सम्वेदना के स्वर

यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,

जिसमें भाव रस और ताल का प्रतीक आम आदमी का भा-- बसता है.
सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....

Saturday, August 14, 2010

स्वतंत्रता दिवस की डिस्काउंट सेल?

पत्नी ने आज सुबह ही निश्चित तौर पर यह घोषणा कर दी कि इस बार 15अगस्त “रविवार” को है. (रविवार पर ज़ोर देने का मतलब छुटटी का दिन) इसलिए हर साल की तरह 15 अगस्त को हम सब आपके साथ आपके आफिस ध्वजारोहण समारोह में नहीं जायेंगे, बल्कि “बिग बाज़ार” की मेगा डिस्काउंट सेल से, वो सभी चीज़े लेकर आयेंगे जिनके प्रस्ताव साल भर आपके समक्ष प्रस्तुत किए जाते रहे हैं. परिवार की संसद में उन सभी सामानों की खरीद पर आम सहमति भी बनी. परंतु सरकारी योजनाओं की तरह, तात्कालिक व्यस्तताओं का बहाना बनाकर, उन सभी को ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया.

बेटी ने मुझे मेरे अल्पमत में आने का अह्सास कराते हुए,माँ के पक्ष में अपना मत डालते हुए कहा, याद है पापा! पिछली बार रिपब्लिक डे पर जब हम बिग बाज़ार गये थे तो इतनी अधिक भीड़ हो चुकी थी कि एंट्री अगले तीन घंटे के लिये बन्द कर दी गई थी और हम लोग बस मॉल में ही घूम फिर कर लौट आये थे. इस बार कोई रिस्क नहीं लिया जा सकता, बस!” और ये ‘बस’ का हथौड़ा काफी था यह समझाने के लिए कि फैसला सुना दिया गया है.

खैर! इस बातचीत में बेटी ने इंडिपैन्डैंस डे और रिपब्लिक डे का जो घालमेल कर दिया था, उसने मुझे एक बीती बात याद दिला दी. बात तब की है, जब राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद, पहली बार लाल किले से 15 अगस्त का भाषण दिया था और पूरे भाषण में वह बार-बार 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के बजाए गणतंत्र दिवस ही कहते रहे. देश के सबसे बड़े राजनैतिक परिवार से हुई इस भूल को लेकर तब मैं अपनी कक्षा के मित्रों से हफ्तों बहस करता रहा था.

लेकिन अब सोचता हूँ कि बेकार ही थी वो बहस, कम से आज के समय में तो बिल्कुल बेमानी! 15 अगस्त हो या 26 जनवरी, ये दिन आज बस इसीलिए याद किए जाते हैं क्योंकि ये छुट्टी के दिन हैं, राष्ट्रीय छुट्टी के दिन. और अगर भूल से वह दिन रविवार का हो गया,जैसा कि इस साल, तो कई लोग तो कोसते हुए भी मिल जाते हैं, कि छुट्टी मारी गयी.

देखा जाये तो, जो आज़ादी हमने पाई है, उसमें आजादी का ले दे कर आज एक ही मतलब रह गया है – “आर्थिक आजादी”. अर्थशास्त्री कहते हैं “बाज़ार” भगवान है! वो सब कुछ संतुलित कर देता है, देर-सबेर बाज़ार की शक्तियाँ सबके साथ न्याय करती हैं. अबतक बेवकूफ भारतीय यही समझते रहे कि उनकी किस्मत विधाता लिखता है, इस बात से अनजान कि 21वीं सदी का भगवान तो बाज़ार है और यह “बाज़ार” ही तो है जो डिसाइड करता है, हम सबकी हैसियत.

मुझे अपनी हालत अब बहुत दयनीय सी लगने लगी, यह सोच कर कि बाज़ारवाद के इस अश्वमेघ-यज्ञ द्वारा, देश को सम्पूर्ण आर्थिक स्वतंत्रता दिलवाने का जो महति प्रयास “मुख्य पुरोहित मनमोहन सिंह” कर रहे हैं, उसकी एक आहुति ने मेरे पूरे परिवार को चुपचाप अपनी गिरफ्त में ले लिया और हम यहाँ “सम्वेदना के स्वर” पर भारत-इंडिया का फलसफा ही बाँचते रह गये! चिराग तले अन्धेरा वाली उक्ति याद हो आयी और मन बहुत विचलित सा हो गया. सोचने लगा कि कहीं कोई जोश ही नहीं रहा स्वतंत्रता दिवस का.

इसके उलट दूसरा नज़ारा “वेलेंटाइन डे” का है. देश के कालिजों और विश्वविद्यालयों में युवा वर्ग को “वेलेंटाइन डे” का कितना बेताबी से इंतज़ार करता रहता है. सेलेब्रेशन का आलम ये कि इस दिन बाज़ार से सारे गुलाब के फूल नदारद.और तो और बड़े बुजुर्ग भी इस दिन का नाम लेकर चुटकियाते देखे जाते हैं. तो क्या “वेलेंटाइन डे” से भी गयी गुजरी बात है, स्वतंत्रता दिवस?

लगता तो यही है कि अब स्वतंत्रता दिवस की पहचान बिग बाज़ार की डिस्काउंट सेल से ही होगी? सच भी है! कॉमनवेल्थ खेलों का भ्रष्टाचार हो, अवैध खनन में लुटती देश की सम्पदा हो, नरेगा-मरेगा के घोटाले हों या विदेशी कम्पनियों का बेहतर रिटर्न के लालच में देश में हो रहा निवेश हो. कुल मिलाकर देश की डिस्काउंट सेल ही तो लगी है...हर रोज़, हर ओर...

