मैं… जब भी कुछ मह्सूस किया, आदतन उसे सामने पड़े किसी भी काग़ज़ के टुकड़े पर, या अखबार के किसी कोरे हाशिये पर, नज़्म की शक्ल में लिखा, दोहराया, कुछ दिन सम्भाला और फिर कहीं किसी कोने में रखकर भूल गया. लगा जैसे मन की बात को पर लग गये और जज़्बात के परिंदे उड़कर सरहद पार चले गये...अपनी ही कुछ नज़्मों से तो दुबारा मुलाक़ात भी नहीं हुई मेरी.
और वो...खबरों की तह तक पहुँचते, शतरंज की बिसात पर, सियासत के प्यादे से लेकर रानी तक की चाल पर नज़र रखते, व्यवस्था से नाराज़ और ‘वो सुबह कभी तो आएगी’ की उम्मीद लेकर ही हर रात सोने जाते..जितना सियासत, सत्ता और शकुनी के खेल देखते, उतना खून खौलता और तेज़ाब नसों में गर्दिश करने लगता. इस उबलते तेज़ाब के अंदर है, एक कोमल कवि हृदय, आध्यात्म से जुड़ा, शांति की तलाश में भटकता.
और यहीं से जुड़े मैं और वो..बना हमारा नाता...मैंने सोचा, अब अपनी बात ज़ाया नहीं होने दूँगा और उनको समझाया कि चलो ब्लॉग लिखें. मक़सद एक आम आदमी की ज़ुबान बनना, जो कहीं शायर है, तो कहीं क्रंतिकारी. वो वेदना जो हमने बरसों झेली उसे नाम दिया “सम्वेदना के स्वर”.
ब्लॉग लिखना हमारे लिये मात्र अभिव्यक्ति का माध्यम है. हमारा उद्देश्य ऐसे मुद्दे उठाना है जो आम आदमी से सरोकार रखते हों. हमारी चेष्टा रही है कि कहीं भी हमारे वक्तव्य से ऐसा न लगे कि हम भी उसी थैले के चट्टे-बट्टे हैं, जिनकी हम आलोचना कर रहे हैं. मक़सद हंगामा खड़ा करना नहीं, ये भी नहीं कि समाज या मुल्क़ की सूरत बदल जाये या हमारी बात से कोई इंक़लाब आ जाये. अगर हमारी बात किसी भी दिमाग़ में एक सोच को जन्म देती है, तो बस यही हमारी क़ामयाबी है. कुछ बातें हल्की फुल्की, कुछ संजीदा, पर दिलों को छूती हुई, सम्वेदनाओं को सहलाती हुई.
आज से दो महीने पहले जब लिखना शुरू किया था तो सिर्फ दो थे, आज इक्कीस हैं. खुशी है, लेकिन घमंड नहीं; गर्व है, पर अभिमान नहीं, हमने अपने लिये कुछ मानदंड निर्धारित किये. जहाँ तक हो सके, हम दूसरों के ब्लॉग पढते हैं और अपनी प्रतिक्रिया भी देते हैं. हमारी प्रतिक्रिया ब्लॉग के विषय और व्याख्या पर आधारित होती है. कभी भी सामान्य प्रतिक्रिया नहीं दी हमने,जो देखते ही रस्मअदायगी सी लगे और उस दिन के सारे ब्लॉगों पर चिपकी मिले. हमारे विषय जो भी हों, अगर कहीं भी हमने किसी के कोई बयान को किसी भी रूप में लिया है तो उसका उल्लेख भी किया और उनका आभार भी व्यक्त किया.
हमारा मानना है कि यह एक दोतरफा माध्यम है. अगर इसे सम्वाद के तौर पर लिया जाये तो मज़ा कई गुना बढ जाता है. भले ही इससे विस्तार थोड़ा कम होता है, लेकिन परिचर्चा का वातावरण बनता है, जो ब्लॉग का मुख्य उद्देश्य है.
