सम्वेदना के स्वर

यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,

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सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....

Tuesday, January 4, 2011

आवाज़ की दुनिया - एक पॉडकास्ट

आज पहली बार पॉडकास्ट करने की सोची. बहुत से लोगों की देखा देखी, सोचा अपना गला भी आजमा कर देखते हैं, तो इस बार कलम और की पैड को आराम देते हुये, पेश है हमारी पहली पॉडकास्ट!!



28 comments:

सम्वेदना के स्वर said...

भूल सुधारः
इसमें जिस गीत (चाँदी की दीवार न तोड़ी) को हमने मनहर का गाया कहा है,वो दरसल मुकेश ने ही गाया है. जिस गीत की बात की जा रही थी वह गीत है "आपसे हमको बिछड़े हुए,एक ज़माना बीत गया. भूल के लिये खेद है!!

रचना दीक्षित said...

चलिए आज आवाज से परिचय भी करा दिया आपने
सुंदर आवाज में बहुत ही बढ़िया जानकारी भी. अब आँख बंद करके आपके ब्लॉग का रसास्वादन किया जा सकता है. ये सुविधा अगर कमेंट्स के लिए भी प्रयोग की जाये तो और भी मजा आ जाये.

एस एम् मासूम said...

बहुत अच्छी बात कही है अच्छे अंदाज़ मैं.....ज्ञानवर्धक

shikha varshney said...

पॉडकास्ट शुरू होते ही जबान से निकला कि वर्षों बाद ही सही एक और अमीन साहनी मिला आवाज़ की दुनिया को.फिर पता चला कि वे अमीन साहनी ही थे :) वैसे आपकी सधी हुई और गहरी आवाज़ भी उनसे कुछ कमतर नहीं.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...
This comment has been removed by the author.
dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

आवाज की कहानी आपकी जुबानी सुन आनंद आ गया .

Arvind Mishra said...

कुछ लोचा लगता है आन ही नहीं हो रहा है !

Arvind Mishra said...

सुना सुना मगर ये आवाज किसकी है? मतलब डबिंग या ओरिजिनल ?

abhi said...

मुझे बहुत कुछ मालुम नहीं था...
बहुत जल्दी खत्म हो गया :(....मुझे और सुनना था :)
...

वैसे, शिखा दी की बात से एकदम सहमत... :)

शिवम् मिश्रा said...

बढ़िया प्रयास है ... लगे रहिये ! शुभकामनाएं !

प्रवीण पाण्डेय said...

औरों को आवाज देने वालों को आवाज दी आपने।

Deepak Saini said...

आज आपकी आवाज के द्वारा आवाज के कहानी अच्छी लगी।

राजेश उत्‍साही said...

आपकी आवाज अच्‍छी है इसमें कोई शक नहीं है। पर इसे लिखने का पर्याय मत बनाइए। आंखों से पढ़ने और कानों से सुनने में बहुत अंतर होता है। अगर सब लोग पॉडकास्‍ट बनाने लगेंगे तो ब्‍लागिंग ही खतरे में पढ़ जाएगी। पॉडकास्‍ट की पोस्‍ट को पूरी तरह जानने के लिए उसे पूरा सुनना ही पड़ेगा। लेकिन लिखी हुई पोस्‍ट को आप आंखों से कहीं जल्‍दी पढ़ सकते हैं।
*
और सही नाम अमीन साहनी नहीं बल्कि अमीन सयानी है।

केवल राम said...

आपका प्रयास सराहनीय है ....शुक्रिया

मनोज भारती said...

आवाज की दुनिया को आपकी मधुर और सधी आवाज में सुनकर अच्छा लगा ...बार-बार सुनने को दिल चाहता है ...

दीपक बाबा said...

सलाम साहेब............ सलाम........ आपके व्यक्तित्व के इस पक्ष को भी सलाम.

शायद सुहराब मोदी रह गए ............. आप उनका जिक्र नहीं कर पाए......... फिर कभी....

सम्वेदना के स्वर said...

