एक
व्यवस्था का भ्रष्टाचार जिसे सहन नहीं था
और फिर
भ्रष्टाचार के ही व्यवस्था बन जाने पर
वह, व्यवस्था को सहन नहीं था।
किसी फकीर का आशीर्वाद लेने
वो कल जंतर-मंतर गया था।
दो
पिछली चुनाव रैली में
जिस 13 साल के लड़के ने
भीड़ चीर कर तुमसे हाथ मिलाया था
जंतर मंतर पर खड़ा वो
आज तुम पर उंगली उठा रहा है
वो अब 18 का हो गया है।
तीन
आज दफ्तर के कोने में पड़ी
बापू की तस्वीर उसने ढूंढ निकाली
और अन्ना अन्ना बुदबुदाते हुये
अपने सीने से लगा ली।
चार
भेड़िय़ॉं के झुंड़ में
दो दिनों से
बहुत खलबली है।
एक गाय ने अपने सींग में
श्मशान की राख मली है।
23 comments:
अन्ना का ये आंदोलन हमारे लिये.
हम सब इसमें साथ हैं ।
hum sab sath hai .
ati jab ho jae
jarooree ho jata hai
karana iseka ant .
desh ko sahee
disha dikhane wale
Anna aap hai ek sant.
अन्ना नए गाँधी हैं.
वाह! क्या बात है, अन्ना जिंदाबाद!
हमको शोभा के जेवर नहीं
तीखे ऐसे ही तेवर चाहिए।
*
अन्ना हजारे,हजारों हैं साथ तुम्हारे।
18 saal ke bacce ka dar to inke andar aa hi jana chahiye...bachpan men padhaya jata hai..chacha nehru...chacha nehru..baal diwas manaya jata hai...18 saal ka hote hee bacche ko hakeekat samjh aa jatee hai...
भ्रष्टाचार के खिलाफ़ उठने वाली हर आवाज, हर हाथ को हमारा साथ।
ये शमशान की रालख सभी को मलनि होगी .... कहीं देर न हो जाए ... आना का साथ देना चाहिए सभी को ... इस हवन में सामिग्रि सब को डालनी चाहिए ...
हलचल स्वाभाविक है।
यही तेवर होने चाहिए ..
अन्ना अन्ना , बुदबुदाते हुए , गाँधी की तस्वीर सीने से लगा ली ....सटीक अभिव्यक्ति !
Bilkul Ham bhi hai saath mein....In bhrastachiyon jab tak saja nahi milegi...ye kaanoon ke loop holes ka fayda uthate rahenge ....Anna wala Janlokpaal vedheyak paas hona hi chahiye ....Vrana kranti ka bigul to baj chuka hai
अगर हम अन्ना हजारे बन नहीं सकते तो कम से कम उसका साथ तो दे ही सकते हैं...
नीरज
अब ये काफिला नहीं रुकेगा....
हम सब अन्ना के साथ हैं ।
ye har bhartiya ke dil ki awaz hai.. anna ham tumhare sath hai...
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई में हर कोई एकजुट है।
वन्दना के इन सुरों में एक सुर मेरा मिलालो---
अन्याय के विरोध में उठने वाली हर आवाज को नमन चाहे वह इरोम हो या हजारे । हम कुछ नही भी कर पाएं पर सच्चाई का समर्थन तो कर ही सकते हैं ।
हम हैं साथ साथ
स्वागतेय वैचारिक बयार. (भाइयों को ऐतराज न हो कि आंधी, तूफान, सुनामी क्यों नहीं कहा जा रहा है)
एक, दो, तीन, चार
चारों क्षणिकाएं शानदार॥
खुद ईमानदार होते हुए भी जब इंसान गरीब होता हैं और बेईमान को अमीर देखता हैं तो शायद रास्ता दिखना बंद हो जाता हैं
जबरदस्त!
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