सम्वेदना के स्वर

यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,

जिसमें भाव रस और ताल का प्रतीक आम आदमी का भा-- बसता है.
सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....

Thursday, March 11, 2010

ढोंगी बाबा , लालची मीडिया और लाचार आदमी

पिछले कुछ दिनों से हमारे सारे समाचार चैनेलों, जिन्हें आज के संदर्भ में News Entertainment Channels कहना उचित होगा, ने भारतीय समाज में फैले ढोंगी बाबाओं के स्टिंग ऑपरेशन किये और साबुन तेल के विज्ञापनों का तडका लगाकर इन समाचारों की जम कर बिक्री की. “सी” ग्रेड मुम्बैया फिल्मों की तर्ज़ पर बनी इन खबरों का एकमात्र उद्देश्य सनसनी फैलाना भर है.

ज़रा ग़ौर करें उन खबरों की हेडलाईन पर –
“बाबा की रंगरलियाँ”, “अय्याश बाबा”, “पाखंड का पर्दा फाश”, “लडकियाँ सप्लाई करने वाला बाबा” .

इतना ही नहीं, इसके बाद दिखाई जाती हैं अश्लील तस्वीरें और शानदार background music. पूरा “सी” ग्रेड फिल्मी महौल तैयार. ऐसे में यह निर्णय करना कठिन हो जाता है कि असली पाखंडी कौन है, आस्थाओं के साथ खिलवाड करने वाला वो अय्याश बाबा या सुधारक के वेश में जनता के विश्वास के साथ खिलवाड करने वाला समाचार मनोरंजन चैनेल.

तनिक ध्यान दें इन तथ्यों परः

  •  कृपालु जी महाराज के आश्रम में हुई भगदड में “खबर हर कीमत पर” दिखाने का दावा करने वाले एक चैनेल ने बहुत हाय तोबा, चीख पुकार मचाई. बिखरी चप्पलें, लाशें और खून दिखाया... टी.आर.पी.बढी, विज्ञापन बढे, कमाई बढी... लेकिन मोटी कमाई करने वाले इन चैनेलों ने सौ रुपये के लिये जान देने वाली जनता (जिनका दर्द वो परोस रहे थे) के कफन पर दो रुपये भी डालने का एलान नहीं किया.

  • इच्छाधारी बाबा के पूरे धंधे का पर्दाफाश किया, बताया कि ये 600 कॉल गर्ल्स का रैकेट था. बाबा का असली नाम हमारे खोजी मीडिया ने खूब उछाला, लेकिन उन मजबूर लडकियों के ग्राहकों की तरफ से सबों ने आँखें मूँद लीं जो इस अनाचार में बराबर के भागीदार थे. इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा कि दक्षिण दिल्ली और नोएडा में केंद्रित इन मीडिया घरानों की नाक के नीचे ये कारोबार बरसों से चलता रहा और “खबर हर कीमत पर” दिखाने वाले चैनेल को कानोंकान खबर भी ना हुई. पर्दाफाश का जो काम दिल्ली पुलिस का था, चंडूखाने की खबर के मुताबिक वो काम बाबा के किसी विरोधी दलाल ने किया.

  • स्वामी नित्यानंद की कहानी भी अजीब है. इस स्वामी के एक तमिल अभिनेत्री के साथ अवैध सम्बंधों की सी.डी. लगातार दिखायी जाती रही. बिना यह सोचे कि  ना तो पीडिता की कोई शिकायत कहीं दर्ज की गई,  ना तो इन सबूतों का न्यायालय ही कोई संज्ञान लेता है और सबसे महत्वपूर्ण कि समाचार चैनेलों पे लगातार वो दृश्य दिखाना जो लोग परिवार के साथ देखते हैं, बच्चों पर क्या असर डालता है.
बहरहाल इस घटना ने ढोंगी बाबाओं के काले कारनामों में तो मात्र एक और अध्याय ही जोडा है, लेकिन मीडिया के रोल पर एक बडा सवाल खडा किया है, जिस पर एक बार ग़ौर करने की आवश्यकता है. सवाल ये कि

1. समाचार मनोरंजन नहीं, बी.बी.सी. जैसा कोई सम्वेदनशील मीडिया तंत्र है जहाँ खबरें हर कीमत पर नहीं, वरन सामाजिक सम्वेदनशीलता की बुनियाद पर चुनी जाती हैं.

