसानों द्वारा आत्महत्या करने की. इसी समय सूडान का अकाल भी विश्व समाचारों की सुर्खियों में था।  

गजब बेशर्मा: देखिये मीडिया के काम में हम किसी भी तरह की दखलन्दाजी स्वीकार नहीं कर सकते. यह एडिटर-इन-चीफ का अधिकार है कि वो किस समाचार को कितना महत्त्व देता है। परसेप्शन का फर्क तो हमेशा ही रहेगा. मुझे कहते हुये गर्व है कि हमारे स्ट्रिंगर देश के गाँव गाँव में फैले हैं और समाजवाद की भावना से ओतप्रोत, वे आदमी और जानवर दोनों की ही समस्यायों से सरोकार रखते हैं, इसमे गलत क्या है? जिन खबरों का जिक्र आप कर रहें हैं वो हमारी खबर-पट्टी पर जरूर चल रही होगी, क्योंकि बाकी चैनलों पर ताजा खबर क्या है, उस पर तो हमारी हर पल निगाह रहती है.

आरोप नम्बर : 2
आप का चैनल एकदम बेहूदा है?

डेविल्स ऐडवोकेट : आप के चैनल पर दूसरा आरोप यह है कि आपके चैनल ने बेहूदगी की सभी हदें पार कर रखी हैं। कभी पृथ्वी के नष्ट होने की खबर दी जाती है, कभी फिल्मी सितारों की अंतरंग झूठी बातें मज़े ले लेकर बतायीं जाती हैं। अक्सर ही कोई अजीबोगरीब आदमी या औरत आप के स्टूडियों में बैठा होता है... किसी के कान से पत्ते निकल रहे होते हैं, तो कोई आवाज़ निकाल कर शरीर का मोटापा कम करने का दावा कर रहा होता है। 

गजब बेशर्मा: (एक कुटिल से मुस्कान के साथ) आप कौन सी दुनिया के हैं वकील साब?
(हा..हा..हा...जनता का प्रीरिकार्डिड ठहाका गूंजता है)  मेरे चैनल की टीआरपी का कुछ पता है आपको? जरा अपने वातानुकूलित कमरों से बाहर निकल कर देखिये कि भारत की जनता ने आपकी इन आभिजात्य खबरों को कब का बेहूदा करार कर रखा है। टाई सूट पहनकर, फर्राटा अंगेजी में 2जी-3जी करने वाले डिस्क्शन्स हों या बिग फाईट जैसी प्रायोजित मुर्गा-लड़ाईयाँ जो आप दूसरे तथाकथित सोबर चैनलों में देखते हैं, वो गाँवों और गली-मुह्ल्लों की जनता न देखती है न समझती है.

आरोप नम्बर : 3
देश में अन्ध विश्वास को बढ़ावा देने में आपका स्थान पहला है।   

डेविल्स ऐडवोकेट : हमारे पास खबरची एसोसिएशन की रूल बुक है, जिसमें साफ-साफ़ लिखा है कि कोई भी चैनल ऐसा कार्यक्रम नहीं दिखायेगा, जिससे आम जनता में अन्धविश्वास फैले। आप इस संस्था के सम्मानित एवं जीवन-पर्यंत सदस्य हैं, तब भी आपके चैनल द्वारा सर्वाधिक कार्यक्रम अन्धविश्वास को बढावा देने वाले होते हैं।

गजब बेशर्मा: इस देश में रूल बुक का मतलब सिर्फ इतना है कि आपको पता रहे कि आप कौन कौन से रूल तोड़ कर तरक्की कर सकते हैं। वरना बहुत समय उल्टा रास्ता ढूँढने में ही लग जाता। अब जब एक ओर देश के प्रतिभावान वैज्ञानिक नासा की नौकरी कर रहें हैं और दूसरी तरफ एंट्रिक्स में बैठे बिठाये मुफ्त की खाने को मिल रही है, तो कहां से और क्यों लाएं हम वैज्ञानिक खोज की खबरें। यह न भूलें कि भारत की जनता हमेशा से आस्थावान रही है. भारत हमेशा से मानता रहा है कि इस दुनिया को भगवान राम चला रहें हैं, वो पेड़ के पत्ते भी हिला रहें हैं और वही इन वैज्ञानिकों को डिग्रियां भी दिला रहें हैं। आपको पता है कि हमने भारतीय उपग्रह के सफल प्रक्षेपण के बाद एक खबर यह भी दिखायी थी कि इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के मुखिया ने तिरुपति बालाजी को प्रसाद चढाया. यह देश इसी राम के भरोसे चल रहा है मिस्टर डेविल्स ऐडवोकेट, हम दैवीय चमत्कारों पर आम भारतीय की आस्था को बनाये रखने का महति काम कर रहे हैं।    
 
आरोप नम्बर : 4
पद्मश्री पुरस्कार न मिलने के कारण आप बेवज़ह पत्रकारिता से बदला ले रहें हैं ?

