पिछले दिनों चंडीगढ़ के एक नामी स्कूल सेंट जेवियर में एक दुर्घटना घटी. बताया गया कि दसवीं कक्षा की एक छात्रा, स्कूल की तीसरी मंज़िल से गिर पड़ी। यह खबर न सिर्फ चंडीगढ़ बल्कि देश भर के मीडिया में चर्चा का विषय बन गयी। घटना के विभिन्न पक्ष इस तरह हैं :
छात्रा के अभिभावकों का पक्ष : हादसे में घायल छात्रा के अभिभावकों का कहना है (जिसे बाद में छात्रा ने भी दुहराया है) कि छात्रा १२ वीं क्लास के अपने एक मित्र के साथ उसी की कक्षा में (जो कि ग्राउंड फ्लोर पर है) इंटर कालिज डिबेट की तैयारी कर रही थी. अचानक स्कूल के टीचर्स के साथ, प्रिंसिपल वहाँ आये और दोनों को खूब डांटा। फिर उत्तेजित होकर प्रिंसिपल उसे तीसरी मंजिल पर ले गये और वहाँ से नीचे धक्का दे दिया। कंक्रीट के ग्राउंड पर गिरने के कारण, छात्रा के जबड़े पर चोट आयी और सामने के दाँत टूट गये।
छात्रा दो दिन आई.सी.यू. में भर्ती रहने के बाद, फिलहाल जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दी गयी है। स्कूल पर एक करोड़ रुपये के मुआवज़े का दावा किया गया है तथा प्रिंसिपल पर छात्रा की हत्या के प्रयास का मुकदमा भी दायर कर दिया गया है।
स्कूल और प्रिंसिपल का पक्ष : प्रिंसिपल को टीचर्स के द्वारा पता चला कि छात्रा १२वीं क्लास के अपने एक मित्र के साथ (जो गह्न्तों पहले छुट्टी होने के बाद भी घर नहीं गया था) खाली कक्षा (जो गाउंड फ्लोर पर है) में है, जबकि छात्रा की क्लास फर्स्ट फ्लोर पर है। प्रिंसिपल वहाँ आये और दोनों से जवाब तलब की, उनको डांटा और समझाया. इसके बाद छात्र को अपने साथ ले गये और उसके अभिभावकों को बुलाने के लिये सन्देश भेज दिया। इस बीच छात्रा ने फर्स्ट फ्लोर पर स्थित अपनी कक्षा के बाहर वाटर कूलर से पानी पिया और रेलिंग से नीचे कूद गयी, जिससे उसके जबड़े और मुँह पर गम्भीर चोटें लगीं। प्रिंसिपल उस समय अपने कमरे में किसी अभिभावक से बात कर रहे थे. जैसे ही उन्हें पता चला वह तुरंत वहाँ पहुंचे और छात्रा को अपने हाथों से उठाकर अपने गाड़ी में नज़दीकी हस्पताल ले गये. दुर्घटना के 20 मिनट के अन्दर ही निकट के अस्पताल में छात्रा को प्राथमिक चिकित्सा दी गयी और फिर करीब 3 घण्टे के अंदर शहर के बड़े अस्पताल में छात्रा को दाखिल करा दिया गया, जहाँ वो खतरे से बाहर बतायी गयी।
मीडिया की प्रतिक्रिया : इस पूरे प्रकरण पर स्थानीय चैनलों ने कमोबेश संयमित प्रतिक्रिया दी, जैसे छात्रा द्वारा आत्महत्या का प्रयास, प्रिंसिपल पर धक्का देने का आरोप आदि।
हालांकि इसके बाद जैसे-जैसे राष्ट्रीय चैनलों के चंड़ीगढ़ सम्वाददाताओं का आगमन प्रारम्भ हुआ, देश के सभी बड़े चैनलों की क्राईम-रिपोर्टिंग की दुकानें सजने लगीं और असर उनके उत्पादों में दिखने लगा। फटाफट और झटपट खबरों की सुर्खियों में टीआरपी वाली उत्तेजना और तीखापन दिखने लगा। एक बानगी – “बेरहम प्रिंसिपल ने छात्रा को छत से नीचे फेंका”, “क्या हुआ चंडीगढ़ के स्कूल में देखिये आज शाम सात बजे”, “प्रिंसिपल का आतकं”, “मुझे प्रिंसिपल ने अपमानित किया और धक्का दिया- छात्रा का आरोप”.
