Saturday, April 30, 2011

हमारे प्रिंसिपल बेकसूर हैं!

पिछले दिनों चंडीगढ़ के एक नामी स्कूल सेंट जेवियर में एक दुर्घटना घटी. बताया गया कि दसवीं कक्षा की एक छात्रा, स्कूल की तीसरी मंज़िल से गिर पड़ी। यह खबर न सिर्फ चंडीगढ़ बल्कि देश भर के मीडिया में चर्चा का विषय बन गयी। घटना के विभिन्न पक्ष इस तरह हैं :

छात्रा के अभिभावकों का पक्ष : हादसे में घायल छात्रा के अभिभावकों का कहना है (जिसे बाद में छात्रा ने भी दुहराया है) कि छात्रा १२ वीं क्लास के अपने एक मित्र के साथ उसी की कक्षा में (जो कि ग्राउंड फ्लोर पर है) इंटर कालिज डिबेट की तैयारी कर रही थी. अचानक स्कूल के टीचर्स के साथ, प्रिंसिपल वहाँ आये और दोनों को खूब डांटा। फिर उत्तेजित होकर प्रिंसिपल उसे तीसरी मंजिल पर ले गये और वहाँ से नीचे धक्का दे दिया। कंक्रीट के ग्राउंड पर गिरने के कारण, छात्रा के जबड़े पर चोट आयी और सामने के दाँत टूट गये।

छात्रा दो दिन आई.सी.यू. में भर्ती रहने के बाद, फिलहाल जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दी गयी है। स्कूल पर एक करोड़ रुपये के मुआवज़े का दावा किया गया है तथा प्रिंसिपल पर छात्रा की हत्या के प्रयास का मुकदमा भी दायर कर दिया गया है।
स्कूल और प्रिंसिपल का पक्ष : प्रिंसिपल को टीचर्स के द्वारा पता चला कि छात्रा १२वीं क्लास के अपने एक मित्र के साथ (जो गह्न्तों पहले छुट्टी होने के बाद भी घर नहीं गया था) खाली कक्षा (जो गाउंड फ्लोर पर है) में है, जबकि छात्रा की क्लास फर्स्ट फ्लोर पर है। प्रिंसिपल वहाँ आये और दोनों से जवाब तलब की, उनको डांटा और समझाया. इसके बाद छात्र को अपने साथ ले गये और उसके अभिभावकों को बुलाने के लिये सन्देश भेज दिया। इस बीच छात्रा ने फर्स्ट फ्लोर पर स्थित अपनी कक्षा के बाहर वाटर कूलर से पानी पिया और रेलिंग से नीचे कूद गयी, जिससे उसके जबड़े और मुँह पर गम्भीर चोटें लगीं। प्रिंसिपल उस समय अपने कमरे में किसी अभिभावक से बात कर रहे थे. जैसे ही उन्हें पता चला वह तुरंत वहाँ पहुंचे और छात्रा को अपने हाथों से उठाकर अपने गाड़ी में नज़दीकी हस्पताल ले गये. दुर्घटना के 20 मिनट के अन्दर ही निकट के अस्पताल में छात्रा को प्राथमिक चिकित्सा दी गयी और फिर करीब 3 घण्टे के अंदर शहर के बड़े अस्पताल में छात्रा को दाखिल करा दिया गया, जहाँ वो खतरे से बाहर बतायी गयी।

मीडिया की प्रतिक्रिया : इस पूरे प्रकरण पर स्थानीय चैनलों ने कमोबेश संयमित प्रतिक्रिया दी, जैसे छात्रा द्वारा आत्महत्या का प्रयास, प्रिंसिपल पर धक्का देने का आरोप आदि।

हालांकि इसके बाद जैसे-जैसे राष्ट्रीय चैनलों के चंड़ीगढ़ सम्वाददाताओं का आगमन प्रारम्भ हुआ, देश के सभी बड़े चैनलों की क्राईम-रिपोर्टिंग की दुकानें सजने लगीं और असर उनके उत्पादों में दिखने लगा। फटाफट और झटपट खबरों की सुर्खियों में टीआरपी वाली उत्तेजना और तीखापन दिखने लगा। एक बानगी – “बेरहम प्रिंसिपल ने छात्रा को छत से नीचे फेंका”, “क्या हुआ चंडीगढ़ के स्कूल में देखिये आज शाम सात बजे”, “प्रिंसिपल का आतकं”, “मुझे प्रिंसिपल ने अपमानित किया और धक्का दिया- छात्रा का आरोप”.

