सम्वेदना के स्वर

यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,

जिसमें भाव रस और ताल का प्रतीक आम आदमी का भा-- बसता है.
सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....

Monday, April 4, 2011

धोनी सचिन कपिल हज़ारे, देखो अब ये देश न हारे!

आई.सी.सी. विश्व कप २०११ की विजय के साथ ही पूरा देश जश्न में डूब गया. होना भी चाहिए. २८ वर्षों के बाद यह खुशी दोहराई गयी. कई लोगों ने यह जश्न 1983 के बाद दुबारा देखा जब भारत विश्वविजयी कहलाया. वर्ष २०१०-११ भारत के लिए उपलब्धियों का वर्ष रहा. राष्ट्रमंडल खेल का सफल आयोजन और फिर विश्व-कप क्रिकेट.

आज विश्व के शिखर पर अपना तिरंगा फहराते हुए, यह दिखाई न दे रहा हो कि पिछले दिनों अपने देश को इन राजनेताओं ने किन गर्त्त में पहुंचा रखा था. एक ओर जीत के त्यौहार पर खुशियों की लहर में भीगते देशवासी और दूसरी ओर भ्रष्टाचार, अपराध और बेशर्मी की पराकाष्ठाएं छूने वाले ये राजनेता. इसे विडम्बना ही कहा जायेगा कि ताजा घोटालों में जिस बड़े नेता का नाम आया उसी के हाथों यह ट्राफी भारतीय टीम को मिली। खैर! विविधताओं के देश में जहां एक ओर देश के करोड़ों रूपये ग़बन कर डकार जाने वाले लोग हैं, तो दूसरी ओर क्रिकेट को धर्म मानने वाली उत्साही जनता.

सचिन और धोनी की इस अनुभव और ऊर्जा से लबरेज़ टीम से इतर, एक और हीरो हैं अपने देश के. ७३ साल के नवजवान. अपनी धुन में मगन. १९६५ के भारत पाक युद्ध के दौरान ये फ़ौज में ट्रक ड्राइवर हुआ करते थे. सीमा पर जब पाकिस्तानी हवाई हमलावरों को देखा तो भागकर ज़मीन पर लेट गए. बम गिरा, ट्रक जलकर स्वाहा, ये अकेले ज़िंदा बच निकले. रियल हीरो!! विवेकानंद की एक पुस्तक पढ़ने के बाद उनको जीवन का लक्ष्य मिल गया और उन्होंने फैसला किया कि जीवन का बस एकमात्र लक्ष्य है समाज की सेवा करना और सारा जीवन वर्त्तमान समाज को “आदर्श समाज” बनाने में अर्पण कर देना. पंद्रह साल फ़ौज की नौकरी करने के बाद स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले लिया और जो पैसे मिले उससे गाँव के विकास के लिए काम करने का बीड़ा उठा लिया.

अपने गाँव रालेगांव में इन्होने युवा शक्ति को संगठित किया और अपनी सारी निधि इस कार्य के लिए समर्पित कर दी. गाँव को जल सरक्षण का पाठ पढ़ाया, रबी और खरीफ की फसलों में वृद्धि के मार्ग सुझाए, गाँव को नशामुक्त किया और प्याज के उत्पादन में निर्यात करने की सक्षमता प्रदान की. और यह सब संभव हो पाया सिर्फ उनके संगठन की रास्ते पर चलकर. गाँव के युवकों ने आज से २२ वर्ष पूर्व जो होली मनाई, वैसी होली आज सारे देश में मनाये जाने की आवश्यकता है. इन युवकों ने गाँव में मौजूद सारे तम्बाकू उत्पाद, बीडी और सिगरेट की होली जलाई. आज गाँव में शाब्दिक अर्थों में दूध की नदियाँ बहती हैं. इस हीरो ने गाँव में शिक्षा की लहर दौडाई, छुआछूत का खात्मा किया और अपने गाँव को हर प्रकार से एक आदर्श गाँव बनाया.

इससे सुन्दर क्या होगा कि यह गाँव हर साल २ अक्टूबर को अपना जन्मदिन मनाता है. और इस जन्मदिन पर गाँव के सबसे बुज़ुर्ग पुरुष और महिला को सम्मानित किया जाता है. यही नहीं कितना अच्छा लगता है, जब गुजरे साल के अन्दर गाँव में ब्याह कर आयी बहू को हाथ में नारियल देकर उनकी आवभगत की जाती है, हर पैदा हुए शिशुओं के लिए कपडे सिले जाते हैं और उनको भेंट किये जाते हैं, युवकों और विद्यार्थियों को उनकी वर्ष के दौरान हुई विशिष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया जाता है. समारोह का समापन प्रीतिभोज के साथ होता है. गौरतलब है कि इस समारोह में जाति-धर्म, ऊँच-नीच का कोई भेद नहीं होता.

एक आदर्श ग्राम की स्थापना की है इन्होने जिसे हम सिर्फ कल्पना मान सकते हैं. एक सपना अभी भी पल रहा है उनके दिल में. इस ग्राम को वे चावल का सिर्फ एक दाना मानते हैं और इनकी ख्वाहिश है कि पूरा देश इस चावल की पतीली बन जाए.

भ्रष्टाचार के ज़हर भरे माहौल में इस जैसे नायक को हमेशा नकार दिया जाता है. लेकिन जो शख्स ७३ साल की उम्र तक नहीं सुधरा वो अब क्या सुधरेगा. जो भ्रष्टाचारी थे उन्होंने उसे कारावास में भेज दिया, लेकिन ये कहाँ सुधरने वाले. जिसके गाँव में फलों से लदे वृक्ष पर कोई पत्थर नहीं मारता और ऐसे पेड़ों की सुरक्षा के लिए कोई पहरेदार नहीं होता, वो चुप कहाँ बैठने वाला.
 
