IBN-7 चैनल पर एक कार्यक्रम दिखाया जाता है, जिसका नाम है “फेकिंग न्यूज़”. इस कार्यक्रम का फॉर्मेट कुछ ऐसा है कि इसमें प्रोग्राम का एंकर, बबलू जय प्रकाश (बीजेपी) राजनेताओं और किसी सेलेब्रिटी से कुछ सवाल पूछता है इंटरव्यू के अंदाज़ में और जवाब देते हैं वे लोग. लेकिन Twist in the tale यह है कि सवाल तो प्रोग्राम में उसी समय पूछें जाते हैं, जबकि जवाब पहले के किसी इंटरव्यू से होते हैं. सिर्फ इतना ही नहीं, सवाल मजाकिया होते हैं, लेकिन जवाब वास्तविक. मगर सुनने में एक अजीब सा हास्य/व्यंग्य पैदा होता है. मसलन, किसी नेता को पूछा ये जाता है कि आपने यह खबर लीक करने के कितने पैसे खाए. और उसका जवाब मिलता है ४०१०० करोड रुपये. दरअसल नेता जी नरेगा का वार्षिक बजट बता रहे हैं, पर सुनने वाले को लगता है कि वो अपनी कमीशन की रकम बता रहे हैं.
हमने सोचा क्यों न मियाँ कि जूती मियाँ के सर पर लगाई जाए. सो हमने भी आज के एक मीडिया मुग़ल का पुराना इंटरव्यू नेट से निकाला और उसमें अपने सवाल जड़ दिए. अब ऐसे में जो बन पड़ा है वो आपके सामने है. सवाल हमारे, समसामयिक हैं, पर जवाब उनके सन २००६ के इंटरव्यू से लिए गए हैं. सवाल पूछने वाला उन्हीं का किरदार बबलू जयप्रकाश यानि बीजेपी!
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) : आपने जिस मीडिया हाउस में नोट छपाई की शिक्षा ली, उसी से ज़्यादा नोट न मिलने के कारण बरसों पुराना नाता तोड़ दिया और देखते-देखते ही एक नया चैनल खड़ा कर लिया. यहाँ की नोट छपाई कैसी लग रही है आपको?
रातदिन नोटछपाई : बहुत अच्छा. मगर मुझे लगता है कि आप सारी वस्तुस्थिति को अभी जज नहीं कर सकते हैं. यह एक निरंतर प्रक्रिया है, जहाँ तक हमारा प्रश्न है. हर दिन नया दिन है और नई चुनौती.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) आज सभी मीडिया हाउस ने समाचार को न सिर्फ एक मनोरंजन का प्रोडक्ट बना दिया गया है बल्कि इससे आगे बढ़कर वो नोट छपाई के नए नए रास्ते खोज रहे हैं. ऐसे में देखा गया है आपके मसाला समाचार की पैकेजिंग काफी सस्ती टाईप की होती है. आपके एंकर गला फाड़ कर चिल्लाते हैं और अपनी गरदन झटक-झटक कर, मूंगफली बेचने के अन्दाज़ में ही खबरें बेचते हैं. इसे और बेहतर बनाने की क्या कोई गुंजायश है?
रातदिन नोटछपाई: मेरे विचार में बेहतरी की गुंजायश तो हर जगह है. मैं स्वीकार करता हूँ कि इसके लिए पैकेजिंग बहुत महत्वपूर्ण है. बाकी तो बेहतर से बेहतर कंटेण्ट बनाने से अपने आप आ जाता है. फिर भी हमें बहुत सुधार की आवश्यकता है. मैं आपको निश्चित तो नहीं बता सकता, लेकिन इतना ज़रूर कहूँगा कि इस पैकेज की यात्रा बहुत लम्बी होने वाली है.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) आपके प्रतिद्वन्दी चैनल तो जम कर नोट छपाई कर रहें हैं, “पेड न्यूज़” का एक नया प्रोडक्ट पिछले चुनाव में लांच किया गया था, जिसके मार्फ़त मलाईदार मिनिस्टरी दिलाने के लिये कुछ मशहूर पत्रकारों ने अब तो कमीशन एजेंटी का एक पूरा मार्केट ही तैयार कर लिया है। ऐसे में आप नोट छपाई के मामले में अपने प्रतिद्वन्दी चैनलों की तुलना में क्या करने वाले हैं?