प्रिंट मीडिया की खबरें शुरु के कुछ दिनों तक तो न्यूज़ चैनलों की तरह ही चलीं, किन्तु तब तक स्कूल का पक्ष और अन्य अभिभावकों के स्कूल के बचाव में आने की खबरे स्थानीय समाचार पत्रों में आने लगीं। प्रिंसिपल के पक्ष में कैंडल-मार्च की खबरों के बीच छात्रा के अभिभावकों द्वारा एक करोड़ रुपये के मुआवज़े और प्रिंसिपल पर किए गए मुकदमें की खबरें भी आने लगीं। सी.एफ.एस.एल. की टीम के हवाले से खबर यह भी छपी कि छात्रा पहली मंजिल से गिरी लगती है, न कि तीसरी मंज़िल से जैसा दावा किया गया है।


चंडीगढ़ के जंतर मंतर पर : चंडीगढ़ के सेक्टर 17-सी के प्लाज़ा को यहाँ का जंतर मंतर कहा जा सकता है। जसपाल भट्टी अक्सर अपने प्रदर्शन करते हुए यहीं दिखाई देते हैं। अन्ना हज़ारे के अनशन के समय भी यह स्थान सुर्खियों में था। सेंट जेवियर की इस घटना के बाद प्रिंसिपल के पक्ष में कई दिनों कैंडल-लाईट-मार्च हुए।

मेरी प्रतिक्रिया : तीन बरस पहले जब में नोएडा से चंडीगढ़ आया तो अपनी बेटी सम्बोधि का एडमिशन इसी स्कूल में, पांचवीं कक्षा में करवाया
इसी स्कूल में एडमिशन कराने की एक ख़ास वज़ह थी, प्रिंसिपल मर्विन वेस्ट का बेहतरीन व्यक्तित्व जिसके कारण मैं पहली ही मुलाकात में उनका मुरीद हो गया। आमतौर पर शर्मीले स्वभाव की मेरी बेटी, प्रिंसिपल मर्विन वेस्ट के साथ मात्र 5 मिनट की बातचीत में इतनी सहजता से पेश आ रही थी, जैसे प्रिंसिपल कोई दोस्त हों! गुरु-शिष्य की यह केमिस्ट्री मेरे लिये एक सुखद आश्चर्य थी। इसके बाद बड़ी ही सहजता से मैने बाकी स्कूलों के एपलिकेशन फार्म फेंक दिये और सम्बोधि का इस स्कूल में एडमिशन करवाया। इसके बाद शुरु हुआ बिटिया का प्रिंसिपल-पुराण, जो पिछले 3 साल से अनवरत चालू है। पापा आज प्रिंसिपल सर ने सब को योग की क्लास में जाने कि लिये कहा, आज हमने अनुलोम-विलोम प्राणायाम किया, आज हमारे स्कूल की क्रिकेट टीम ने इंटर स्कूल चैम्पियन बनने पर प्रिंसिपल सर को कन्धे पर उठा लिया, आज १२वीं क्लास के बच्चों की फेयरवेल पार्टी में प्रिंसिपल सर रो पड़े, आज प्रिंसिपल सर ने पानी की बर्बादी नहीं करने को कहा, आज प्रिंसिपल सर ने अपने नाना-नानी और दादा-दादी का ख्याल रखने को कहा. कितनी ही बातें, जिन्हे सुनकर मन को शांति मिलती कि इन बच्चों को इतने अच्छे व्यक्तित्व की छाया मिली है।