डेविल्स ऐडवोकेट : आप पर इलजाम है कि आपके बाद आने वाले टेलीविज़न मीडिया के लोगों को पद्मश्री मिल गयी, पर आपको नहीं मिली. इस कारण आप अपना गुस्सा अब मुख्य धारा की टेलीविज़न पत्रकारिता को टेबलाएड पत्रकारिता बनाकर ले रहे हैं।  

गजब बेशर्मा: (एक कुटिल मुस्कान के साथ) नहीं... बिल्कुल नहीं! मुझे भला दूसरों के पद्मश्री होने पर क्यों आपत्ति होगी? चरखा भक्त भाग्यशाली थी जो उसकी बनाई सरकार सत्ता में आ गयी. मेरी बनाई हुई आती तो मुझे मिल जाता। यह तो सब लाबिइंग का खेल है. उल्टा अब तो मैं खुश हूँ यह सोचकर कि वीर गति को प्राप्त होने और जीरा का तडका लगने से मैं बच गया! भृगु बावला की सीधी बात, कब उल्टी पड़ जाये, यह रिस्क अब बढते जा रहे हैं धंधे में। रही टेलीविज़न पत्रकारिता को, टेबलाएड पत्रकारिता बनाने के इलज़ाम की, तो सच यही है जनाब डेविल्स ऐडवोकेट कि यह फोर्थ एस्टेट अब रियल-एस्टेट हो गया है, जो हमने शुरु किया अब सभी वही कर रहें हैं क्योंकि धंधे का सच यही है।
(स्टूडियो दर्शकों के तालियों के बीच गजब बेशर्मा की कुटिल मुस्कान के साथ डेविल्स एडवोकेट दर्शकों से मुखातिब होता है)
आज की सुनवाई पर जज साहब का निर्णय :

इस मुक़दमे का फ़ैसला सुनाने के लिये कोई न्यायाधीश नहीं है अदालत में. डेविल्स ऐडवोकेट के  अभियोग एवम श्री गजब बेशर्मा की दलील सुनकर फ़ैसला आपको लेना है. ध्यान रहे कि आपका फ़ैसला चौथे खम्बे की सूरत बदल सकता है. और प्रेमचंद जी की मानें तो पंच के पद पर बैठकर तो कोई किसी का मित्र होता है शत्रु. तो रखिये हाथ अपने अपने दिल पर और सुनाइये फ़ैसला आज के मुक़दमे पर !

22 comments:

  1. media kee pol khoti post ! chautah khambha ke dhane se baaki khambhe bhi lachar ho rahe hain...

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  2. सारे आरोप सिद्ध होते हैं, सजा कब सुनायी जा रही है?

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  3. व्यंग्य कम असलियत ज्यादा लगती है.

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  4. वकीलों की दलील और अभियुक्त की दलील सुनने पर अदालत यह फैसला सुनाती है कि बेशर्मा को 101 बार फांसी पर लटकाया जाय क्योंकि इसने उस जनता के साथ धोखा किया है जो सबसे निराश होकर इसपर विश्वास करती है।

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  5. कौन कहता है ये व्यंग है.....

    ये तो नग्न सत्य है.

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  6. यू-ट्यूब की अनोखी क्लिप्पिंग्स के सहारे सनसनी फैलाने वाले भौंडिया टीवी की अच्छी खबर ली गयी है... और गजब बेशर्मा की मुस्कान तो बरबस याड आ गई..

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  7. यथार्थ को आईना दिखाती व्यंग्य ,दिल को लहुलुहान करने में सक्षम !