रातदिन नोटछपाई: मुझे नहीं लगता कि हम यह कहने की स्थिति में हैं कि हम ये करेंगे या वो करेंगे. जैसा कि मैंने बताया, जब तक आप यह अनुभव न करें कि सुधार की बहुत बड़ी गुंजायश है, आप सुधार नहीं ला सकते. हाँ इतना ज़रूर आसानी से कह सकता हूँ कि हमारा माल लोगों ने पसंद किया है और लोगों के रेस्पोंस बहुत ही पॉज़िटिव हैं. हाँ, कई छोटी छोटी चीज़ें हैं जिनमें हम नवीनता लाने का प्रयास कर रहे हैं. सबसे अच्छी बात यह है कि हमारा माल अभी युवावस्था में है.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) लोगों का कहना है की आप पहले जिस चैनल के लिये नोट छापते थे, वहाँ से आप भी बहुत से नये प्रोडक्ट्स के विचार लेकर आए हैं। आपका प्रतिद्वन्दी चैनल तो बेहतरीन माल बेचता लगता है। ऐसे में क्या आप उनसे ज़्यादा नोट बना पाएंगे?
रातदिन नोटछपाई: वास्तविकता तो यह है कि यह एक चौबीसों घंटे चलने वाली प्रक्रिया है और इसमें हर कोई एक समय के बाद टूट जाता है. बहुत हद तक तो समानता होगी ही. वे १० साल से इस धंधे में हैं. और हर कोई इस धंधे में उन जैसा बनना चाहता है. उनकी बारीकी तो बेंचमार्क है. लेकिन सब के बावजूद भी, लोग हमारे माल को एक अलग तरह से देखते हैं. होते तो सभी एक से हैं, लेकिन आज उनका अच्छा हुआ तो कल हमारा हो सकता है. यह तो चलता ही रहता है और विकास के लिए ज़रुरी भी है. आखिर में फ़ायदा तो लोगों का ही होने वाला इससे.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) आपकी खासियत क्या है? आपका माल कैसा है?
रातदिन नोटछपाई: वही जो सबके पास है. चार अक्षरों से बना शब्द “समाचार”. बेहद आसान!!
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) वो तो सही है. सभी यही माल बेचकर पैसे बना रहे हैं, आखिर आपके माल में नया क्या है?? बाहर बैठे लोग जो आप से खबरें बनवा रहे हैं, वो आखिर क्या देखकर आपसे ख़बरें मैन्युफैक्चर करवाएं या बेचें??
रातदिन नोटछपाई: यहाँ तो सभी खबरें बेच रहे हैं. इसलिए नया देखो तो कुछ भी नहीं है. हमारे माल का नयापन है उसका असर. आप खबरों को कैसे पेश करते हैं और सवाल यह है कि कैसे उसका असर पैदा करते हैं. आखिर में हमारी परीक्षा तो समाचारों के आधार पर होने वाली है. हम कई बार सेलेब्रिटी कि चकाचौंध में गुम हो जाते हैं और भूल जाते हैं कि लोगों को क्या परोसा जाए.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) : आपका प्रोडक्ट मूलत: क़िस प्रकार की जनता के लिये है?.. आई मीन, और अधिक नोट बनाने के लिये आपके लक्ष्य क्या है?
रातदिन नोटछपाई: हर वो व्यक्ति जो अंगरेजी बोलता है. हमें हिंदी कि उत्तेजना में अंगरेजी का फौलाद भर देना है. हमारा लक्ष्य होगा ये हिंदी और अंगरेजी कि दीवार को तोड़ दे.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) : ऐसा कहा जाता है कि इस काम में आपको विदेशी लोगों, एन.आर.आई. और कोर्पोरेट जगत से बहुत मदद मिल रही है, आपका माल बाजार में किस तरह लिया जा रहा है?
रातदिन नोटछपाई: इससे हमारी विश्वसनीयता बढ़ी है. लेकिन फिर वही है सच कि आप माल कैसा सप्लाई करते हो. आपकी हर रोज कि परफोर्मेंस ही फैसला करेगी.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) : आपके पहले महीने कि कमाई के बारे में आप हमसे कुछ कहना चाहेंगे?
रातदिन नोटछपाई: इस बारे में क्या कहूँ. हमारे निकटतम प्रतिद्वंद्वी को जहां १०% मिले वहीँ हमें ८% प्राप्त हुए. हमारा माल अच्छा हुआ तो हमें ज़रूर बड़ा हिस्सा मिलेगा. सिर्फ एक महीने में यह एक बड़ी उपलब्धि है. और अभी तो बहुत लंबा सफर तय करना है.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) : क्या और लोग आपके धंधे में भागीदारी के लिए आगे आने को तैयार हैं? आपकी क्या स्ट्रेटीजी है?
रातदिन नोटछपाई: अभी हमें नहीं चाहिए. अभी हम अपने असली माल पर ध्यान दे रहे हैं. एक बार पैसे आने शुरू हो गए तो हमारे पास लोग हैं जो आसानी से पैसे बना लेंगे.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) : इसके आगे...?
रातदिन नोटछपाई: ज़ाहिर है हर कोई तरक्की करना चाहता है. अभी तो हम पैर जमाने की जगह चाहते हैं. अच्छा माल हुआ तो वो जगह अपने आप बन जाएगी. बाकी मलाई की परत तो इतनी मोटी है की उसमें हर किसी को हिस्सा भी मिलेगा और उसका पालन पोषण भी हो जाएगा.