प्रिंट मीडिया की खबरें शुरु के कुछ दिनों तक तो न्यूज़ चैनलों की तरह ही चलीं, किन्तु तब तक स्कूल का पक्ष और अन्य अभिभावकों के स्कूल के बचाव में आने की खबरे स्थानीय समाचार पत्रों में आने लगीं। प्रिंसिपल के पक्ष में कैंडल-मार्च की खबरों के बीच छात्रा के अभिभावकों द्वारा एक करोड़ रुपये के मुआवज़े और प्रिंसिपल पर किए गए मुकदमें की खबरें भी आने लगीं। सी.एफ.एस.एल. की टीम के हवाले से खबर यह भी छपी कि छात्रा पहली मंजिल से गिरी लगती है, न कि तीसरी मंज़िल से जैसा दावा किया गया है।
चंडीगढ़ के जंतर मंतर पर : चंडीगढ़ के सेक्टर 17-सी के प्लाज़ा को यहाँ का जंतर मंतर कहा जा सकता है। जसपाल भट्टी अक्सर अपने प्रदर्शन करते हुए यहीं दिखाई देते हैं। अन्ना हज़ारे के अनशन के समय भी यह स्थान सुर्खियों में था। सेंट जेवियर की इस घटना के बाद प्रिंसिपल के पक्ष में कई दिनों कैंडल-लाईट-मार्च हुए।
मेरी प्रतिक्रिया : तीन बरस पहले जब में नोएडा से चंडीगढ़ आया तो अपनी बेटी सम्बोधि का एडमिशन इसी स्कूल में, पांचवीं कक्षा में करवाया
इसी स्कूल में एडमिशन कराने की एक ख़ास वज़ह थी, प्रिंसिपल मर्विन वेस्ट का बेहतरीन व्यक्तित्व जिसके कारण मैं पहली ही मुलाकात में उनका मुरीद हो गया। आमतौर पर शर्मीले स्वभाव की मेरी बेटी, प्रिंसिपल मर्विन वेस्ट के साथ मात्र 5 मिनट की बातचीत में इतनी सहजता से पेश आ रही थी, जैसे प्रिंसिपल कोई दोस्त हों! गुरु-शिष्य की यह केमिस्ट्री मेरे लिये एक सुखद आश्चर्य थी। इसके बाद बड़ी ही सहजता से मैने बाकी स्कूलों के एपलिकेशन फार्म फेंक दिये और सम्बोधि का इस स्कूल में एडमिशन करवाया। इसके बाद शुरु हुआ बिटिया का प्रिंसिपल-पुराण, जो पिछले 3 साल से अनवरत चालू है। पापा आज प्रिंसिपल सर ने सब को योग की क्लास में जाने कि लिये कहा, आज हमने अनुलोम-विलोम प्राणायाम किया, आज हमारे स्कूल की क्रिकेट टीम ने इंटर स्कूल चैम्पियन बनने पर प्रिंसिपल सर को कन्धे पर उठा लिया, आज १२वीं क्लास के बच्चों की फेयरवेल पार्टी में प्रिंसिपल सर रो पड़े, आज प्रिंसिपल सर ने पानी की बर्बादी नहीं करने को कहा, आज प्रिंसिपल सर ने अपने नाना-नानी और दादा-दादी का ख्याल रखने को कहा. कितनी ही बातें, जिन्हे सुनकर मन को शांति मिलती कि इन बच्चों को इतने अच्छे व्यक्तित्व की छाया मिली है।
अब तो हमें ऐसा लगता है कि प्रिंसिपल मर्विन वेस्ट हमारे घर में अदृश्य रूप से उपस्थिति हैं। शायद यही कारण होगा कि स्कूल में घटी इस घटना के बाद बेटी बहुत उदास है और कहती है कि हमारे सर ऐसे नहीं हैं। हमारे प्रिंसिपल बेकसूर हैं! अपनी कहूँ तो घटना के बाद, कई दिनों तक मैं भी बहुत अनमना सा रहा। सलिल भाई से भी इसका जिक्र किया। पर मन मसोस कर रह गये हम. दुनियादारी की सम्झ तो यही कहकर बेडियाँ दाल देती हैं कि पुलिस, व्यवस्था, आचार संहिता, न्याय प्रक्रिया तो बस एक लम्बे खेल की शुरुआत भर है. ऐसे मामलों में चतुर सुजानों के मुहँ से अक्सर सुनते आये हैं कि law will take its own course. लेकिन जिसने जीवन में इज्जत ही कमाई हो उसके लिये तो Justice Delayed is Justice Denied.
कल शाम बेटी ने बताया कि प्रिंसिपल सर इतने दिनों बाद आज एसेम्बली में आये और उन्होने कहा, “प्यारे बच्चों!! अपनी मित्र के स्वास्थ के लिये प्रार्थना करना और ईश्वर से यह भी कहना कि इस लड़ाई में केवल सच की जीत हो”.