सम्वेदना के स्वर

यह ब्लॉग उस सनातन उत्सवधर्मिता को जीवित रखने का प्रयास है,

जिसमें भाव रस और ताल का प्रतीक आम आदमी का भा-- बसता है.
सम्वेदनाएँ...जो कला, साहित्य, दर्शन, विज्ञान, राजनीति आदि के माध्यम से अभिव्यक्त होती हैं, आम आदमी के मन, जीवन और सरोकार से होकर गुज़रती हैं तथा तलाशती हैं उस भारत को, जो निरंतर लड़ रहा है अपने अस्तित्व की लड़ाई.....

Monday, April 11, 2011

हम अण्णा के अन्धभक्त हैं.... और आप?

मेरठ छावनी से उठी आज़ादी के जंग की लपट, स्वतन्त्रता की पहली लड़ाई के रूप में आज भी दर्ज है. कई इतिहासकार उसे महज एक विद्रोह का नाम देते रहे हैं और इस विद्रोह के दमन की कहानी सुनाते रहे हैं. वास्तव में (कु)व्यवस्था के विरुद्ध जब भी किसी ने आवाज़ उठायी है, व्यवस्था का सारा तंत्र उसे विद्रोह का नाम देता रहा है. अब जंतर मंतर पर शनिवार को जो हुआ, उसे १८५७ की पुनरावृत्ति भले ही न माना जाए, सारे तथाकथित नेता उसे विद्रोह कहने में लगे हैं और बढ़ चढ़कर यह साबित करने में लगे हैं की इस जन लोकपाल विधेयक से कुछ भी नहीं होने वाला. उनकी छत्रधारी सेना ने अर्थ के अनर्थ और अपने अमूल्य ज्ञान कोष से यह बताना प्रारम्भ कर दिया है कि अण्णा को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, किनको साथ लेकर चलना चाहिए और किनको छोड़ देना चाहिए आदि. ऐसे बयान देने चाहिए ऐसे नहीं. अब उनको कौन समझाए कि यह तौल-तौल कर बोलना और हर बोल के राजनैतिक परिणाम सोचना, उस मानसिकता का प्रतीक है जो बिके हुये मीडिया के जरिये माहौल बनाती बिगाड़ती है। और आज कोई भी इन माईक-छतरी वालों की कुविधा से बच भी नहीं सकता. यह हर बात के मतलब निकालते हैं, क्योंकि इनके पालकों की पूरी व्यव्स्था को खतरा महसूस हो रहा है. यह सब तो आगे इस युद्ध में होगा ही। चाहे इसे वे विद्रोह ही क्यों ना कहें.

पर इतना याद रखने की ज़रुरत है कि अण्णा के अन्दर लोगों ने असली गांधी देख लिया है. मंदिर के आहाते को अपना घर मानने वाले अण्णा हजारे का निष्पाप जीवन महर्षि दधीचि की याद दिलाता है जिन्होंने अपनी हड्डियां, राक्षसों के के विरुद्ध होने वाले संग्राम के लिए वज्र बनाने हेतु दान कर दीं. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि तपस्वी अण्णा का एक एक वचन अब सिद्ध हो चुका है, और वह इस झूठ के बाज़ार में सच का आईना है।

ये मनमोहन सिहं, मोदी, नितीश, रामदेव, पवार जैसे शब्द भी जब अण्णा के मुख से प्रस्फुटित होते हैं, तो वह भी कोई सत्य उजागर कर रहे होते हैं। अण्णा जब मनमोहन सिहं को ईमानदार व्यक्ति कहते हैं तो यह बात कि वह देश की भ्रष्ट सरकार के मुखिया हैं पार्श्व में होती है, इसी तरह जब मोदी सा ग्राम विकास करने को कहते हैं तो 2002 के दंगे पार्श्व में होते हैं, यह अण्णा का नीर क्षीर विवेक ही है। अण्णा पर अन्ध श्रद्धा तो करनी ही होगी इस देश की जनता को, इसके अतिरिक्त उपाय ही क्या है? हम न भूलें कि सदियों की गुलामी की वज़ह से कायरता हमारे डीएनए में आ गयी है. ऐसे में अण्णा की जेनेटिक इंजीनियरिंग पर भरोसे के सिवा हमारे पास और कोई समाधान नहीं है।

आवश्यकता है, बस हर मंच से चीख-चीख कर अण्णा के पक्ष में माहौल बनाएं हम सब। भारतीय राजनीति के सभी नाम अब बौने हैं। यह क्रान्ति है या विद्रोह, भ्रष्टाचार के विरुद्ध बिगुल है या एलानेजंग, ये सारे सवाल बेमानी हैं.

सवाल है तो सिर्फ एक: आप अण्णा के साथ है या नहीं!

हमें गर्व है कि हम अण्णा के अन्धभक्त हैं.

27 comments:

अनुनाद सिंह said...

अन्ना ने हमारी आंखें खोल दी है। हम सोच-समझकर उनके भक्त बने हैं। सोनिया, राहुल, कपिल, शाहरूख और कुछ बड़े भ्रष्टाचारियों के अलावा पूरा देश उनको अच्छी तरह जानता है और उनका भक्त है!

kshama said...

Bhakt to ham bhee hain...unke anuyaayee bhee hain!

rajani kant said...

अन्ना के साथ खडे होने को तैयार होना ही होगा सबको...अन्धेरे में उम्मीद की एक किरण तो दिखी..

प्रवीण पाण्डेय said...

देश हित में कुछ भी सहना होगा।

संजय @ मो सम कौन... said...