इसके साथ ही हम आभार व्यक्त करना चाहते हैं उन सभी का जो हमसे जुड़े हैं और आगे भी हमारे साथ बने रहेंगे, ऐसी हम आशा रखते हैं. कुछ नाम,जिनका उल्लेख आवश्यक हैः
विवेक शर्माः फिल्म भूतनाथ के निदेशक… एक सुलझे हुए इंसान, अपने ब्लॉग के द्वारा एक लम्बे समय से जन साधारण से जुड़े हुए... और सही अर्थों मे ब्लॉग लेखन के धर्म को निभाते हुए...उनके, दिलों को छूते, ब्लॉग पर आपकी प्रतिक्रिया का तुरत जवाब देना और एक सान्निध्य स्थापित कर लेना...सही अर्थों में हमारी प्रेरणा ..
समीर लाल (उड़न तश्तरी) : कनाडा में बसे… सनदी लेखाकार और सहित्य सेवा… एक बेहतरीन कॉन्ट्रास्ट देखने को मिला... नपी तुली प्रतिक्रियाएँ, किंतु सटीक...बेबाक लेखन और विचारों की रफ्तार का तो कहना ही क्या...सचमुच उड़न तश्तरी ...
देवेश प्रतापः बड़े नियमित और ईमानदार ब्लॉगर...इतने ईमानदार कि अपने परिचय में ये भी लिख डाला कि मैंने जीवन में कुछ भी हासिल नहीं किया अब तक...और सादगी यह कि हमारे कहने से उसे हटा भी दिया... हम आभारी हैं आपके कि आपने हमें ये सम्मान दिया.
मनोज भारतीः एक शांत पाठक... एक गम्भीर साहित्य सर्जक...हमारे पथ प्रदर्शक एवं प्रेरणा स्रोत ..उनकी तकनीकी सलाह और मार्गदर्शन के लिए हम उनके ऋणी हैं ...उनके नए ब्लॉग के लिए हमारी शुभकामनाएँ..
विनोद कुमारः नियमित मेहमान... सधी और काव्यात्मक टिप्पणी देते रहते हैं..उनके विचारों में पैनापन है और कथन में धार..
कृष्ण मुरारी प्रसादः इनके लड्डू की मिठास से शायद ही कोई बचा हो... इनके नियमित लेखन (लगभग प्रतिदिन) से इनकी स्फूर्ति का अनुमान लगाया जा सकता है… अमीर खुसरो पर लिखा गया हमारा ब्लॉग, आपकी ही प्रेरणा है.
शांत रक्षितः हमारे ब्लॉग के नियमित मेहमान... सधी हुई प्रतिक्रिया होती है इनकी...
नवीन रावतः आग उगलती और शीतलता प्रदान करती टिप्पणियाँ एक अद्भुत प्रभाव उत्पन्न करती हैं.
ऊर्मि चक्रवर्तीः इनका नियमित और विभिन्न विधाओं पर लिखना हमें प्रेरणा प्रदान करता है... इनकी कविताओं में एक सचाई है...क्योंकि इनकी कविताएँ निश्छल हैं.
मनोज कुमारः सजग नियंत्रक...आभार आपका कि हमारी पोस्ट को आपने चर्चा मंच 11.04.2010 में स्थान दिया.
इसके अतिरिक्त हमारे इन सुधि पाठकों ने भी हमारे आँगन में पदार्पण किया...भले ही एक या दो बार, किंतु हम इनके आभारी हैं:
अजय कुमार झा, संजीत त्रिपाठी, निशाचर, प्रिया, राकेश नाथ, बेचैन आत्मा, अरविंद मिश्रा, रणविजय, सतीश सक्सेना, सुमन, मीनाक्षी, भारतीय नागरिक, स्वामी चैतन्य आलोक, नवीन, एरिना दास, गुड्डू, अरशद अली, रोशन जायसवाल, विशाल गोयल, पुनीत चौहान, कौशल तिवारी, ललित शर्मा, ओम प्रकाश, निर्भाब, अनुभव प्रिय, अरुण सारथी, अभिव्यक्ति, एस्पी, क्षमा, राजेंद्र, ख़यालात, झरोखा, क्षितिज के पार, विकास एवं शलभ गुप्ता 'राज' एवं अज्ञात. यदि कहीं किसी का आभार प्रकट करने में कोई चूक हो गयी हो तो क्षमा प्रार्थी हैं.
इस विशाल अंतर्जाल में एक विंदुमात्र का स्थान रखते हुए, हमने यह प्रयास किया है कि अपनी अनुभूतियों को ईमानदारी से व्यक्त कर सकें और आपके साथ बाँट सकें, बिल्कुल वैसे ही जैसा हमने अनुभव किया.