इस शख्स का नाम है किसन बाबूराव हजारे, सारी दुनिया के लिए अन्ना हज़ारे जो भष्टाचार के खिलाफ युद्द की घोषणाकर 5 अप्रैल से दिल्ली के जंतर मंतर पर आमरण अनशन पर बैठ रहें हैं। India Against Corruption सहित बहुत से संगठन इस लडाई में अन्ना हज़ारे का साथ देने हो खड़े हैं। अन्ना हज़ारे की मांग है कि ईमानदार प्रधानमंत्री देश के सम्मानित नागरिकों द्वारा बनाये गये “लोकपाल बिल” को कानून बनाने की दिशा में कार्यवाही करें। यह बिल सीबीआई और सीवीसी जैसी संस्थाऑं को पीएमओ के नियंत्रण से निकालकर, भ्रष्टाचार को सर्वोच्च तल पर नेस्तानाबूत करने की बात करता है।

अन्ना ने देशवासियों से 5 अप्रैल को व्रत रखकर, भष्टाचार के खिलाफ इस युद्ध में प्रतीकात्मक सहयोग देने का आवाहन किया है। जो लोग दिल्ली में हैं वह जंतर मंतर पर जाकर इस लडाई में अपने शामिल होने की घोषणा कर सकते हैं। “सम्वेदना के स्वर” लिये सलिल वर्मा वहाँ मौज़ूद रहेंगें, व्रत तो होगा ही हमारा। और आप ?

 

भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होने और अन्ना हज़ारे के इस अनशन में आप अपना नैतिक सहयोग दर्ज करने के लिये इस नम्बर (02261550789) पर मिस काल कर सकते है।

18 comments:

Coral said...

अन्नाजी से हम भली भाती परिचित है ....हमारा नैतिक सहयोग हम इस कमेंट्स के जरियेही दे रहे है

Apanatva said...

hum bhee ise aandolan me jee jaan se unke sath hai.......

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

kal jantar mantar par is MAHANAYAK ke mantar se mugdh hone kaa samay hai.. mujhe khushi hogi ki main iskaa hissaa ban paaungaa!!!

ZEAL said...

मेरा भी व्रत होगा ..आपके साथ हूँ ...सच का साथ देने वालों के साथ हूँ ।

सञ्जय झा said...

dhanyawad bhaijee......is post ke liye.....

pranam

अजित गुप्ता का कोना said...

जरूर मिस-काल करेंगे। अन्‍ना हजारे ही विजयी हो और देश में लोकपाल विधेयक मंजूर हो।

kshama said...

Aap sabhee ke saath hun...wrat to khair hoga hee hoga!

अरुण चन्द्र रॉय said...

अपने आचार विचार और व्यवहार से मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ हूं... बाकी सरकारी नौकरी में होने के कारण शायद किसी धरने प्रदर्शन में भाग लेने की मनाही है... सो नैतिक समर्थन तो है ही...

प्रवीण पाण्डेय said...

भ्रष्टाचार समाप्त हो, सबके हित में है यह।

रूप said...

mukhar wirodh nahi kar sakta . majbooriyan hain. par wrat ke madhym se , wicharo ki kattarta ke sath main is mahawrat ka sahbhagi hoon . yah wishwas dilata hun . ishwar karen , aise sadbhaw hamesh ' KAAMYAAB hon !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

लोकपाल बिल ले के रहेंगे, संघर्ष कर रहे अन्ना हजारे
धोनी कपिल सचिन तुम्हीं हो, देखो अब ये देश न हारे।

मनोज कुमार said...

भ्रष्टाचार के खिलाफ़ किसी भी मुहिम में अपना समर्थन है।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जुट होने की ज़रूरत है ...हम साथ हैं

राजेश उत्‍साही said...

हमें भी वहां हाजिर माना जाए।

anshumala said...

मेरा विचार है की आम लोगो को भूखे रह कर नहीं बल्कि अपने आस पास हो रहे भ्रष्टाचार का विरोध करके इस लड़ाई में अपना साथ दे सकते है | जरुरी नहीं की आप किसी बड़े भ्रष्टाचार के खिलाफ ही लड़े आप अपने आस पास हो रहे किसी भी छोटे मोटे गलत कामो को, जो देश और समाज को नुकसान पहुंचा सकते है उसकी व्यवस्था बिगड़ सकते है, को करने से रोक सकते है चाहे वो प्लेटफार्म पर थूक कर उसे गन्दा करना हो या किसी का सिग्नल तोड़ कर जाना हो या ट्रैफिक पुलिस को रिश्वत लेते देखना हो आप सभी को टोक कर उसे ऐसा नहीं करने को कह कर भी इस तरह की मुहीम में साथ दे सकते है जब एक एक व्यक्ति देश के एक एक नियम का पालन करेगा , छोटी और खुद की जा रही गलतियों को रोकेगा तो किसी बड़े भ्रष्टाचार को देख कर वो खामोश नहीं रहेगा उसका विरोध करेगा और भ्रष्टाचार खुद ही धीरे धीरे समाप्त हो जायेगा |

Deepak Saini said...

भ्रष्टाचार समाप्त हो
जरूर मिस-काल करेंगे।

सम्वेदना के स्वर said...

@ अंशुमाला
आपकी बात से एकदम सहमत!

आधुनिकता की दौड़ में जीवन इतना मैकनिकल भी न हो जाये की गलत चीजें दिखायी देनी ही बन्द हो जायें।

shikha varshney said...

भावात्मक और नैतिक रूप से हम साथ हैं हजारे विजयी हों यही शुभकामना है.

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