अब तो हमें ऐसा लगता है कि प्रिंसिपल मर्विन वेस्ट हमारे घर में अदृश्य रूप से उपस्थिति हैं। शायद यही कारण होगा कि स्कूल में घटी इस घटना के बाद बेटी बहुत उदास है और कहती है कि हमारे सर ऐसे नहीं हैं। हमारे प्रिंसिपल बेकसूर हैं! अपनी कहूँ तो घटना के बाद, कई दिनों तक मैं भी बहुत अनमना सा रहा। सलिल भाई से भी इसका जिक्र किया। पर मन मसोस कर रह गये हम. दुनियादारी की सम्झ तो यही कहकर बेडियाँ दाल देती हैं कि पुलिस, व्यवस्था, आचार संहिता, न्याय प्रक्रिया तो बस एक लम्बे खेल की शुरुआत भर है. ऐसे मामलों में चतुर सुजानों के मुहँ से अक्सर सुनते आये हैं कि law will take its own course. लेकिन जिसने जीवन में इज्जत ही कमाई हो उसके लिये तो Justice Delayed is Justice Denied.

कल शाम बेटी ने बताया कि प्रिंसिपल सर इतने दिनों बाद आज एसेम्बली में आये और उन्होने कहा, “प्यारे बच्चों!! अपनी मित्र के स्वास्थ के लिये प्रार्थना करना और ईश्वर से यह भी कहना कि इस लड़ाई में केवल सच की जीत हो”.

30 comments:

  1. वो लड़की ढंग से ठीक हो जाये...... पूर्ण रूप से स्वस्थ ...


    बाकि सत्य की जीत हो...

    इस मीडिया का कुछ भी नहीं बिगड़ता - जो तिल का ताड़ बनाना जानते हैं.

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  2. बहुत ही निराशाजनक खबर है. खबरिया चैनलों की यह मानसिकता बन गयी है की हर खबर को एक सनसनी ख़ेज खबर के रूप में प्रस्तुत किया जाय. इस बात से मुझे दिल्ली की एक शिक्षिका उमा खुराना की याद आ गयी जिसे एक खबरिया चैनल ने ठीक इसी प्रकार स्कुल में वैश्यावृत्ति की संचालक घोषित कर दिया था. जाने उस चैनल का क्या हुआ होगा ? क्या उन्हें ऐसी सजा दी गयी की दुसरे चैनलों को एक सबक मिले. शायद नहीं तभी तो ये कार्य आज भी जारी है.

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  3. मीडिया द्वारा तथ्यों को इस कदर तोड़ मरोड़ दिया जाता है की सच कहा छुप जाता है पता ही नहीं चलता..बस वो लड़की ठीक हो और सत्य की जीत हो...

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  4. चैतन्य जी

    हम और आप तो वही सुन रहे है जो दुसरे कह रहे है सच क्या है उन दो के आलावा हम में से कोई भी नहीं जानता | आज कल के बच्चे क्या क्या कर जाते है ये हम कई बार पढ़ सुन चुके है किन्तु आज कल के शिक्षक भी क्या क्या कर जाते है या इन्सान क्रोध में क्या क्या कर जाता है ये भी हम सब जानते है | सो सच की जीत हो यही कमाना है |

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  5. saty kee hee jeet hogee .........kahte hai na bhagwan ke ghar der hai andher nahee.

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  6. सच क्या है ये तो रब जाने
    सत्य की जीत हो यही कामना है

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  7. अब तो लोग कहने लगे हैं कि इस मीडिया से बचाओ। भला कोई प्रींसिपल किसी लड़की को धक्‍का क्‍यों देगा?

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  8. किसी व्यक्ति के बारे में सच जानना उतना आसान नहीं है जितना दिखता है। लेकिन यह तय है कि तीसरी मंज़िल से पक्की ज़मीन पर गिरने में जबडे के अतिरिक्त भी काफी कुछ टूटना निश्चित है। कुछ जानकारी यहाँ है: http://msl.rsmjournals.com/cgi/content/abstract/46/3/233

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  9. ऐसे प्रिंसिपल अब कहाँ हैं जिनकी विद्यार्थी पूजा करें...प्रेरक पोस्ट
    नीरज

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  10. घटना के सभी पक्षों को देकर आपने सत्य को रखने का प्रयास किया है। एक संतुलित पोस्ट। मेरा निजी विचार भी यही है कि मीडिया बहुत बार खबरों को सनसनीखेज बना कर प्रस्तुत करता है। जिससे सत्य का दूर-दूर तक लेना-देना नहीं होता। मीडिया को खबरें देते समय घटना की सत्यता पर गहराई से विचार कर लिया जाना चाहिए,उसके बाद ही खबर को देना चाहिए। बहुत बार एक गलत खबर से किसी संवेदनशील व्यक्ति के हृदय को इतनी गहरा आघात लगता है और घाव बनता है कि वह कभी नहीं मिटता।

    हम भी प्रिंसिपल के शब्दों को दोहराते हुए यही कामना करते हैं कि लड़की जल्दी स्वस्थ हो और सत्य की जीत हो।

    सत्यमेव जयते!!!

