सम्वेदना के स्वर

यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,

जिसमें भाव रस और ताल का प्रतीक आम आदमी का भा-- बसता है.
सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....

Friday, May 7, 2010

गोवा मेरे कैमरे की नज़र से

पिछले हफ्ते आप लोगों से छुट्टी लेकर गोवा चला गया था. चैतन्य जी का आग्रह था कि मैं गोवा का यात्रा वृतांत लिखूँ. उन्होंने तो कहा था कि GO और ‘आ’. यानि जाकर आ, और शर्त ये थी कि आते ही एक ताज़ी पोस्ट गोवा के अनुभव पर. कुछ और मित्र भी ज़ोर दे रहे थे. सोचा, बड़ा कठिन काम दे दिया मुझे. लिखूँ क्या !!! इतिहास सब को पता है, भूगोल सब जानते हैं, और सुंदरता फिल्मों से लेकर इंटरनेट पर तथा तस्वीरों से लेकर प्रत्यक्ष भी सब ने देखी है. फिर इसमें नया क्या हो सकता है. और गोवा है ही इतनी सुंदर जगह कि अगर मैं सुंदरता बखानूँ तो बात वैसी ही हो जायेगी जैसे लता मंगेशकर की आवाज़, अमिताभ की अदाकारी या सचिन की बल्लेबाज़ी की तारीफ कर रहा हूँ.

अब तक की पोस्ट पर मैंने कई बातें कीं… आज इन तस्वीरों को बोलने देता हूँ:

संत फ्रांसिस जेविअर का पार्थिव शारीर:
ये रातें, ये क्रूज़ और मांडवी नदी का किनारा:
कोंकणी किसान नृत्य:
पुर्तगाली नृत्य:
पणजी शहर:
प्राचीनतम प्रकाश स्तम्भ:
बोम जीसस गिरजाघर:
पुर्तगाली शैली में बने मंदिर:
बिग फुट:
एक शिला से बनी ३० दिनों में निर्मित मीरा बाई की आकृति:
दोना पोला - प्रेम कहानी या किम्वदंती: 

गोवा चिड़िया की नज़र से:

सिर्फ एक झलक है यह एक खुबसूरत जगह की...

7 comments:

मनोज भारती said...

गोवा के दर्शन करवाने के लिए आभार । सभी चित्र बताते हैं कि आप एक अच्छे फोटोग्राफर भी हैं ।

Satish Saxena said...

बहुत पहले गोवा गया था , आप चित्रों के बारे में थोडा और लिखते तो अच्छा रहता , जैसे बिग फूट के बारे में ! पुर्तगाली शैली के मंदिरों के बारे में पता ही नहीं था !

kshama said...

Goa gayi thi,lekin kuchh bhi dekh nahi payi thi..aise laga jaise dekh liya...phir ekbaar jane ki tamanna jagi hai.

सम्वेदना के स्वर said...

@ सतीश सक्सेनाः
आपने जिस बात की तरफ इंगित किया है वो उचित है... वास्तव में पोस्ट के आकार को सीमित रखने के कारण उन जगहों के विषय में नहीं लिख पाया... बॉम जीसस गिरजाघर, अगुआदा का क़िला, बिग फुट, दोना पओल और मएंद्रो जोसेलिनो अरुआजो अल्वारेस की उकेरी मीराबाई की आकृति जो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है..वहाँ के मंदिरों और पूजा पद्धति, वहाँ की कई बेहतरीन प्रतिभाएँ, जिन्होंने मुझे व्यक्तिगत रूप से प्रभावित किया है के बारे में, लोग, रहन सहन, वेश भूषा, बोली... सर! इस जगह ने इतना प्रभावित किया कि इस पर एक अलग से पोस्ट लिखूँगा...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत खूबसूरत चित्र..

स्वप्निल तिवारी said...

Abhi kuch din pahle bhaia gaye the goa...to unke saujanya se feny dekhne ko mili..aur aapke saujanya se goa dekhne ko mil gaya..hehe..thanku so much..

वन्दना अवस्थी दुबे said...

bahut sundar chitr. sachmuch mazaa aaya yahan aake. aabhaar.

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