सम्वेदना के स्वर

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Sunday, September 5, 2010

“शिक्षक-दिवस” - शिक्षक का सम्मान या अपमान?

राधाकृष्णन एक शिक्षक थे, फिर वो राष्ट्रपति हो गये, तो सारे हिदुस्तान में शिक्षकों ने समारोह मनाना शुरु कर दिया “शिक्षक दिवस”.भूल से मैं भी दिल्ली में था और मुझे भी कुछ शिक्षकों ने बुला लिया. मै उनके बीच गया और मैने उनसे कहा कि मै हैरान हूं, एक शिक्षक राजनीतिज्ञ हो जाये तो इसमें “ शिक्षक दिवस” मनाने की कौन सी बात है? इसमे शिक्षक का कौन सा सम्मान है? यह शिक्षक का अपमान है कि एक शिक्षक ने शिक्षक होने में आनन्द नही समझा और राजनीतिज्ञ होने की तरफ गया.जिस दिन कोई राष्ट्रपति शिक्षक हो जाये किसी स्कूल मे आकर, और कहे कि मुझे राष्ट्रपति नहीं होना, मै शिक्षक होना चाहता हूं! उस दिन “शिक्षक दिवस” मनाना. अभी “शिक्षक दिवस” मनाने की जरुरत नहीं है...

स्कूल का शिक्षक कहे कि हमें राष्ट्रपति होना है? मिनिस्टर होना है? तो इसमे शिक्षक का कौन सा सम्मान है ? यह तो राष्ट्रपति का सम्मान है! ..

(ओशो की पुस्तक “नये समाज की खोज” के “विश्व शांति के तीन उपाय” प्रवचन से उद्धृत)

एक बात और... देश में अब तक कई शिक्षक राष्ट्रपति हो चुके हैं.उसके बावजूद साक्षरता की दर का सच इस रिपोर्ट में हैः

दिल्ली 25 अगस्त 2010 (वार्ता के सौजन्य से)
साक्षरता दर के मामले में पड़ोसी देश श्रीलंका भारत से आगे है।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डी पुरनदेश्वरी ने आज लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में बताया कि 2000 से 2007 के बीच 15 साल से अधिक के उम्र के लोगों में भारत में साक्षरता दर 66 प्रतिशत थी जबकि श्रीलंका में यह 91 प्रतिशत थी।
उन्होंने बताया कि 1991की जनगणना के समय अखिल भारतीय स्तर पर साक्षरता 52.21 प्रतिशत थी जो 2001 में बढ़कर 64.84 हो गयी। इस प्रकार दस वर्षों में साक्षरता दर में 12.63 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
और जो इन सरकारी आँकड़ों में साक्षर हैं उनके हाल तो सबको पता है, नाम लिख लेना, नरेगा के रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर लेना, इतना काफी है सरकारी आँकड़ों के बाज़ीगरों के लिये.

सकल घरेलू उत्पाद (जिसको लेकर खूब हल्ला मचा रहता है बड़े बड़े ज्ञानी लोगों में) उसका 2% से भी कम शिक्षा और स्वास्थ दोनों को मिलाकर खर्च किया जाता है.
(यह जानकारी स्वयम् योजना आयोग के सदस्य लोकसभा चैनल पर कुछ दिन पहले दे रहे थे).

नेशनल ज्यौग्राफ़िक की इस तस्वीर को ग़ौर से देखिए... यह हमारी शिक्षा का भविष्य है, हमारा आने वाला कल!!

“शिक्षक दिवस” की बधाइयाँ!!

17 comments:

मनोज भारती said...

वास्तविक शिक्षक दिवस तो उस दिन होगा जब कोई राष्ट्रपति शिक्षक हो जाएगा और देश में कोई भी अशिक्षित नहीं होगा ।

ऐसे राष्ट्रपति की आशा में ...

राजेश उत्‍साही said...

वैसे बात बहुत आदर्श स्थिति की है। पर एक उदाहरण तो हमारे देश में मौजूद है ही। हमारे पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ0कलाम इसका जीगता जागता उदाहरण हैं।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सार्थक लेख ...

कविता रावत said...

