इन दिनों देश में एक के बाद एक हो रहे खुलासों से यह राय
सुद्रढ़ हो रही है कि “भारत के
सभी संसाधनों" पर चन्द रईसों और ताकतवर लोगों का कब्जा है। रईसों और ताकतवर
लोगों के बीच बनें इस “सशक्त
गठबन्धन” को हम “सिंडीकेट या माफिया” कह सकते हैं।
रईसों और ताकतवर लोगों का यह “सिंडीकेट” कुछ “नियम-कायदे” बनाता है ताकि जो लोग रईस और ताकतवर नहीं हैं
वह इस (अ)व्यवस्था से हमेशा बाहर ही रहें। यह “सिंडीकेट”, सभी महत्त्वपूर्ण जानकारियों और ज्ञान को अपने नियन्त्रण में रखता है। जानकारियों
से यहाँ मतलब धन बनाने, व्यापार
और रोजगार की उन सम्भावनाओं से है जिनका पूर्व ज्ञान मात्र कुछ लोगों को ही रहता
है। (इसका सीधा मतलब यही है कि कौन सी जमीन महंगी
होने वाली है, किस जगह हाई-वे, पावर प्लांट आदि बनाने हैं, किस
प्रकार की टेक्नोलोजी या उत्पाद को बढावा देना है। सरकारी और निजी व्यापार और
रोजगार की बयार किस तरफ बहेगी और उससे होने वाले लाभ की गंगा किस तरह और किस किस
को तरेगी .....यही सब)
उपरोक्त जानकारियों को सीमित पहुंच तक रखने के लिये
रईसों और ताकतवरों का यह “सिंडीकेट”
बहुत से नियम-कायदों का मकड़जाल बुनता
है। नियम-कायदों के इस मकड़जाल का पहला मकसद यही होता है कि “आम आदमी”, रईसों और ताकतवरों के इस वैभवशाली साम्राज्य से दूर रहे और उसे किसी भी
तरह से चैलेंज करने की स्थिति में न पहुचें। नियम-कायदों के इस मकड़जाल में बहुत सी सीढ़ियां होती
हैं और हर सीढ़ी पर एक गेट कीपर तैनात होता है।
यह (अ) व्यवस्था हर गेटकीपर को कुछ ताकत देती है जिनके
द्वारा वह अपनी सीमा में नियत नियम-कायदों को नियंत्रित करता है।......यह बात
महत्वपूर्ण है कि गेटकीपर
का अहम काम अपने उपर वाली सीढ़ी तक पहुंच को मुश्किल बनाना है, इसके परिणाम स्वरुप प्रत्येक उपर वाले गेटकीपर
की ताकत कई गुना बढ़ती जाती है। और अंत में सिंडीकेट महा-शक्तिशाली हो जाता है।
रईसों और ताकतवरों का यह सशक्त गठबन्धन या “सिंडीकेट”, अन्य सहयोगी लोगों के “शातिर नेटवर्क” के द्वारा नियम-कायदों के इस मकड़जाल को नियंत्रित
करता है, और यह सुनिश्चित करता
है (अ) व्यवस्था की सभी संस्थायें इस “शातिर नेटवर्क” के द्वारा नियंत्रित की जायें। इन संस्थायों
के मुखिया के पद पर जब शातिर नेटवर्क के व्यक्ति को बैठाया जाता है तो उसकी ताकत
बेहद उंचे दर्जे की हो जाती है क्योकिं उसके कार्य अब विधि और संविधान सम्मत हो
जाते हैं और उन्हें चैलेंज करना मुश्किल ही नहीं लगभग नामुमकिन को जाता है। “सशक्त गठबन्धन या सिंडीकेट” इस बात के पूरे इंतजाम करता है कि “शातिर नेटवर्क” के एक- एक व्यक्ति को ताउम्र पूर्ण सरंक्षण
दिया जाये।
आप कह सकते हैं कि क्या देश का “वाच डाग” मीडिया और इस “शातिर नेटवर्क” से बाहर हुये लोग क्या इतनी आसानी
से इसे काम करने दे सकते हैं?
तब जबाब यही है कि “मीडिया” जो जनमानस को निरंतर प्रभावित करता है उसे भी इसी “शातिर नेटवर्क” द्वारा येन केन प्रकारेण नियंत्रण में रख कर “वाच डाग” से “लैप डाग” बना दिया जाता है। “शातिर नेटवर्क” में उन लोगों को सहर्ष स्वीकार कर लिया जाता है
जो या तो येन केन प्रकारेण, “सशक्त गठबन्धन या सिंडीकेट” को फायदा पहुंचाते हैं या फिर उनका बहुत विरोध
करने की स्थिति में पहुंच जाते हैं। बहुत से गेटकीपर जो अपने रसूख और धनबल को बढ़ाने में
कामयाब हो जाते हैं उन्हें भी शातिर नेटवर्क में शामिल कर लिया जाता है।
(अ) व्यवस्था के पूरे तन्त्र को लालच रुपी इंजन से चलाया जाता
है और इसके सभी कल पुर्जों में काले धन रुपी लुब्रीकैंट को डाला जाता है।