आइये स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर महा-डिस्काउंट-सेल का आनन्द लें, इस मनमोहनी बिग बाज़ार में...गणतंत्र दिवस! नहीं नहीं !! स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

20 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...
This comment has been removed by the author.
संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मन की टीस को हास्य का जामा पहना कर बहुत सार्थक लेख लिखा है....अच्छी प्रस्तुति

स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

जय हिंद

kshama said...

Dukhati rag pe haath rakh diya aapne!Ham niji taurpe kab manate hain ye rashtreey tyohar? In do tyoharon pe poora mulk eksaath jashn mana sakta tha! Hamne Ganpati,Navratri,Eid,holi...sab sadak pe utarke manaye,lekin ye do din sarkari daftaron/school colleges ke liye rakh diye...jahan na josh hota hai na khushi..bas ek ritual!

VICHAAR SHOONYA said...

जनाब बिलकुल सही कहा सभी राष्ट्रीय पर्व हमारे लिए सिर्फ छुट्टी का एक दिन और दुकानदारों के लिए ग्राहकों को मुर्ख बनाने का एक मौका बन कर रह गए हैं.

soni garg goyal said...

आज़ादी की विषय पर तो अपने ही ब्लॉग पर काफी कुछ कह चुकी हूँ तो और क्या कहूँ हाँ लेकिन इतना ज़रूर कहूँगी की सभी अक्सर युवा पीडी को कोस देते है की आज की युवा पीढ़ी के अन्दर देश और देशभक्ति को लेकर कोई गंभीरता नहीं है लेकिन मैं तो यही कहती हूँ की आज की युवा पीढ़ी को ऐसा बनाया किसने है ! हमारे बड़ो ने ........जिस तरह वो हमें मंदिर में बैठी मूरत को पूजना सीखा सकते है अपने बड़ो के पैर छूना सीखा सकते है क्या वो इस तरह हमें देशभक्ति नहीं सीखा सकते और क्या हम ये सब नहीं सीखेंगे बिलकुल सीखेंगे लेकिन कोई आगे बढ़ कर सिखाये तो सही ! घड़े को आकार कुम्हार ही देता है कोई और नहीं ! लेकिन जिस बच्चे को शुरू से ही दोहरा वातावरण मिला हो घर पर कुछ और किताबो में कुछ और तो वो कैसे सीखेगा !

कडुवासच said...

... सार्थक अभिव्यक्ति !!!

प्रवीण पाण्डेय said...

बिग बाजार तो आर्थिक उत्सव मना रहा है। हम ही नहीं निर्धारित कर पा रहे हैं कि पहले स्वतन्त्रता सम्हालें कि घर का खर्च।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

21वीं सदी का भगवान तो बाज़ार है..
..उम्दा पोस्ट. चलो इसी बहाने 15 अगस्त कुछ और रोचक हो गया..!

योगेन्द्र मौदगिल said...

Baat to theek hai Bandhuon....

मनोज कुमार said...

स्‍वतंत्र का अर्थ है अपना तंत्र अपनी व्‍यवस्‍था। यह आलेख तो यही बताता, और सही भी कि अभी हम पूर्ण स्‍वतंत्र नहीं हुए!
जय हिन्द!

shikha varshney said...

ये भी खूब कही..सार्थक लेख
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें .

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

ई त सच्चो कमाल हो गया!!माने ई पोस्ट का एतना गहरा असर होगा कोई सोचबे नहीं किया होगा... अभी अभी सुनने में आया है कि महाराष्ट्र के महान नेता सिरी संजय निरूपम जी अपने सभी महाराष्ट्रवासियों को गणतंत्र दिवस का बधाई देते हुए सहर में पोस्टर लगाया हैं… हमको गर्ब होना चाहिए ऐसे महान नेताओं के ऊपर और उनका देसप्रेम का भाबना के ऊपर... जय हिंद!!

Dev said...

देर से आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ .......आजादी का ये दिन ....हर त्यौहार से बढ़कर है . ....लेकिन इस बात को शायद ही कोई समझता है .

स्वतंत्रता दिवस कि ढेर सारी शुभकामनाएं .

sonal said...

bhai ye din to shopping festival mein badalte ja rahe hai.....
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

ASHOK BAJAJ said...

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आपको बहुत बहुत बधाई .कृपया हम उन कारणों को न उभरने दें जो परतंत्रता के लिए ज़िम्मेदार है . जय-हिंद

SATYA said...

सार्थक लेख,
शुभकामनायें!!

kshama said...

Aapki email ka intezaar hai! Gar ID mil jaye to apne kathsangrah me se ek kahani aapko bhejna chahti hun.Wajah to email me bata doongi.
Badee gahrayi aur man se aapne "Bikhare Sitare" pe comments likhe hain.Tahe dilse shukriya!

Arvind Mishra said...

अब आगे तो गणतंत्र दिवस है ..तैयारी अभी से ...अडवांस में शुभकामनाएं !

सम्वेदना के स्वर said...

mail ID
salichait@gmail.com

दिगम्बर नासवा said...

अच्छा व्यंग है ...ये सच है आज ये दोनो दिन छुट्टी बन कर रह गये हैं ... बाज़ार सब पर हावी हो रहा है ............. स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें
...

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