साथ हैं जी, बिल्कुल साथ हैं।

Satish Saxena said...

बहुत प्यारा लेख ! मैं तो आपके पीछे हूँ ....शुभकामनायें !

Deepak Saini said...

सिवाय अंधभक्त होने के और कोई रास्ता भी तो नहीं है,
नेता तो लगे है उस भले मानुष को गलत साबित करने में, क्योकि सबको खतरा है इसलिए सब एक सुर में बोल रहे है, हर कोशिश कर रहे है किसी तरह ये तलवार सर से हट जाये

हमें एकजुट होकर विश्वास(अंध) के साथ अन्ना के साथ डटें रहना है

मनोज कुमार said...

सत्य के रास्ते जो भी संघर्ष जीत उसी की होती है।

Rahul Singh said...

नारा और समर्थन तो सबसे आसान होता है, लेकिन कठिनाई यह होने लगी है कि आत्‍म केन्द्रित होने को प्रेरित करने वाला माहौल बन गया है. यह अपने स्‍वयं की ईमानदारी और (भ्रष्‍ट) आचरण पर प्रश्‍न करने का समय है.

उम्मतें said...

अन्ना तो ठीक पर भक्तजनों की अपनी गारंटी क्या है :)

Apanatva said...

hum sath hai.....

राजेश उत्‍साही said...
This comment has been removed by the author.
राजेश उत्‍साही said...

माफ करें अन्‍ना भी किसी का अंध भक्‍त होने के लिए नहीं कह रहे हैं। नरेन्‍द्र मोदी की जब वे बात करते हैं तो बहुत साफ कहते हैं कि मैं उनके ग्रामविकास की बात कर रहा हूं। उनके नाम पर 'दर्ज'अन्‍य बुराईयों की नहीं। उसका आश्‍य यह भी होता है कि वे उसका समर्थन नहीं करते। कपिल सिब्‍बल जब कहते हैं कि लोक‍पाल बिल से कुछ नहीं होगा। तो अन्‍ना कांग्रेस को या केन्‍द्र सरकार को गाली देना शुरू नहीं कर देते। वे कहते हैं कि कपिल जी आप समिति से बाहर आ जाइए,आपको इस पर विश्‍वास नहीं है तो कुछ और करिए। अन्‍ना से शायद सबसे बड़ा सबक यही लेने की जरूरत है कि हम किसी के अंधभक्‍त न बनें। किसी भी व्‍यक्ति की अच्‍छाईयों की प्रशंसा करें,उसका समर्थन करें। पर साथ ही उसकी गलत बातों का विरोध भी करें।

अरुण चन्द्र रॉय said...

सत्य के रास्ते जो भी संघर्ष जीत उसी की होती है।

Sunil Kumar said...

पूरा देश उनका भक्त है!

VICHAAR SHOONYA said...

जाने क्यों मेरा जेनेटिक कोड मुझे व्यक्तिपूजा और अंधभक्ति करने से रोकता है. जंतर मंतर पर अन्ना के साथ मंच पर दिखने वाले एक व्यक्ति के रंगे चोले के पीछे का भ्रष्ट चेहरा मैंने देखा है इसलिए अंधभक्ति तो नहीं हो सकती, हाँ अन्ना को उनकी भ्रष्टाचार के विरुद्ध लडाई में मेरा १०० प्रतिशत समर्थन अवश्य रहेगा.

rashmi ravija said...

अंधभक्ति तो किसी की भी नहीं की जानी चाहिए
अन्ना के विचारों का समर्थन सही है ...पर उनसे जुड़े लोगो पर जनता की एक सजग नज़र जरूर होनी चाहिए ताकि ये आन्दोलन रास्ता ना भटके.

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

अण्णा ठीक हैं. ज़माने से परखे हुए हैं.

ZEAL said...

साथ हूँ देशभक्तों के जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई लड़ रहे हैं ।

Patali-The-Village said...

अन्ना के साथ खडे होने को तैयार होना ही होगा सबको|धन्यवाद|

दीपक बाबा said...

५०-५० और २०-२० के देश में कम से कम कुछ नयी सोच तो मिली...

Arvind Mishra said...

मुझे यह दुःख है कि अन्ना ने अभी तक कांग्रेस नीत सरकार के प्रधानमंत्री का इस्तीफ़ा क्यों नहीं माँगा!
अब भी कितने और घोटालों का इंतज़ार है...लोकपाल के पहले जंतर मंतर से यह एलान हो तो हमहूँ झा साहब की तरह सोहारी जरुर चढाने जायेगें -और फोटो भी खिंचा के आयेगें !

Narayan Harne said...

'ABHI TO YE ANGDAAI HAI'
ANNA' K TAMAAM ANUYAYIYO SE MERI APPEAL HAI KI APNI ENERGY' BACHA K RAKHNA, LADAAYI BEHAD LAMBI HAI.
JAY HIND JAY BHAARAT JAY ANNA'

Apanatva said...

Salil ab kaise hai?
wish him speedy recovery .

Coral said...

साथ है ....

पूनम श्रीवास्तव said...

aadarniyy salil bhai vaalok bhai ji

aapne anna hajare ke baare m jo kuch bhi likha hai vah axhrashah sach hai .aaj hamaara oura desh anna hajaare me aage ka swaeth mahoul dekh raha hai. ek ummid ki kiran sabme jagi hai
par aane wale waqt ka intjaar to karna hi padega .
bahut bahut hi prabhav-purn prastuti
hardik naman
poonam

निर्मला कपिला said...

साथ हैं हम भी। आभार।

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