सम्वेदना के स्वर

यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,

जिसमें भाव रस और ताल का प्रतीक आम आदमी का भा-- बसता है.
सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....

Friday, August 26, 2011

एक विद्रोही स्वामी का नया ब्लॉग !!

6 comments:

शिवम् मिश्रा said...

बहुत बहुत आभार !

सुज्ञ said...

बहुत ही आभार इस बहुमूल्य लिंक के लिए

अरुण चन्द्र रॉय said...

आभार इस बहुमूल्य लिंक के लिए !

Arvind Mishra said...

देखता हूँ इस मनीषी के लिखे को !

मनोज कुमार said...

एक मुहिम चलनी चाहिए कि इस लिंक का पता सबको चेन के रूप में बताया जाय।

दीपक बाबा said...

क्यों अकेले रह गए स्वामी..

क्यों नहीं अखिल भारतीय संगठन बना पाय..
जो इनकी विचारधारा को, इनके संघर्ष को गली गली ले जाते ..

एक पोस्ट के अभिलाषी है ... जो कई दिनों से मेरे मन के प्रशनो के उत्तर दे...

आभार.

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