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  8. आपने बहुत सुंदर तरीके से आज की सच्चाईयों को सामने रखा है ..यह कटु सत्य है ...आपका आभार

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  9. वकीलों की दलील और अभियुक्त की सफाई सुनने के बाद, सारे आरोप सिद्ध होते हैं।पाँचवे खम्बे की अदालत यह आदेश देती है कि गजब बेशर्मा अब बगल में हाथ डाल कर स्वाभिमान की मुद्रा में कभी खडा न रहेगा। सभी चेनलों के प्रबंधको सहित इसे 10 साल के लिये झूठों, मायावी और तांत्रिकों की कोठरी में डाल दिया जाय।

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  10. मानों जीता-जागता, आंखों के सामने.

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  11. "हम बेशरमा के वकील काम सेठ लखानी हैं और उनकी तरफ से सफाई पेश करने की इजाज़त चाहते हैं"
    " चलो दी इजाज़त, देख लेंगे तुम्हारी भी बेहयाई.....बोल फ़टाफ़ट क्या बोलना है"
    " चौथा खम्भा सरे आम व्यावसायिक हो चुका है, इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए. और जब कोई व्यावसायिक होता है तो बेहयाई की सारी हदें तोड़ देता है ...यह एक सार्वभौमिक सत्य है .....तो आप लोग बखेड़ा क्यों कर कर रहे हैं फालतू का ? हमारे मोवक्किल ने जो किया ठीक किया .....सार्वभौमिक सत्य के अनुरूप किया ...उससे परे कुछ किया हो तो कहिये. हमारे बेशरमा जी लोकतंत्र का पूरा सम्मान करते हैं, जनता जो देखना चाहती है उसे वही दिखाया जाता है .....चाहे भैंस के नखरे हों या राखी सावंत के लटके-झटके. बढ़ती हुयी टी.आर.पी. इसका अकाट्य प्रमाण है.मी लार्ड ! इस गुस्ताखी भरे मुकद्दमें के बारे में मुझे और कुछ नहीं कहना है."

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  12. हमें तो आज की जनता की मानसिकता को देखते हुए बेशर्मा ठीक ही लगता है ...बेशर्मा को हटा दो दूसरा आ जायेगा ! टी आर पी तो इन्हीं की बढ़नी है ! समझदारों की ऐसी तैसी :-))

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  13. गज़व बेशर्म जी तमाम बेशर्मियों का पर्दाफास करने के लिए आपको बधाई.आजकल मीडिया जिन खम्भों के सहारे चल रहा है उनका उखडना जल्द ही होना चाहिए.

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  14. आज कल चौथे खम्भे से जुड़े ज्यादातर लोग ओस खम्भे की नक्काशी होने की फ़िराक में रहते हैं सर, आधार बनने की चाहत किसी को नहीं है।……

    अब रही बात ग़ज़ब बेशर्मा की तो दोष दर्शकों का भी कम नहीं है…… जब आप खुद ही मूर्ख बनने को तैयार बैठे हों तो फिर बनाने वाला कम दोषी होता है,मेरी नज़र में।

    अदालत गजब बेशर्मा को 7 साल तक एक कमरे में बन्द कर रात-दिन सिर्फ़ भौड़िया टीवी दिखाने की सजा सुनाती है :P

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  15. इन खबरों की वजह से समाचार चैनल अब मनोरंजन चैनल बन गए है ..इनके कार्यक्रम देख कर लगता है या तो भारत में कुछ घट नहीं रहा ..या .....\\\\

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  16. मै कुछ न्यूज चैनलों को न्यूज चैनल कम मनोरंजक चैनल ज्यादा मानती हूँ किन्तु शर्मा जी का चैनल तो एडल्ट चैनल मानती हूँ जिसे बच्चो के साथ ही युवाओ और बड़ो को भी नहीं देखना चाहिए | रवि जी से सहमत हूँ ,शर्मा जी को तो सारी जिंदगी कमरे में बंद कर एकता कपूर के सास बहु धारावाहिक दिखाना चाहिए राम से ब्रदर्स की सी ग्रेड डरावनी ? फिल्मो के साथ :)))

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  17. बहुत सकीत विवेचन है गजब बेशर्मा के किरदार द्वारा ।

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  18. अगर नग्न सच्चाई को बयान करने को व्यंग कहते है तो ये व्यंग बहुत बढिया है। वैसे सजा कब सुनायी जायेगी आरोपी को

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  19. बहुत अच्छा व्यंग ..धारदार ...

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  20. सुन्दर प्रविष्टि ,गहन व्यंग , हमेशा की तरह बेहतर और धारदार !

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