@शिखा वार्ष्णेय जीः
अमीन अंकल (मैं आज भी उनको अमीनअंकल ही कहता हूँ)का सही नाम अमीन सायानी है! वे पारसी हैं, और उनके बड़े भाई हमीद सायानी (लोमा हेयर ऑयल एक कड़क अंग्रज़ी आवाज़ में विज्ञापन रेडियो सीलोन पर)उनको विज्ञापन की दुनिया में लेकर आए थे...

@ राजेश उत्साही जीः
आपकी बात बिलकुल सही है, और यह केवल एक प्रयोग के तौर पर मैंने किया है. दोस्तों की ज़िद थी और चैतन्य भाई का इसरार, ठुकराना मुश्किल था. और हाँ! मैंने,अमीन सायानी ही कहा है.
.
एक स्वीकारोक्तिः
मेरे भतीजे अभिषेक ने इस पॉडकास्ट को तैयार करने में मुझे तकनीकि सहायता दी, उसका आभार!

sonal said...

wow very nice...

स्वप्निल तिवारी said...

salil sir aapki aawaz se to main pahle se hi parichit hun..jo ki bilashak damdar hai ..podcast ke liye isse accha vishay shayad hee kuch aur hota ...yah post apne aap men abhootpoorv hai..aur mere liye to bahut sari baaten nayee hain.. :)

ZEAL said...

बहुत अच्छा लगा आपकी आवाज़ में सुनना।
एक सराहनीय प्रयास।

उम्मतें said...

आपकी आवाज़ और पाडकास्ट प्रयोग दोनों ही पसंद आये ! अब कमेन्ट ये कि इससे आगे दोनों विकल्प यूज किये जायें ! हर पोस्ट पर पाठक या श्रोता होना हम तय कर लेंगे :)

Satish Saxena said...

यह नया काम शुरू कर दिया :-)
...अब फिलिम वाले भी आ जायेंगे !
शुभकामनाएं !

लाल कलम said...

सुन्दर प्रस्तुति,
आप की कविता बहुत अच्छी लगी
बहुत बहुत आभार

नीरज गोस्वामी said...

हम राजेश उत्साही की बात सहमत हूँ...गौर किया जाए...

नीरज

संजय @ मो सम कौन... said...

बहुत लंबा रास्ता तय करना पड़ा है, इस पाडकास्ट को सुनने के लिये। पता नहीं क्यों विज़ेट काम नहीं कर रहा था। डाऊनलोड करके हार्ड डिस्क में सेव कर लिया है और सुनने के बाद यहाँ आये तो विज़ेट भी चकाचक।
लेकिन मेहनत वसूल हो गई। जिनका नाम है, उनका गुणगान करने को तो दुनिया है, unsung heroes हमारे ज्यादा फ़ेवरेट रहे हैं, बेशक इतनी महीन जानकारी नहीं थी। सिद्ध हो गया कि आपका इस क्षेत्र में भी खासा दखल है। विषय बहुत पसंद आया।
अभिषेक और चैतन्यजी को भी हमारा धन्यवाद पहुंचे।

सुज्ञ said...

बडी मधुर और गम्भीर लहजेदार आवाज़ है।
आरोह अवरोह मंजे हुए प्रोफ़ेशनल वक्ता सी।
विषय भी आवाज़ की दुनिया का इतिहास।
शानदार प्रस्तूति!!

लेखन के साथ ही पोड्कास्ट लगाएं, बंधुओ की शिकायत न रहेगी।
आपकी एक अन्य प्रतिभा जानने का अवसर हाथ लगा। आभार,चैतन्य जी एवं अभिषेक जी का भी आभार जिनके सहयोग से यह शानदार श्रवण हुआ।

उन्मुक्त said...

मैं तो समझा अमीन सहानी बोल रहे हैं।

स्वागत है पॉडकास्ट की दुनिया में।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

आपकी आवाज बहुत अच्छी है। लिखिए भी और पॉडकास्ट भी लगाइये।

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