2. ढोंगी बाबाओं की घटना को पार्श्व में रखकर, एक सार्थक बहस की जाती कि आज का आम आदमी जहाँ झूठे विज्ञापन से धोका खा जाता है वहाँ कैसे नहीं वो अकेला, निराशा का सलीब उठाये बाबाओं के चमत्कार पर भरोसा करे.

मीडिया देश की आवाज़ बन सकता था, घर घर प्राथमिक शिक्षा पहुँचाने का माध्यम बन सकता था, उस गूंगी जनता का मसीहा बन सकता था, अंधविश्वास का चक्रवयूह तोडने में सहायक हो सकता था और बन सकता था एक सम्वेदनशील अभिव्यक्ति का माध्यम.

लेकिन मीडिया बाँट रहा है क्रिकेट और बॉलीवुड की मसाला खबरों की अफीम, कर रहा है झूटे विज्ञापनों के नकली उत्पादों द्वारा जेब काटने का कारोबार, हर कीमत पर खबर दिखाने का दावा करके हर खबर की कीमत वसूल कर रहा है.
तभी तो मुकेश अम्बानी का अपनी पत्नी को साल गिरह पर दिया जाने वाला 400 करोड का हवाई जहाज तो खबर बनता है,लेकिन सौ रुपये के थाली, लोटे और आधा पेट भोजन के लिए जान देने वाले आम लोग सिर्फ सुर्खियों तक ही सीमित रह जाते हैं, क्योंकि इन सुर्खियों से ही 400 करोड बटोरे जा सकते हैं.

6 comments:

RAJENDRA said...

jab sab cheejon kaa bazareekaran hogaya hai to meedia kyon na rotee seke

मनोज कुमार said...

मुकेश अम्बानी का अपनी पत्नी को साल गिरह पर दिया जाने वाला 400 करोड का हवाई जहाज तो खबर बनता है,लेकिन सौ रुपये के थाली, लोटे और आधा पेट भोजन के लिए जान देने वाले आम लोग सिर्फ सुर्खियों तक ही सीमित रह जाते हैं, क्योंकि इन सुर्खियों से ही 400 करोड बटोरे जा सकते हैं.
आपसे सहमत हूं। आज देश में 72 खरबपति हैं। इनकी छींक खबर बन जाती है। कारपोरेट जगत को इन पर गर्व है।
लेकिन देश में ३६ करोड़ लोग ग़रीबी रेखा के नीचे हैं।
कितनों को शर्म महसूस होता है???

Anonymous said...

बिल्कुल सही कहा है आपने। आजकल मीडिया अपनी प्रासंगिकता खो चुका है। सिर्फ़ पैसा कमाना चाहते हैं ये लोग।

Naveen Rawat said...

The above article of samvedana ke swar has instigated me to write the following in my local newspaper, as a mark of my protest to greedy electronic media :

मंह्गाई और बदहाली से त्रस्त भारतीय परिवारो की बहुओं के हाल से बेखबर हमारे टीवी चैनल “बालिका वधु” टीवी सीरियल की बहू की सीरियल मे हुई मौत पर घडियाली आंसू बहा कर देश के साथ क्रूर मज़ाक कर रहे है.

शर्मनाक है कि हमारे देश के समाचार टीवी चैनल, मनोरंजन को समाचार और समाचार को मनोरंजन बना कर बेच रहे हैं.

Anonymous said...

kya apne UTV bindaas tv par emotional atayachar serial dekha hai.....kisi kisi ke parivaar ke beech difference paida karne ke liye sting operation karaya jata hai......media ka programme bikta hai aur har baar ek parivaar tut jata hai....shame shame media

shant rakshit

Unknown said...

बाज़ार में वही समान ज्यादा भेजा जाता है
जिसकी मांग ज्यादा होती है
फिर मीडिया को क्यों दोष दे
हम ही तो है जो ऐसे ही सामान खरीदते है
कंगालों की सूचि भी अगर जारी हो तो
हम सबसे बड़ा कंगाल तलासते है
विनोद कुमार

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