बीजेपी (बबलू जय प्रकाश) : तो ये थी मशहूर मीडिया पर्सनालिटी रातदिन नोटछपाई से एक छोटी सी मुलाक़ात. अगले एपिसोड में हम फिर हाज़िर होंगे एक नए इंटरव्यू के साथ, तब तक आपका दोस्त बबलू जय प्रकाश उर्फ बीजेपी आपसे अनुमति चाहता है.
नेता और उद्योगपति, मीडिया, एन आर आई,
मिलकर करते रात दिन, जमकर नोट छपाई.
28 comments:
सलिलजी मीडिया को आइना दिखाती पोस्ट पढ़ कर आनंद नहीं आया.. हंसी भी नहीं छूटी... दुःख हुआ.. कैसे लोकतंत्र का चौता खम्भा ध्वस्त होता जा रहा है.. नीव में इसके दलदल पैदा हो गया है...
हमको तो बहुत मजा आया और यह आलेख भी बीजेपी है -- बहुत ज्यादा प्रभावशाली है।
सम्वेदना संगी,
मीडिया को उसी के हथियार से घायल कर दिया।
स्तुत्य!, कोई तो है जो छद्म सच्चाई खोजको को उनकी सच्चाई बता रहा है। बधाई
jab har jagah bhrastachaar to ye khamba achhuta kaise rahta,,,,aur sach kahun daag to pahke se the.....sayad ham sabko dikha ab:(
jab saari vyavstha mein ghun laga hai to meedia kaise bach saktaa hai
मीडिया की इस हालत पर अब तो हंसी भी नहीं आती .
लोग भूले न हो तो याद दिलायें क़ि नोट छपाई का एक खेल जुलाई 2008 में हुआ था जब "कैश फार वोट" कांड में बाद सर्वश्रेष्ठ सेवा के बदले "पध्म श्री" की उपाधियाँ इस खम्बे पर भी चिपका दी गयी थी।
पूरा किस्सा पढ़े :
http://theprudentindian.wordpress.com/2008/08/18/rajdeep-sardesai-sagarika-ghose-and-their-cahnnel-tunnel-vision-cnn-ibn/
सटीक | मिडिया की मौजूदा स्थिति की व्यथा है ये.........हंसी के साथ
ignore the above link and use this one
http://theprudentindian.wordpress.com/2008/08/18/rajdeep-sardesai-sagarika-ghose-and-their-cahnnel-tunnel-vision-cnn-ibn/
deepaksainiमीडिया को उसी के हथियार से घायल कर दिया।
यह खबर तो बहुत ही पसन्द आयी।
हम भी अरुण चन्द राय जी से सहमत हैं।
Sir peet liya,phirbhi hansi to aahee gayee!
मीडिया क्रूक्स
बढ़िया. आपके इस तरह के व्यंग हमेशा ही शानदार होते हैं.
पोस्टर में बिपासा को दिखाए हैं और इंटरव्यू नोट छपाई साहब का पढ़वायें हैं...बहुत ना इंसाफी है भाई...कहाँ सुनवाई होगी इस इमोशनल अत्याचार की ?
जोरदार पोस्ट.
नीरज
आपकी दिशा अगर ऐसे ही सही रही तो उनकी दशा जरुर बिगाड़ जाएगी
bahut hi achha aalekh itani saari sachchaiyo se avgat karata hua.
bahut hi sarthak post.
poonam
सही मायने में व्यंग्य इसे को कहत हैं, आनंद आ गया।
न्यूज चैनल अब न्यूज चैनल कहा रह गये है कोई एडल्ट चैनल है कोई मनोरंजक चैनल तो कोई जनता और नेताओ के लाबिंग बनाओ चैनल न्यूज रहा कहा अब | व्यंग्य अच्छा लगा |
बेहद उम्दा व्यंग्य ... सटीक आइना दिखाया है आपने ! यह एक बेहद कडवा सच है कि अब पत्रकारिता ... चाहे प्रिंट मीडिया हो या इलेट्रोनिक मीडिया ... उतनी इमानदार नहीं रही जितनी कभी किसी ज़माने में रहा करती थी !
यह इंटरव्यू भी कमाल का है ..बहुत बढ़िया व्यंग ..
subah se shaam ye hee charcha janha dekho ye hee baate.......uktahat see ho gayee hai.........
helplessness kee feeling bharee padtee hai..........
पूरा इंटरव्यू मनोरंजक ही नहीं बल्कि देश की स्थिति पर करारा व्यंग्य भी है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
हमेशा की तरह बेहतरीन है !
जबरदस्त व्यंग !
media ki ye haalat khud media ki hi den hai... acha lekh...
mere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou
इस बार के चर्चा मंच पर आपके लिये कुछ विशेष
आकर्षण है तो एक बार आइये जरूर और देखिये
क्या आपको ये आकर्षण बांध पाया ……………
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (20/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
Post a Comment