....बहुत सार्थक प्रस्तुति
शिक्षक दिवस की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ

soni garg goyal said...

उस वास्तविक शिक्षक दिवस का इंतज़ार रहेगा जा कोई राष्ट्रपति शिक्षित होगा !
शिक्षक दिवस की आपको शुब्कामनाए !

दिगम्बर नासवा said...

आपको भी बहुत बहुत बधाई ....

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (6/9/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

प्रवीण पाण्डेय said...

चिन्तनीय लेख

मनोज कुमार said...

बहुत सार्थक प्रस्तुति
शिक्षक दिवस की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ

रचना दीक्षित said...

बहुत सार्थक लेख
राजेश उत्साही जी की बात से सहमत हूँ डाक्टर कलाम आज के युग में एक मिसाल हैं

Rohit Singh said...

कलाम साब के बारे में क्या ख्याल है भाई जी। कलाम साब तो राष्ट्रपति होने के बाद शिक्षक हो गए....। राष्ट्रपति कोई भी हो सकता है....पर हर कोई शिक्षक नहीं हो सकता...न ही हर कोई कलाम हो सकता है......। सर्वपल्ली जी काफी सज्जन पुरुष थे..और मेरा मानना है कि जब कोई बेहतर व्यक्ति कहीं भी जाए तो बेहतर ही करेगा....।

Rohit Singh said...

उत्साही जी तो पहले की कह दी थी मेरी बात.....। बाद में पढ़ी.....।

सम्वेदना के स्वर said...

@राजेश उत्साही
@रचना दीक्षित
@ बोले तो बिंदास

आपकी सबकी बात से अक्षरक्ष: सहमत.

ऐ.पी जे अबुल कलाम के राष्ट्रपति बनने जैसी घटनायें दुर्लभ हैं. आपको याद होगा कि कलाम साहब एक सुखद दुर्घटना के कारण ही देश के राष्ट्रपति बन सके, जब देश की दोनों मुख्यधारा की पार्टीया अपने अपने एजेंड़ा सैट करने में लगीं थीं तो मुलायम सिहं की पार्टी ने किंचित राजनैतिक कारणॉ से ही कलाम साहब का नाम उछाला था, जिसे काटना फिर मुश्किल हो गया.

सम्वेदना के स्वर said...

@राजेश उत्साही
@रचना दीक्षित
@ बोले तो बिंदास

देश के वर्तमान सत्तातंत्र को किंचित अज्ञात कारणों से वह आज भी नहीं सुहाते वरना शिक्षा में क्रांति लाने की बातों के बीच प्रो. यशपाल का नाम तो आता है पर कलाम साहब को दूर ही रखा जाता है. अनेकानेक अवसारों पर उन्हें लगभग अपमानित किया गया है.

गये साल खबर आयी थी कि किसी अमेरिकन एयर लाइन के जहाज में, भारतीय हवाई अड्डे पर, यात्रा से पहले जूते-मोज़े उतरवा कर उनकी तलाशी ली गयी थी, जिसे उन्होने सहर्ष स्वीकार भी किया. घटना का 6 महीने बाद किसी और हवाले से पता चला जिसकी लिब्राहनी जाचं अभी भी जारी है.

सम्वेदना के स्वर said...

@राजेश उत्साही
@रचना दीक्षित
@ बोले तो बिंदास

मेरे विश्वविधालय के वो मानद अध्यापक हैं और उनपर हमें बेहद गर्व है.

मूल बात, शायद राष्ट्रपति के शिक्षक बनने की भी नहीं है, बल्कि शिक्षक के पेशे को सर्वाधिक सामाजिक सम्मान मिलने की है.

बहराल, क्या बिना गूगल सर्च किये हम बता सकते हैं कि ऐ.पी जे अबुल कलाम का जन्म दिवस कब है?

ZEAL said...

.
आपका लेख बहुत अच्छा लगा। प्रेरक एवं सराहनीय।
आभार ।
.

उम्मतें said...

आपात्कालिक अवकाश से लौटे हैं तो शिक्षक दिवस गुज़र चुका है ! अब केवल शुभकामनायें !

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