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  11. आपने सार्तीफिकेट दे दिया तो वे कसूरवार नहीं -पक्का !

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  12. बच्ची स्वस्थ हो जाए, जल्दी से।
    सच की जीत हो।
    बहुत दिनों तक रहा चंडीगढ़! सो आपके द्वारा वहां की जानकारी मिलती रहती है।

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  13. बच्ची के लिए मंगलकामनाएँ.

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  14. हम जैसे दूर बैठे को तो सुनी-सुनाई पर ही भरोसा करना पड़ता है.

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  15. ओह एक साथ कई सवाल छोड़ गई है यह घटना। जबाब तो हम सब को देना है।

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  16. यदि छात्रा को तीसरी मंजिल से फंका जाता तो सिर्फ जबडा ही नीं टूटता । शायद कपालक्रिया भी वहीं हो जाती ।

    टोपी पहनाने की कला...

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  17. छात्र के लिए शुभकामनायें ...सत्य सामने आ ही जायेगा ..मीडिया कितनी ही सनसनीखेज़ खबर बना ले ...

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  18. मुझे भी लगता है प्रिंसिपल इनोसेंट हैं...

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  19. जिम्मेवार कोई भी हो,कसूरवार कोई भी हो, ऐसी घटना बच्चों के मन पर गहरा असर करती है..नुकसान हर हाल में बच्चे का होता है चाहे वो किसी का भी हो...इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए...

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  20. .

    मेरी सहानुभूति बच्ची के साथ है ।

    प्रिंसिपल ऐसा क्यूँ करेगा , इसके बहुत से कारण हो सकते हैं , लेकिन बच्ची ने कोई आत्महत्या की कोशिश तो की नहीं , वो भला नीचे क्यूँ कूदेगी ? मेरे आगे एक लाचार माँ की तस्वीर दौड़ रही है।

    इश्वर उस बच्ची की रक्षा करे , यही प्रार्थना है।

    .

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  21. मीडिया को तो ऐसी खबरें चाहियें ही हैं, फ़िर तो वो जबरन सच साबित कर देते हैं।

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  22. Medea sansanikhez khabron me dilchaspi rakhtee hai. Bada achha kiya aapne ye post likhkar. Ham jaison ko pata to chala!

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  23. मीडिया की इस दुकानदारी से एक प्राचार्य की तो सोशियल मौत हो गयी न ! ऐसे मामलों में मीडिया को बहुत ही संयत होना चाहिए. बच्ची कैसे गिरी यह तो बाद की बात है फिलहाल वह स्वस्थ्य तो हो जाय ...उसके बापू ने भी ज़ल्दी करदी दावा दायर करने में.

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  24. मीडिया की इस दुकानदारी से एक प्राचार्य की तो सोशियल मौत हो गयी न ! ऐसे मामलों में मीडिया को बहुत ही संयत होना चाहिए. बच्ची कैसे गिरी यह तो बाद की बात है फिलहाल वह स्वस्थ्य तो हो जाय ...उसके बापू ने भी ज़ल्दी करदी दावा दायर करने में.

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  25. ये मीडीया जो चौथा खंबा माना जाता है .... किस कदर अविश्वसनीय है ....
    शर्म इनको मगर नही आती ....

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  26. @ पोस्ट ,
    जो निर्दोष हो उसके हक़ में प्रार्थना / शुभकामनायें !

    @ सम्बोधि,
    बिटिया का नाम बहुत ही प्यारा है और अर्थपूर्ण भी उसे हमारा आशीष कहिये !

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  27. @अली अंकल
    चरण स्पर्श, आपकी आशीष सुन्दर तोहफा है!

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