सम्वेदना के स्वर

यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,

जिसमें भाव रस और ताल का प्रतीक आम आदमी का भा-- बसता है.
सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....

Saturday, June 12, 2010

चाँद हुआ गुलज़ार !

चार महीने, इकतालीस फॉलोअर, पैंतालीस पोस्ट, 430 टिप्पणियाँ और इससे भी कहीं ज़्यादा लोगों से बने रिश्ते... ये आँकड़े नहीं हैं, यह एक टीस है, जो जितना चुभती है, उतना ही हमारी सम्वेदना के स्वर मुखर होते हैं. यह एक बड़ा ही नाज़ुक एहसास है, जब भी गुज़रता है हमारे दिल के आसमान से, सराबोर कर जाता है कविता, ग़ज़ल या नज़्म की बारिश में. कितनों को पढ़ा और उनके जज़्बात के हमसफर बने, कितनी टिप्पणियाँ लिखीं. लेकिन जो लिखा बेबाक, जैसा महसूस किया! कई बड़ों के आशीर्वाद लिए, छोटों को सलाहियत दी... गोया एक पूरा ख़ानदान गढ़ लिया हमने, ब्लोग की इस अनजान सी क़ायनात में....

आज की पोस्ट डेडिकेटेड है उस शख्स को जिसने चाँद को सिर्फ घटती बढती कलाओं में ही नहीं, बल्कि उससे भी आगे जाकर देखा है. जिसे चाँद कभी महबूबा की जगह रोटी नज़र आता है, कभी भिखारन के हाथ का कटोरा और कभी चमकीली अठन्नी… चाँद का शायद ही कोई ऐसा रूप होगा, जो इनसे छिपा हो. और इंतिहाँ ये कि इन्होंने एलानिया तौर पर कह दिया है कि "चाँद चुरा के लाया हूँ". लिहाज़ा किसी दूसरे के लिए कोई सूरत नज़र नहीं छोड़ी. साईंसदान चाँद पर ज़िंदगी तलाश करने में मसरूफ़ हैं और आज हमने अपनी इन छोटी नज़्मों के मार्फत ये एलान कर दिया है कि चाँद हुआ गुलज़ार.

 RUMOUR

कब सोचा था दादी नानी के सारे अफसाने बिल्कुल झूटे होंगे,
चाँद पे कोई बुढिया रहती है, ये सब बस कोरी गप्प थी.
आज ही मैं ने जाना है ये
चाँद पे रहता है एक शख्स सफेद पजामे कुर्ते
और तिल्लेवाली एक जूती पहने
बुढिया की अफवाह उसी ने फैलाई थी सदियों पहले.
आज ही मैंने जाना है
इक नाम भला सा है उसका
और भरी हुई है सिर से लेकर पाँव तलक
भरपूर मोहब्बत, गहरा प्यार
ज़ुबाँ पे क्यों आता ही नहीं... सम्पूरन सिंह गुलज़ार.

WATER LOGGING

कल की रात हुई थी बारिश
आसमान में चारों ओर थी वाटर लॉगिंग
एक तारे ने दूसरे तारे की उँगली को थाम रखा था
दूसरे तारे ने धीरे से पैर जमाकर चाँद के ऊपर
पानी का गड्ढा हौले से फाँद लिया था.

CRIME RATE

सचमुच क्राईम रेट आज आकाश की हद तक पहुँच गया है
कुछ दिन पहले तक तो पूरा चाँद
टँगा था आसमान में.
आज की रात जो देखा मैंने
कोई आधा काट के अपने साथ ले गया.


27 comments:

दिलीप said...

crime rate waterlogging aur rumour teeno hi aapki soch ki aseem udaan ka nateeja hai...prafullit ho gaya man ye padh ke...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

तीनों रचनाये बहुत खूबसूरत....

संजय कुमार चौरसिया said...

bahut sundar rachnaayen

http://sanjaykuamr.blogspot.com/

kshama said...

Gulzaar mere pasandeedaa geetkaar hain! Bahut se geet pasand hain,par 'Hamne dekhi hai un aankhon ki mahakti khushbu...'!
Upar dee gayi rachnayen halanki,kaafi alag hain,par badi asarkaar hain,isme shak nahi.

Raravi said...

