सम्वेदना के स्वर

यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,

जिसमें भाव रस और ताल का प्रतीक आम आदमी का भा-- बसता है.
सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....

Saturday, March 20, 2010

ओशो के सम्बोधिं दिवस पर

21 मार्च 2010
ओशो के सम्बोधिं दिवस पर


वो ब्लैक होल सा
बुलाता रहा मुझे दूर से
और जब आकर्षित हुआ मै उसकी ओर
निचोड़ लिया उसने मुझे
या
पी गया था मैं उसे!

गहन अथाह अन्धेरे के दूसरे सिरे पर
उसका दिव्य स्वरूप दिखाई दिया
जिसमें अनंत विस्तार था
मैं था या नहीं ??
कुछ नहीं पता.....
पर वो हर तरफ था!

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जीवन के परम एकांत में
अपने ब्रुश की नपुंसकता को चुनौती देते हुए
जब मैंने बन्जर कनवास पर
रंगों का बीज प्रत्यारोपित किया
तो सृजन हुआ एक महापुरुष की आकृति का.

ध्यानमग्न उस महपुरुष के चित्र में
एक स्वर्गिक शांति थी
अधरों पर थी एक अप्रतिम मुस्कान
उन्मीलित चक्षुओं में ज्ञान का आलोक
एक समाधिस्थ सम्पूर्ण महापुरुष
संग्रहालयों में रखी प्रतिमा सा हू ब हू बुद्ध.

सह्सा मेरे कलाकार मन में
तर्क के तड़ित का संचार हुआ
और अंतरमन में एक जिज्ञासा सी जगी
कि सदियों से समधिस्थ हों वे यदि
और परिवर्तित ना हुआ हो उनका मुखमंडल तनिक भी
सम्भव नहीं.

उठाकर ब्रुश को तत्काल
संशोधित किया चित्र को मैंने
चेहरे पर शुभ्र धवल दाढियाँ चित्रित कीं
अनावृत शरीर पर डाला एक चोग़ा
और सिर पर एक ऊनी टोपी.

पूर्णतया चित्रित हो चुके थे वे
दिख रहा था अभी भी मुखमंडल पर तेज
अधरों पर मुस्कान
आनंदातिरेक से मुंदे नेत्रों में वही असीम शांति
अंतर मात्र वस्त्र और दाढियों का था
किंतु इनके पीछे वह पूर्ण सम्बुद्ध बुद्ध ही था.

आज भी वह चित्र
एक नपुंसक ब्रुश द्वारा
एक बांझ कनवास पर बना
मेरी दीवार पर सुशोभित है
घर आने वाला हर अतिथि
चित्र देखकर यही कहता है
कि कलाकार की कला का विस्तार अनंत है
जगद् गुरु ओशो का चित्र सचमुच जीवंत है.

7 comments:

कुमार राधारमण said...

ओशो के संबोधि दिवस का ध्यान दिलाने का आभार।

कृष्ण मुरारी प्रसाद said...

ओशो को शत-शत नमन.....
.......

मेरे ब्लॉग पर भी ओशोधरा का लिंक है....
मेरे ब्लॉग का लिंक है.....
http://laddoospeaks.blogspot.com
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से....

alfaaz said...

Dear Friend, Could not read your comments because of font. can you rewrite in roman. and we must say, your poetry is beautiful...

Dev said...

ओशो के संबोधित दिवस पर ......एक बहेतरीन प्रस्तुति .

shant rakshit said...

Osho was a real thinker....his speeches were based on logical reasonings and appropriate illustrations......I shall be thankful if u keep on publishing his more ideas
shant rakshit

shant rakshit said...
This comment has been removed by a blog administrator.
kshama said...

Sundar rachana!
Ramnavmi ki shubhkamnayen sweekar karen!

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