सम्वेदना के स्वर
यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,
जिसमें भाव रस और ताल का प्रतीक आम आदमी का भा-र-त बसता है.
सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....
26 comments:
विश्व का महान जनतंत्र!!!!
जालियाँवाला बाग़ तो अंग्रेजों ने अंजाम दिया था न!!!
विनाश काले विपरीत बुद्धि!!!
सही है .....काला रविवार ...!
काला रविवार ...!
शर्मनाक।
लोकतंत्र का काला अध्याय, काला रविवार
'शर्म' भी मुंह छुपा और आह भर कर रह गयी होगी.
आग ऐसी लगी है दिलो में ... ना बुझेगी किसी के बुझाये ...
मन की अग्नि है आँखों से झलकी ... सर नहीं झुकते है अब झुकाए ...
अब तो बिगड़े है तेवर सभी के ... निकले सब अपने घर को जलाये ...
वो जो आंधी के जैसे उठे है ... ना दबेंगे किसी के दबाये ...
खाई सौगंध सभी ने ... अब "गुलामी" को देंगे मिटाए ...
अब यह साबित हो चूका है कि आजकल 'भूरे साहबो' का राज चल रहा है ...
जिस कांग्रेस ने अपने गांधी को भुला दिया ... वो उसकी अहिंसा को भला कैसे याद रखती !!
अंग्रेजों से भी बदतर सलूक...इंडियनस द्वारा भारतीयों पर...काले धन को बचाए रखने के लिए बेकसूर निहत्थों पर अमानवीय व्यवहार...हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
हे प्रभू!!!इन्हें सद्बुद्धि देना क्योकि ये नहीं जानते ये क्या कर रहें हैँ।
काला मन,
काला धन,
काला तंत्र,
काले अंगेज,
काली करतूतें,
काली रात
सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए शर्मनाक
व्यथित और निःशब्द ..काले रविवार का इतिहास क्या करवटें लेगा ? इंतज़ार है !
लोकतंत्र के सच्चे सिपाही कभी भी पुलिस की लाठियों से भयभीत नहीं होते और जरुरी नहीं की हर बड़ा युद्ध सिर्फ कुरुक्षेत्र से ही लड़ा जा सकता है. दिल में हिम्मत, विचारों में दृढ़ता और खुद पर पूर्ण विश्वास के साथ किसी भी जगह से शुरू किये गए युद्ध में हमेशा हमारी ही जीत होगी. मगर मेरे दिल में बहुत अफ़सोस है की बाबा का सत्याग्रह असत्य की नीव पर शुरू हुआ थाऔर बाद में भी बहुत बार इसमें झूट का सहारा लिया गया और आम जनता को बरगलाया गया. इस सब के बाद भी आज मैं सरकार के विरोध में हूँ क्योंकि उसने शांति पूर्ण प्रदर्शन कर रहे स्त्री पुरुषों पर आधी रात के वक्त लाठियां बरसाईं. इस सब से मुझे रामपुर तिराहा कांड याद आ गया जहाँ इससे सैकड़ों गुना ज्यादा अत्याचार निर्दोष महिलाओं और बच्चों पर किया गया था.
मैं सरकार की इस कार्यवाही का कड़ा विरोध करता हूँ.
जब लोकतंत्र ही गिरवी पड़ा हो तो उस से किस इन्साफ की बात आप कर सकते है......
सिपाही क्या ख़ाक लड़ेंगे...
@ शिवम् मिश्रा said... आजकल 'भूरे साहबो'
मिश्र जी किसी भी देश की पुलिस एक मशीन माफिक होती है...... और हमारे देश में ये २०० साल पुरानी मशीन है....... पूरा का पूरा ढांचा ही मुग़ल हकुमत से अंग्रेजी साब बहादुर द्वारा फिल्टर होता हुआ दुनिया के महान लोकतंत्र द्वारा इस्तेमाल में लाया जा रहा है......
@सलिल जी, जलियांवाला बाग में कम से कम इस बात की तस्सली थी थी की अँगरेज़राज है और गोली चलाएंगे ....
पर यहाँ तो अपने ही भाई बंधुयों ने आर्डर किया होगा.
यह निंदनीय तो हैं ही पर इसकी निंदा करने के लिए हमें घरों से निकलना होगा। प्रतिकार करना होगा। तरीका जो भी हो।
भारतीय लोकतंत्र को शर्मसार करती घटना। पता नहीं काला दिवस भी कहना चाहिए या नहीं। क्योंकि काला रंग के भी कोई मायने होते हैं यहाँ तो केवल तानाशाही है।
कुछ तो दाल में काला है ... सब प्रायोजित सा लगा ???
dardnaak bhee aur loktantr ke liye sharmnaak bhee.....
Dadee jinhe hum ammajee kahte the agar jindaa hotee jo ghata use bokhalahat me apane pavo me swayam kulhaadee maarna hee kahtee .
Salil 3 wks ke liye bahar ja rahee hoo aakar hee sabhee kee post pad paaungee / kohnee ab kaisee hai?
dhyan rakhana /
Aasheesh
बहुत ही दुखद हुआ।
शर्मनाक ... सरकार के बस में बस यही है ...
सही प्रतीक इस ब्लेक सन्डे के लिये...
चमड़ी जैसा ही मन ...
salil bahi v chaitany bhai ji
bilkul sateek chitran kiya hai aapne .
iske alawa iasse behatar ho hi nahi sakta tha.
aapne jara se me hi sab kuchh yaad dila diya.
bahut sahi prastuti
hardik abhinandan
poonam
kaale logo ka kala sach...
kunwar ji,
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