Saturday, March 26, 2011

अर्थ आवर - अंधियारा भारत बनाम चमकता इंडिया (एक रीपोस्ट)

“अर्थ आवर” का अर्थ, पढे लिखे लोगों के लिये बहुत गहरा है. आज दुनिया के 121 देशों ने इस महायज्ञ में भाग लिया और वहाँ की जनता ने रात साढे आठ बजे से साढे नौ बजे के बीच घर की बत्तियाँ गुल कर दीं. हमारे देश की गिनती भी उन देशों में है.
लेकिन ठहरिये! ये कैसा योगदान है कि एक तरफ आम आदमी घर की बत्ती गुल किये बैठा रहा. दिल्ली में लाल क़िले और क़ुतुब मीनार को अंधेरे के हवाले कर दिया गया. मक़सद ये कि इससे तपती धरती को ठंडक मिले. वहीं हज़ारों वाट की दूधिया रोशनी में हो रहे क्रिकेट के खेल के दौरान कोई “अर्थ आवर” नहीं मनाया गया. क्योंकि सवाल Earth का नहीं ‘अर्थ’ का है, करोड़ों रुपयों के आर्थिक दाँव का.

ज़रा सोचिये ! इंडिया के अंदर एक भारत भी बसता है. एक ओर इंडिया ने “अर्थ आवर” के नाम पर घंटे भर बत्तियाँ बुझा दीं, वहीं दूसरी तरफ भारत, इस आस में बिजली के खम्बों की ओर देख रहा था कि शायद आज आधे घंटे के लिये भी उनको बिजली के दर्शन हो जायें.
गुलज़ार साहब ने तो कहा है - हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं. उनका मतलब कतई इस बात से नहीं होगा कि एक तरफ इंडिया घंटे भर का “अर्थ आवर” celebrate करता है और दूसरी तरफ बरसों से “अर्थ आवर” की मजबूरी झेल रहा है - हमारा भारत.

26 comments:

  1. Hmmmm...khamosh hun...kya kahun?

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  2. यही तो विडंबना है ..भारत के लोग इंडिया के लोगों के शोषण का शिकार हो रहे हैं ...इंडिया वालों के पास सब सुविधाएँ हैं लेकिन भारत अभी भी गाँव में बस्ता है ....बहुत अंतर है इंडिया और भारत में कितने गिनूँ..आपका आभार

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  3. साहेब, यहाँ तो अर्थ का अनर्थ हो रहा है

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  4. अर्थ कमाने का तभी अर्थ है जब भारत को भी उसका हिस्सा मिले।

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  5. भारत के दुख की कहानी ...................अर्थ पावर

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  6. अर्थ बनाम अर्थ या अनर्थ ...

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  7. बिजली की चोरी और बर्बादी जब होगी इतनी , तो अर्थ आवर भी झेलना ही होगा ।

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  8. हम्म्म
    ये फ़ैशनेबल टोकनिज़्म भी अच्छा है.

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  9. हर साल इस आयोजन के बारे में पढ़ती सुनती हूँ पहली बार जब सुना था तब बत्तिया बंद की थी पर अब नहीं करती क्योकि मुझे लगता है की प्रतीकात्मक कुछ करने से कोई फायदा नहीं होगा | मै पुरे साल प्रयास करती हूँ की बिजली का जरुरत के अनुसार ही प्रयोग करे अर्थ को कितनी ठंडक मिलेगी पता नहीं पर इतना तो लगता है की शायद भारत के कुछ घरो में शो पीस बना पंखा चले और उन्हें थोड़ी ठंडक दे |

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  10. इंडिया में अर्थ ऑवर......भारत में अर्थ डेज ,,,,नहीं, अर्थ इयर्स ....
    लोग बैटरी से टी.वी.देखते हैं ......खेतों को समय पर पानी नहीं ....
    कही घंटे भर का अन्धेरा ...कहीं अन्धेरा ही अन्धेरा ...धुप्प अन्धेरा ...रोशनी कब आयेगी, पता नहीं.

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  11. आज समाचार पात्र में एक समीकरण देखा:
    एक यूनिट बिजली बचत = दो यूनिट बिजली उत्पादन.
    एक और आंकड़ा:
    पिछले साल अर्थ आवर के दौरान दिल्ली में ३०० मेगावाट की बिजली बचाई जा सकी.
    बहुत अच्छा लगता है सुनकर.. लेकिन मेगा मॉल में सारे दिन चलने वाले एस्केलेटर और एसी, क्रिकेट मैच के आयोजनों में फुक जाने वाली बिजली. इनके आंकड़े और समीकरण नहीं दिखते कहीं.

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  12. अजी जनाब मेरे यहां के निवासियों को इन्टरनेशनल अवार्ड मिलना चहिए यहां तो रोज अर्थ आवर रहती है। बिजली का दर्शन नहीं। क्या कहते है आप पैरवी करिएगा न।

    दे धूमा के। करारा मारा।

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  13. यह प्रक्रिया सिर्फ संवेदनशील लोगों के लिए थी. ऐसे आग्रह सभी मानने के लिए बाध्य तो नहीं, फिर चाहें अर्थ आवर हो या मिनट क्या फर्क पड़ता है.

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  14. यह विभाजन हृदय सालता है।

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  15. हमारे यहाँ रोज ३ घंटे अर्थ आवर रहता है ....
    शुभकामनायें !

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  16. एक बैंक के पी.आर.ओ.लोगों को समझा रहे थे"-इस अर्थ पर अर्थ के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं."
    इस वाक्य का क्या अर्थ रहा होगा?

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  17. अर्थ आवर अभी तो सिर्फ प्रतीकात्मक है वर्ष में एक बार होने वाली चीज. . यही प्रतिदिन के आधार पर की जाय तो शायद कुछ असर दिखाई पड़े.

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  18. सब कुछ पैसे का खेल है जी। क्रिकेट तो रात को ही होगा, दर्शक जो जुटाने हैं।

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  19. सब राम भरोसे ही है, भाई साहिब.
    सलाम

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  20. earth hour ho ya kuchh agar dil se ham soch len ki bijli bachani hai...to bach sakti hai...bas uss soch ki jarurat hai..!

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  21. अर्थ का अर्थ जो समझ गए वह है इंडियन बाकि सब भारतीय ........

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  22. उंगली कटवाकर शहीद बनना है ये। वैसे भी कागजी ड्रामा करने में हम महारथी हैं।

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