आपकी कविताये बहुत सुन्दर हैं। मुझे " तारों का हाथ पाकर चाँद के पानी भरे गड्ढों को लांघना" का ख्याल बहुत सुन्दर लगा. गुलज़ार साहेब हमारे समय की बहुत बड़ी शाख्शियत हैं। उनकी इज्ज़त में लिखी नज़्म हम सब के दिल की ही बात है. धन्यवाद।
आपकी रचनाएं पुस्तक रूप में प्रकाशित होनी चाहिए.

अरुणेश मिश्र said...

बधाई , अच्छा लिखने के लिए ।
कविताएँ प्रशंसनीय ।

soni garg goyal said...

कुछ दिन पहले तक तो पूरा चंद टंगा था
आसमान में
आज की रात जो देखा मैंने
कोई आधा काट के अपने साथ ले गया .............
rumour , water logging , crime rate ..................all three R great...........

अमिताभ मीत said...

बढ़िया ! बहुत ख़ूब !!

honesty project democracy said...

सार्थक और उम्दा विचारणीय प्रस्तुती ....

शोभना चौरे said...

bahut sundar rachnaye

स्वप्निल तिवारी said...

ab baat humare chacha jaan ki ho rahi hai to hum kaie chup rahen ...

pahli nazm padh ke chacha jaan se jalan ho gayi ...heheh....actually aksar ho jati hai ...:P :D


doosri nazm .. kitni pyari imagination hai ..kya kahun .... mujhe bhi likhni hai ye wali nazm .. :)


aur tisari nazm .. hmm ek triveni ek dost ki ..

http://vartikash.blogspot.com/2009/02/3.html





:) thankuuuuuuuuuuu sooooo muchhhhhhhhhh..ye post likhne aur post karne ke liye....mood ban gaya..shaam ban gayi .. :)

स्वप्निल तिवारी said...

aur chacha ki jo photo aapne lagayi hai ..uspe to waari jaavaan .. :)

Arvind Mishra said...

चाँद सी कविता -चन्द्रकला सी भी !

Satish Saxena said...

आपकी कलम की ताकत आपकी रचनाओं से साफ़ साफ़ महसूस भी होती है ! मुझे विश्वास है कि ब्लागजगत में आप दोनों का यह ब्लाग बहुत शीघ्र अपनी जगह बनाने में कामयाब होगा ! हार्दिक शुभकामनायें !

योगेन्द्र मौदगिल said...

jai ho.......Mazaa aa gaya..Behtreen..

shikha varshney said...

आह आज का तो दिन बना दिया आपने ये नज़्म पढवा कर.

मनोज भारती said...

खूबसुरत नज़्म ... बेहतरीन

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

अच्छी प्रस्तुति........बधाई.....

दिगम्बर नासवा said...

वाह वाह ... आज ओ सचमुच गुलज़ार है आपका ब्लॉग .. न सिर्फ़ नज़्म गुलज़ार हैं .. बल्कि गुलज़ार भी गुलज़ार हैं आज तो ... बहुत कमाल की नज़्म हैं ..

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर.

mridula pradhan said...

behad khoobsurat rachnayen.

Amitraghat said...

बेहतरीन ..आनन्द आगया....."

देवेन्द्र पाण्डेय said...

चाँद हुआ गुलजार
बधाई हो...
अच्छा लिखा है आपने
बेहद शानदार.

Apanatva said...

bahut hee mohak rachnae hai.....

soch aur.kalpana kee koi sarhad nahee hotee kitna accha ehsaas hai ye.............

hisaab rakhana chod theejiye bus itana hee aagrah hai.....
kitne followers kitne comments..........................
aapke lekhan me sarthakta paripakvta adhyayan sub jhalakata hai.......
nayee bulandiyo ko chooe isee aasheesh ke sath.......

Udan Tashtari said...

वाह!! तीनों रचनाओं पर तो है ही...मगर जो समर्पण किया है आपने इन रचनाओं का...उस हेतु नमन मित्र. बहुत खूब!!

Suman said...

तीनों नज्में बेहद खूबसूरत है भाई !

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

वाह क्राइम रेट और वाटर वाली नज्में तो बेमिसाल हैं गुलज़ार से भी ऊपर 'गुलज़ार'। वे भी सोच रहे होंगे कि अनूठी कल्पनाओं पर केवल उन्हीं का हक़ नहीं है

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